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संगीतमयी भाव यात्रा से हुए श्राविक श्रााविकाऐं हुई भाव विभोर : मुनि श्रृतानंद के सान्निध्य मे गिरनार कल्याणक भूमि स्थित 22वें तीर्थंकर नमीनाथ के किये भाव दर्शन

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बीाकनेर, 25 अगस्त। जैन मुनि पुष्पेन्द्र म. सा. व श्रृतानंद म.सा के चार्तुमास विहार पर चले धार्मिक आयोजन के तहत आज गिरनार भाव यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा का शुभारंभ कोचरों के चैक से संघपति द्वारा पूरे परिवार व श्रावक श्राविकाओं सहित नेमीनाथ भगवान के जयकारों से गाजे बाजे के साथ रांगड़ी चैक स्थित प्रवचन स्थल पौषधशाला पहुंची।
इस अवसर पर पौषधशाला को विशेष सुस्सज्ति किया गया तथा भगवान मूल नायक नेमीनाथजी की मूरत तथा श्री संघ की स्थापना की गई। संघपति शांतिलाल कोचर व उनके परिवार के साथ महेन्द्र कोचर द्वारा संगीतमयी भजन संघवीर जी थारी माया से पुण्य कमाओ नी भजन से स्वागत किया इस पर संघवीर परिवार द्वारा नेमीनाथ भगवान के समक्ष सामूहिक नृत्य किया। तदोपरांत उपस्थित सभी श्रावक श्राविकाओं ने मिलकर नेमीनाथजी के समक्ष प्रार्थना और गुरु वंदन किया। ओम नमो अरिहंताणम मंत्र वाचन करते हुवे आगे बढ़े फिर एक ओर ‘तुम कृपा करो दाता, मैं संघ निकालूंगा, इतिहास बना दूंगा, मैं भाई भतीजों संग, शीश नवा दूंगा, बहन बेटियों के गहने बना दूंगा . . .।
संगीतमयी धारा को अल्प विराम देते हुए मुनि श्रृतानंद म.सा. ने कल्याणक भूमि गिरनार की महिमा बताई और भक्तों को कहा कि सभी साधर्मिकों को इस भूमि के बारे पता चलनी चाहिए, मान्यता है की एक पक्षी भी इस तीर्थ मंदिर के ऊपर निकल जाए तो उसका मोक्ष हो जाता है। सिद्धशीला, राजुल और रहमति की संवाद हुआ था, ऋषि मुनियों की प्रिय भूमि रही हे, आज इसका ऐसा गुणगान करे की पैदल यात्रा का संघ गिरनार यही बैठा भाव से देखता रहें । श्रृतानंद म.सा. के सान्निध्य मे दो मिनट शांत रहकर मानसिक रूप से सभी प्राणियों की मंगल कामना के साथ उपस्थित सभी श्रावक श्रााविकाऐं भावनात्मक रूप से पौषधशाला से निकलकर रेल्वे स्टेशन पहुंचे, ट्रेन में बैठे, गुजरात का जूनागढ़ और फिर जहां से तलहटी पहुंचे जहां से 6 किलोमीटर दूर पर आदिनाथ प्रभु पर शीश नवाकर नमीनाथ का गिरनार पर्वत का दृश्य देखा। तहलटी के पास आदिनाथ भगवान के जिनालय और फिर माता अंबिका के जिनायलय पर शीश नवाया गया। गुरू की आज्ञा पर थोड़ी देर मानसिक विश्राम लिया गया और इसके साथ ही संघ परिवार मे शामिल श्राविकाओं द्वारा गिरनार देव नमीनाथ के मूरत के समक्ष संगीत पर गरबा नृत्य किया गया।
विश्राम बाद पुनः नमीनाथ भगवान के मंदिर तक श्रावक श्रााविकओं ने आगे की यात्रा 3800 सीधी चढ़ने से शुरू की इस रास्ते पर खूब मंदिर जिनालय आये जिसके आगे नमन करते हुवे आगे बढ़ते रहे है। किले के दरवाजे से हम प्रवेश करते ही जयकारे लगाये गये।
इस दौरान मुनि श्रृतानंद म. सा. ने कहा तीर्थों की मूल जानकारी प्राकृत भाषा में होती है इसके साथ ही प्रदीक्षणा का महत्व, तिलक का महत्व बताया। प्रभु के दर्शन के साथ प्रदीक्ष्णा का पानी मिलता है, तीन प्रदीक्षण की आज्ञा दी हे, तिलक जिन शासन की पहचान है, इसे लगाने चाहिए। नेमीनाथ भगवान के मुख्य प्रांगण तक पहुंचने पर संगीत की धुन पर गुरू की महिमा बखान दाता लाठी बन जाते, उंगली पकड़ कर रास्ता दिखाते हे, दाता साथी बन जाते है गीत से आगे बढ़ते है। इसी तरह भजन गाते