DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS MIDDLE EAST COUNTRIES

सीरिया में हफ्तेभर में तख्तापलट कैसे हुआ, राष्ट्रपति असद कहां भागे, आगे क्या होगा; वो सब कुछ जो जानना जरूरी

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

सीरिया में हफ्तेभर में तख्तापलट कैसे हुआ, राष्ट्रपति असद कहां भागे, आगे क्या होगा; वो सब कुछ जो जानना जरूरी

8 दिसंबर यानी रविवार की सुबह। सीरिया की राजधानी दमिश्क पर 11 दिनों से लड़ रहे विद्रोही गुटों का कब्जा हो गया। दोपहर तक खबर आई कि राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग चुके हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि परिवार के साथ असद रूस की राजधानी मॉस्को पहुंच गए हैं।

हफ्तेभर पहले तक देश के एक बड़े हिस्से पर अल-असद सरकार का नियंत्रण था, फिर अचानक सब कुछ कैसे बदल गया, इस गृह युद्ध की जड़ में क्या है और आगे क्या होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: सीरिया में गृह युद्ध का माहौल कैसे बना, शुरुआत कहां से हुई?

जवाबः सीरिया की मौजूदा तस्वीर के बनने की शुरुआत 2011 में हुई। 13 साल पहले अरब स्प्रिंग के दौरान सीरिया में सरकार का विरोध शुरू हुआ, जो खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया। विरोध करने वालों का मानना था कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के पक्षपाती हैं। दरअसल, अलावी से जुड़े लोगों और रिश्तेदारों की सरकार और सरकारी नौकरियों में भरमार थी, जो मेजॉरिटी पॉपुलेशन को नागवार थी।

असद ने विरोध करने वालों पर कठोर कार्रवाई की। यहीं से सीरिया में गृह युद्ध की आग भड़क उठी। इस गृह युद्ध में सीरियाई सरकार, कई चरमपंथी गुट समेत अमेरिका, ईरान और रूस जैसे देश भी शामिल थे। इस कारण 5 लाख से ज्यादा सीरियाई लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हो गए।

रूस ने असद की मदद की और गृह युद्ध को पलटने में अहम भूमिका निभाई। रूसी सेना की मदद से असद ने अपना शासन मजबूत किया।

जुलाई 2024 में सीरियाई राष्ट्रपति अल-असद ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मॉस्को में मुलाकात की थी।

जुलाई 2024 में सीरियाई राष्ट्रपति अल-असद ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मॉस्को में मुलाकात की थी।

सवाल-2: पिछले 11 दिनों में सीरिया में क्या-क्या हुआ?

जवाबः 27 नवंबर को सीरिया में इस्लामी विद्रोहियों और सीरियाई सेना के बीच झड़पें शुरू हुईं। धीरे-धीरे विद्रोही गुटों ने हमला तेज किया। पिछले एक हफ्ते में विद्रोही गुट ने सीरिया की राजधानी दमिश्क समेत 5 बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया। इनमें अलेप्पो, हमा, होम्स और दारा शामिल हैं।

8 दिसंबर को सीरियाई सेना ने राष्ट्रपति असद के देश छोड़ने की पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रपति की सत्ता खत्म हो चुकी है। इसी के साथ असद परिवार का 54 सालों का शासन खत्म हो गया।

असद के देश छोड़ने के बाद सीरियाई PM मोहम्मद गाजी अल-जलाली ने विद्रोहियों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया। जलाली ने एक वीडियो में कहा है कि वो देश में ही रहेंगे और जिसे भी सीरिया के लोग चुनेंगे, उसके साथ मिलकर काम करेंगे।

सीरिया के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा, ’सीरिया के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है, जो सभी सीरियाई लोगों को एक साथ लाएगा।’

सवाल-3: सीरिया में जारी मौजूदा उठापटक के अहम किरदार कौन हैं?

