राजस्थान में बढ़ती गोल्ड तस्करी और नए-नए मॉड्यूल ने कस्टम विभाग जैसी जांच एजेंसियों को हैरान कर दिया है। जितना सोना एयरपोर्ट पर कार्रवाई में पकड़ा जा रहा है, इससे कहीं ज्यादा माल ये आसानी से ठिकाने लगा रहे हैं। 5 साल की कार्रवाई के दौरान पकड़ में आए मामलों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली बातें सामने आई। लगातार एक्शन के बावजूद खाड़ी देशों में बैठे तस्करों के मास्टरमाइंड इतने शातिर हैं कि अधिकारियों की नाक के नीचे से माल उड़ा रहे हैं। वहीं, चंद पैसों के लालच में मजदूर से लेकर विदेशी गर्ल्स तस्करी काे टूल बन रहे हैं। स्मगलिंग के लिए प्राइवेट पार्ट तक का ऑपरेशन करवाकर, जान तक जोखिम में डाल रहे हैं।
डायरेक्ट फ्लाइट पर एजेंसियों की नजर, इसका भी तोड़ निकाला
एजेंसियां खाड़ी देशों जैसे- UAE, दुबई जैसे देशों से आने वाली डायरेक्ट फ्लाइट से उतरने वाले पैसेंजर्स पर कड़ी नजर रखती हैं। तस्करों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। स्मगलर कैरियर्स को कनेक्टिंग डोमेस्टिक फ्लाइट से जयपुर लैंड करवाकर एयरपोर्ट से एग्जिट करवाते हैं। ऐसे में जब ये जयपुर पहुंचते हैं तो इनपर कस्टम अधिकारियों की नजर कम पड़ती है।
उदाहरण के लिए जैसे दुबई से आया एक यात्री पहले मुंबई एयरपोर्ट पहुंचता है। फिर वहीं से जयपुर की फ्लाइट पकड़ता है। ऐसे में उसे मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम क्लियरेंस नहीं लेना पड़ता है। वहीं, जयपुर में वो एक तरह से डोमेस्टिक पैसेंजर बनकर लैंड करता है तो उस पर ऑफिसर्स की नजर उतनी सख्त नहीं होती। ऐसे में तस्कर आसानी से गोल्ड लेकर बाहर निकल जाता है। हालांकि कई मामलों में अधिकारी संदिग्ध यात्रियों को ट्रैक करते रहते हैं।
मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंच पाती एजेंसियां
-राजस्थान के शेखावाटी इलाके के सीकर, चूरू, झुंझुनूं और नागौर जिले के हजारों युवा खाड़ी देशों में मजदूरी करने के लिए जाते हैं।
-सभी गरीब परिवारों से होते हैं। ऐसे में गोल्ड स्मगलर इन युवाओं को रुपयों या फ्री टिकट का लालच देकर स्मगलिंग कैरियर बना लेते हैं।
-खाड़ी देशों में बैठे स्मगलर हवाला से रुपए मंगवाते हैं और कुरियर के जरिए गोल्ड भारत में भेज देते हैं। खुद कभी पकड़ में नहीं आते।
– स्मगलिंग में मुनाफा इतना होता है कि एक-दो बार गोल्ड पकड़ा भी जाए तो कोई बड़ा नुकसान नहीं होता।
जितना बड़ा रिस्क, उतनी बड़ी कमाई
देश में गोल्ड की कीमत कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। 10 ग्राम सोने की कीमत 50 हजार के पार है। इम्पोर्टेड गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी 5% बढ़कर 15% प्रतिशत हो गई है। इस पर GST भी लगता है। ऐसे में सोना खरीदना महंगा सौदा हो चुका है। स्मगलिंग के जरिए एक किलो गोल्ड के दाम में 5 से 6 लाख रुपए का अंतर आता है। बड़े मुनाफे के इस खेल में स्मगलर हर रिस्क उठाने को तैयार रहते हैं।
20 लाख रुपए की वैल्यू तक की गोल्ड स्मगलिंग के मामलों में कस्टम ड्यूटी नॉन पेड़ गोल्ड को जब्त कर लिया जाता है। जब्त किया गया गोल्ड सरकारी कोष में जमा कर लिया जाता है। कुछ मामलों में प्रोसेस अपनाकर अगर कस्टम ड्यूटी चुका दी जाए तो उच्च अधिकारियों के डिसीजन से पकड़ा गया गोल्ड भी छूट जाता है। इसके चलते 20 लाख रुपए तक की गोल्ड तस्करी में ज्यादा रिस्क भी नहीं होता है। वहीं इससे ज्यादा वैल्यू का गोल्ड होने पर आरोपी को गिरफ्तार कर गोल्ड जब्त कर लिया जाता है। इसके बाद गिरफ्तार आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाता है, जहां उसे थोड़े टाइम बाद जमानत मिल जाती है और वो जेल से छूट जाता है।
कस्टम टीम से एडवांस सोचते हैं स्मगलर
सांगानेर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के असिस्टेंट कस्टम कमिश्नर भारत भूषण अटल ने बताया कि गोल्ड स्मगलिंग पर जांच एजेंसियां पूरी नजर रखती हैं। लगातार कार्रवाई भी की जा रही हैं। बावजूद इसके अभी इसे 100 प्रतिशत प्रूफ नहीं कर पाए हैं। स्मगलर हर बार नए तरीके से स्मगलिंग करते हैं। हमारी हर कार्रवाई में टाइप ऑफ स्मगलिंग चेंज आई है। ऐसे में कस्टम टीम भी इन तरीकों समझने का लगातार प्रयास करती रहती है।
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