आधुनिक काल के जयदेव थे रमाकांत रथ – माधव कौशिक
नई दिल्ली 9 अप्रैल 2025। साहित्य अकादेमी द्वारा आज ओड़िआ के प्रसिद्ध कवि,अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष एवं महत्तर सदस्य रमाकांत रथ की स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने उन्हें आधुनिक काल के जयदेव के रूप में याद करते हुए कहा कि उन्हें केवल श्रीराधा पुस्तक से ही नहीं बल्कि अन्य काव्य संग्रहों के आधार पर भी देखना होगा क्योंकि वे भी महत्वपूर्ण है और बदलते भारत के तनाव को व्यक्त करते हैं। वे आधुनिक भारतीय काव्य के शिखर पुरुष थे। साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ओडिशा का साहित्यिक परिदृश्य उनके द्वारा ही तैयार किया गया। उनके चिंतन और ज्ञान से पूरे देश के पाठक ही नहीं है बल्कि साहित्य अकादेमी भी लाभान्वित हुई। उनकी पुत्री श्यामा रथ ने उन्हें अपने पिता यानी बाबा के रूप में याद करते हुए कहा कि वह साहित्य अकादेमी से लंबे समय तक जुड़े रहे और उसके लिए बहुत मेहनत करते थे। वे नई युवा पीढ़ी को भी आगे बढ़ाने के लिए हमेशा चिंतित रहते थे। शांतनु जी ने उन्हें अपने स्कूली मित्र के रूप में याद करते हुए कहा की श्रीराधा पुस्तक में उनके व्यक्तित्व को पूर्णता प्रदान की। मालाश्री लाल ने कहा कि गीत गोविंद की राधा की अपेक्षा उनकी राधा अधिक मानवीय सोच के साथ हमारे सामने आती है।
सुकृता पाल कुमार ने उनकी कविताओं के हिंदी अनुवाद की चर्चा करते हुए कहा कि इस भाषा में अनुवाद में भी ओड़िआ कविता की सांगीतिक ध्वनियां महसूस की जा सकती हैं। आगे उन्होंने यह भी कहा कि श्रीराधा के जरिए उन्होंने पारंपरिक सोच को आधुनिकता के रूप में प्रस्तुत किया । मृत्यु के बहुत ज्यादा उल्लेख होते हुए भी उनकी कविताएं जीवन से जुड़ी हुई थीं और उनकी दार्शनिकता उनको और महत्वपूर्ण बनाती है । गौर हरिदास ने मृत्यु से संबंधित उनकी कविताओं पर आलोचनात्मक दृष्टि रखते हुए कहा कि उन्होंने अपने अनुभव से सच्चाई संबंधी अनुभव साझा किए। जब तक ओड़िआ भाषा रहेगी तब तक उनकी कविताएं उपस्थित रहेंगी । जतिन कुमार दास ने उनकी भाषा और उसमें इस्तेमाल किए गए प्रतीकों की चर्चा करते हुए उन्हें बेहद महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय बताया। पारमिता सतपथी ने कहा कि उनके स्कूल के दिनों में श्रीराधा हर जगह पढ़ी जाती थी और युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय थी। उनकी कविताओं ने युवाओं को बेहद प्रभावित किया था। अपने व्यक्तिगत जीवन में वे बहुत ही विनोदपूर्ण स्वभाव के थे। सुमन्यु सतपथी ने उन्हें पूरे भारत के महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में याद करते हुए उनके काव्य संग्रह श्रीपलातक के बारे में विशेष रूप से चर्चा की और कहा कि वे भारत में नाटकीय और लंबे एकालाप के जनक थे। जितेंद्र नाथ मिश्र ने उज्जवल भविष्य कविता के संदर्भ से उनके व्यक्तित्व को प्रस्तुत किया।
प्रतिभा राय का शोक संदेश पढ़कर सुनाया गया और अंत में एक मिनट का मौन रखकर श्रंद्धाजलि व्यक्त की गई।
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