जवाबः सीरिया की मौजूदा उठापटक के पीछे तीन अहम किरदार हैं, जिसमें राष्ट्रपति अल-असद, हयात तहरीर अल शाम (HTS) और सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) शामिल हैं।

इसके अलावा कई अन्य सीरियाई मिलिशिया भी अपने एजेंडे और मांगों के लिए लड़ रहे हैं। इसके अलावा तुर्किये, रूस, अमेरिका, ईरान, हिजबुल्लाह और इजराइल जैसी विदेशी ताकतें किसी-न-किसी तरह से इसमें शामिल हैं।

सवाल-4: सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद देश छोड़कर क्यों भागे?

जवाबः सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (SOHR) के प्रमुख रामी अब्देल रहमान के मुताबिक, दमिश्क इंटरनेशनल एयरपोर्ट से असद ने देश छोड़ा है, जिसकी हिफाजत सीरियाई सेना करती थी। सैनिकों ने कुछ ही समय बाद इसे छोड़ दिया और लड़ाकों ने इसे अपने कंट्रोल में ले लिया।

7 दिसंबर की रात विद्रोही लड़ाके होम्स में इकट्ठा हुए। (तस्वीर: Reuters)

7 दिसंबर की रात विद्रोही लड़ाके होम्स में इकट्ठा हुए। (तस्वीर: Reuters)

दरअसल, बीते कुछ सालों से असद सीरिया में काफी अलोकप्रिय हो गए थे। साथ ही सीरियाई सेना के ज्यादातर सैनिक असद के लिए नहीं लड़ना चाहते थे। साथ ही असद को सत्ता में बने रहने के लिए रूसी और ईरानी मिलिट्री का सपोर्ट लेना पड़ता था।

जानकारों का मानना है कि यूक्रेन के साथ जंग में रूस उलझा हुआ है। वहीं ईरान और उसके लेबनानी साथी हिजबुल्लाह को इजराइली हमलों से नुकसान पहुंचा है। ऐसे में रूस और ईरान लड़खड़ाती सीरियाई सेना की मदद के लिए आगे नहीं आ सके।

वहीं हमले के दौरान सेना और पुलिस के अधिकारी और जवान अपनी चौकियां और हथियार छोड़कर भागने लगे थे। विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क तक पर कब्जा कर लिया था। साथ ही सीरिया में बढ़ती महंगाई और कमजोर अर्थव्यवस्था ने सरकार को और कमजोर कर दिया था। ऐसे हालातों में असद को देश छोड़ना पड़ा।

सवाल-5: राष्ट्रपति असद को किस देश में पनाह मिल सकती है?

जवाबः सीरियाई PM अल-जलाली ने बताया कि असद और रक्षा मंत्री अली अब्बास दोनों अज्ञात जगह पर हैं। शनिवार यानी 7 नवंबर की रात को उनका संपर्क टूट गया था।

रूसी न्यूज एजेंसी स्पूतनिक ने क्रेमलिन के एक सोर्स के हवाले से रिपोर्ट किया कि ‘रूस ने सीरियाई राष्ट्रपति असद को शरण दे दी है। असद और उनका परिवार मॉस्को पहुंच चुका है।’

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) में फेलो कबीर तनेजा बताते हैं,

QuoteImage

अगर UAE शरण देता है तो असद वहां रुक भी सकते हैं। इसके अलावा असद या तो रूस जा सकते हैं या फिर ईरान, लेकिन इन तीन के अलावा कोई और देश उन्हें नहीं अपनाएगा।QuoteImage

सवाल-6: मौजूदा तख्तापलट पर सीरिया की आम जनता का रुख क्या है?

जवाबः सीरिया के मौजूदा हालातों के कारण अब तक 3.70 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। इसके बावजूद लोग असद सरकार के गिरने की खुशी मना रहे हैं। लोग खुशी से टैंकों पर चढ़ गए। झंडा लहराने लगे और हवा में गोलियां भी चलाईं।

अल-जजीरा के मुताबिक, लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ने और सड़कों पर जश्न मनाने के लिए जुटे। साथ ही लोगों ने असद के खिलाफ नारे लगाए और कारों के हॉर्न बजाए। कुछ जगहों पर लोगों ने अल-असद के पिता हाफिज की मूर्तियां भी गिरा दीं।

जश्न मनाने के लिए लोग अलेप्पो के सादल्लाह अल-जबीरी स्क्वायर में इकट्ठा हुए। (तस्वीर: Reuters)

जश्न मनाने के लिए लोग अलेप्पो के सादल्लाह अल-जबीरी स्क्वायर में इकट्ठा हुए। (तस्वीर: Reuters)

सवाल-7: क्या सीरिया के मौजूदा हालात से भारत पर भी कोई असर होगा?