हुवे सब मिलकर गिरनार चलिए, इस तीर्थ की महिमा अपरम्पार ही जहां नेमीनाथ भगवान है। फिर गुरु आदेश से आगे बढ़कर गर्भ गृह पहुंचकर नेमीनाथ भगवान की ऐतिहासिक विग्रह के दर्शन कर भाव विभोर होकर शीश नवाया और जयकारे लगाए। इस अवसर पुष्पेंद्र मंदिर में जैन ग्रंथोनुसार मंत्रोचार किया और सभी भक्त ों को गुरु आशीष दी। ऋषभदेव जिनायालय, पांच मेरू स्मरण, चैमुक देव जी, आबू पर्वत पर विराजीत 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी सहित यात्रा के दौरान आने सभी जिनालयों के मानसिक दर्शन चलते रहे और अंत में भाव यात्रा के अंत में मूलनायक नेमीनाथ प्रभु नेमीनाथ जी के मोक्ष स्थल के दर्शन करवाए गए।
और इस पर एक संगीमय प्रस्तुति होती प्रभु वीर की वाणी को घर घर पहुंचाएंगे, जैनी है हम, फर्ज निभाएंगे, ना श्वेतांबर कोई, ना कोई दिगंबर कोई, सबसे पहले तो हम जैनी कहलाएंगे …
इस बीच साधु जीवन पर संयम जीवन पर नाटिका नो टेंशन पेश किया गया.. , श्रीवल्लभ गुरु के चरणों में दममज उठ शीश नवाया हूं … नेमीनाथ ने नमो नमो, गिरिनाथ ने नमो नम, सिद्ध शीला ने नमो नम … वंदन होगी आरती . . ., विनती धर लो प्यारो लागे संसारी रो संघ प्यारो लागे वेग .. . नेमीनाथ के चरणों में आकर के झुक जाना, ये पावन भूमि यह बात बार आना . . ., जगमग तारवालू, हेमा म्हारो प्रभु जी, सोना सुहावना जैसे अनेकों भजन से भक्ति यात्रा को बांधे रखा।
आज के कार्यक्रम मे शांतिदेवी धानमल चैपड़ा ज्योति बेन दीपचंद चैपड़ा हस्ते अशोक चैपड़ा मुम्बई की तरफ से रज्जोहरण के प्रस्तुताओं को चांदी की मुद्रिकाओं से पुरस्कृत किया गया जिसमे दिया शांति लाल कोचर ने सपत्निक दिया सिानी प्रथम, वर्षा बंटी कोचर द्वितीय, मुनित कोचर तीसरे श्रीबेन कमल कोचर, कुसुम बेन पिंकी सिपानी पंचम स्थान पर पुरस्कृत हुई इसी के साथ सुरेंद्र बधानी और शांति लाल भंसाली ने सपत्नीक मधु नाहटा को द्वितीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान, मंजू राजु कोचर द्वितीय, गंगानगर राधिका सिपानी तीसरे स्थान, नीति राहुल कोचर चतुर्थ स्थान पर, पूजा मनीष पंचम को पुरस्कृत किया ।
कार्यक्रम के अंतिम चरणों मे एक बार फिर संगीतमयी प्रस्तुतीयों में संत का सत्कार होना चाहिए, देव सा व्यवहार होने चाहिए, संत को पूजो ना पूजो, विश्व ही परिवार होना चाहिए, देव सा मेहमान होना चाहिए . . ., अंत में जिन की प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा भजन के साथ भव्य यात्रा संपन्न हुई, जिसकी खूब अनुमोदना की गई। आयोजन के अंत में राहुल कोचर ने नेमिदेव बाबा की ध्वजा पर ऊंचा ऊंचा गिरनार पर पताका लहराएं गाकर सभी श्रावक श्राविकाओं को भाव विभोर कर दिया ।
आत्मानंद जैन सभा चार्तुमास कमेटी के सुरेन्द्र बद्धानी ने बताया कि आज की भाव यात्रा का लाभार्थी परिवार भंवरलाल सुन्दर लाल, शान्तीलाल देवेन्द्र कुमार कोचर रहा। संगीतमयी प्रस्तुतीयां गायक महेन्द्र कोचर व उनकी टीम द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन अजय बेद द्वारा किया गया। सोमवार को परमात्मा भक्ति के लिए सौम्य महिला मंडल द्वारा पूजा के समय स्नात्र पूजा होगी जिसमे पूजा वस्त्र होंगे। कल दोपहर तीन बजे महिलाओं द्वारा तपस्या गीत प्रस्तुति होगी जिसका लाभान्वित परिवार प्रसन्नचंद कोचर होंगें। आज का क्रमिक आयंबिल मांगी देवी द्वारा किया गया तथा कल का आयंबिल पिंकी बेद द्वारा किया जायेगा।

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