जवाबः ORF में रिसर्चर कबीर तनेजा मानते हैं कि भारत पर सीरिया के मौजूदा हालात का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। वे कहते हैं, ‘सीरिया के साथ न तो हमारा कोई खास ट्रेड है और न ही कोई खास इन्वेस्टमेंट, लेकिन ग्लोबल सिक्योरिटी के मोर्चे पर ये अच्छी खबर नहीं है। अफगानिस्तान के बाद ये दूसरा देश है, जहां उग्रवादी संगठन ने तख्तापलट किया है।’

कबीर कहते हैं,

QuoteImage

असद के भारत के साथ अच्छे रिश्ते थे। साथ ही कश्मीर के मुद्दे पर उनका रुख काफी व्यावहारिक था। अगर HTS सीरिया की सत्ता में आता है तो भारत के साथ रिश्तों में बदलाव देखने को मिल सकते हैं।QuoteImage

सीरिया में बने ताजा हालातों के बाद इराक ने अपना बॉर्डर बंद कर दिया है और उसकी सिक्योरिटी बढ़ा दी है। साथ ही दमिश्क में मौजूद दूतावास खाली कर दिया है। इजराइल ने भी गोलान हाइट्स पर सेना का डिप्लॉयमेंट बढ़ा दिया है।

जुलाई 2023 में भारत के विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने सीरियाई राष्ट्रपति अल-असद के साथ बैठक की थी।

जुलाई 2023 में भारत के विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने सीरियाई राष्ट्रपति अल-असद के साथ बैठक की थी।

सवाल-8: इस मामले में आगे क्या हो सकता है?

जवाबः HTS के चीफ अबू मोहम्मद अल-जौलानी ने एक ट्रांजिश्नल अथॉरिटी बनाने की घोषणा की है। वहीं सीरियाई PM अल-जलाली को सरकारी संस्थाओं का कार्यवाहक नियुुक्त किया गया है। एक बयान में अल-जलाली ने जनता की ओर से चुने गए किसी भी नेता को सपोर्ट करने की बात कही है।

कबीर तनेजा कहते हैं, ‘सीरियाई पॉलिटिक्स को लेकर अभी कुछ कहना मुश्किल है। करीब 54 साल शासन कर असद परिवार ने अपोजिशन को बनने ही नहीं दिया। या तो विरोधी नेताओं को जेल भेज दिया या फिर सीरिया से ही बाहर निकाल दिया। ऐसे में अल-जौलानी जैसे लोगों को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि PM जलाली ने इलेक्शन करवाने की बात कही है।’

सवाल-9: सीरिया में आखिर समस्या की जड़ क्या है?

जवाबः कबीर तनेजा मानते हैं कि इस्लामिक धाराओं के बीच सत्ता की लड़ाई सीरिया में समस्या की जड़ है। वे कहते हैं, ‘असद परिवार किसी पॉलिटिकल प्रोसेस या इलेक्शन के जरिए सत्ता में नहीं आया था। उन्होंने तख्तापलट के बाद देश की कमान संभाली थी।

करीब 50 साल से ज्यादा समय तक असद परिवार ने सीरिया में शासन किया, लेकिन असद परिवार अलावी शिया मुस्लिम है, जिनकी सीरिया में महज 10% आबादी है। वहीं 70-80% आबादी सुन्नी मुस्लिम है। ऐसे में इतने लंबे समय तक मेजॉरिटी पॉपुलेशन पर एक माइनॉरिटी का रूल करना, पावर में रहना, एक टेंशन की बात बन गई थी।’

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!