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सुधांश पंत चीफ सेक्रेटरी की दौड़ में सबसे आगे:PM मोदी की टीम के दो अफसरों पर भी निगाहें, 15 IAS को मिलेगी टॉप पोस्टिंग

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सुधांश पंत चीफ सेक्रेटरी की दौड़ में सबसे आगे:PM मोदी की टीम के दो अफसरों पर भी निगाहें, 15 IAS को मिलेगी टॉप पोस्टिंग

राजस्थान में मुख्य सचिव के लिए सीनियर आईएएस सुधांश पंत प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वे दिल्ली में केन्द्रीय मेडिकल एंड हेल्थ डिपार्टमेंट में सचिव के पद पर थे। पंत 1991 बैच के अधिकारी हैं। उनका नाम लगभग इसलिए भी तय माना जा रहा है क्योंकि शनिवार को उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय से रिलीव कर दिया गया है।

पंत के अलावा टॉप कुर्सी की रेस में आईएएस संजय मल्होत्रा और शुभ्रा सिंह भी हैं। नई सरकार का मंत्रिमंडल बनने के बाद अब चीफ सेक्रेटरी लेकर चल रही अटकलें अगले 24 घंटे में थम जाएंगी।

राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद केन्द्र सरकार, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व और सीएम भजनलाल शर्मा की कोशिश मुख्य सचिव ऐसे अफसर को नियुक्त करने की है जो राजनीतिक प्रभाव से अलग हो और रिजल्ट दे सके। अफसरों के नाम पर मंथन के बाद इन तीनों पर निगाहें टिकी हैं।

सुधांश पंत राजस्थान में कई जिलों के कलेक्टर रहे

राजस्थान में कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन जलदाय मंत्री महेश जोशी से नहीं बनने के बाद लगातार इधर-उधर तबादलों से परेशान होकर सुधांश पंत सवा साल पहले राजस्थान से दिल्ली चले गए थे। जहाजरानी मंत्रालय में सचिव पद पर रहने के बाद उन्हें हाल ही स्वास्थ्य मंत्रालय में तैनात किया गया है।

वे राजस्थान के कई जिलों में कलेक्टर रहे। उन्हें देश के काबिल अफसरों में से गिना जाता है। संभव है कि वे वापस राजस्थान लौट आएं। जब देश में कोरोना फैला था (2020-2022) तब पंत राजस्थान में थे, केन्द्र सरकार ने उनकी विशेष सेवाएं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में ली थीं। केन्द्र सरकार उनकी काबिलियत से परिचित है। केंद्र उन्हें राजस्थान भेज कर यहां की सरकार को एक खास दिशा देना चाहेगा।

ये बात मशहूर है- वे किसी भी मुद्दे पर काम करने से पहले उस पर जमकर रिसर्च करते हैं। वे पार्क में घूमते और वॉक करते समय भी इंटरनेट से कुछ न कुछ खंगालते, सुनते, देखते रहते हैं। जब सीएम के सामने कोई प्रेजेंटेशन देते हैं तो उस रिसर्च के हवाले से ही देते हैं। ऐसे में उनकी बात और विचार का गहरा असर हर मीटिंग में देखा जाता है।

संजय मल्होत्रा की सीनियरिटी राज्य काडर में 7वें नंबर पर

फाइनेंस के मामलों में मल्होत्रा को सुधारवादी और मजबूत काम करने वाले अफसरों में गिना जाता है। मल्होत्रा की सीनियरिटी राज्य काडर में सातवें नंबर पर हैं। उन्हें राजस्थान के लगभग सभी विभागों में काम करने का अनुभव है। केन्द्र में वित्त मंत्रालय में काम कर चुके हैं।

वे मूलत: राजस्थान के ही रहने वाले भी हैं। ऐसे में संभव है कि वे राजस्थान के नए सीएस बनकर आ जाएं। मल्होत्रा को पीएम नरेन्द्र मोदी के पसंदीदा अफसरों में से गिना जाता है। उन्हें जल्द ही केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव के स्तर पर प्रमोट भी किया जाना है।

ऐसे में मुख्य सचिव के पद पर जाने के लिए उन्हें केन्द्र सरकार के स्तर पर ही राजी किया गया है, क्योंकि राज्य काडर में मुख्य सचिव ही केन्द्र सरकार के सचिव के बराबरी का पद होता है। मल्होत्रा की काबिलियत को देखते हुए पिछले 25 वर्षों में सीएम रहे अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे ने भी मल्होत्रा को हमेशा टॉप पोस्टिंग दी थी। जब केन्द्र में भाजपा सरकार बनी तो वहां भी मल्होत्रा को टॉप पोस्टिंग मिली। राजस्थान की कमजोर वित्तीय स्थिति को देखते हुए मल्होत्रा के अनुभव को काम लेने की योजना बनाई गई।

ये बात मशहूर है- मल्होत्रा किसी भी मुद्दे पर दो टूक बात करते हैं। वे किसी भी व्यक्ति के साथ तीन मिनट से ज्यादा बात करना पसंद नहीं करते। उनका मानना है कि महत्वपूर्ण बात 3 मिनट में आसानी से पूरी की जा सकती है।

शुभ्रा सिंह राजस्थान काडर की टॉप अफसर

शुभ्रा करीब 10 साल दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर रहने के बाद साल भर पहले ही जयपुर लौटी हैं। वे राजस्थान काडर के टॉप-5 अफसरों में से एक हैं। मुख्य सचिव की कुर्सी के लिए उनका नाम इसलिए भी चर्चाओं में हैं क्योंकि राजस्थान काडर के हर ब्यूरोक्रेट को किसी न किसी पॉलिटिकल लीडर के साथ जोड़ा जाता रहा है, लेकिन उन्हें नहीं।

अगर शुभ्रा को मुख्य सचिव बनाया गया तो राजस्थान काडर में वे तीसरी महिला आईएएस अफसर होंगी जो इस कुर्सी पर पहुंचेंगी। उनसे पहले कुशल सिंह (2009-10) और उषा शर्मा (2022-23) राजस्थान की सीएस रही हैं। शुभ्रा के पति रिटायर्ड आईएएस समीर सिंह हैं।

ये बात मशहूर है- वे कभी पार्टियों, समारोहों, पुरस्कार वितरण, मीडिया कार्यक्रम आदि में नहीं जातीं। उनके सामने जब किसी विभागीय मुद्दे की फाइल आती हैं, तो वे उस पर बिना एक पल गंवाए अपनी राय लिखती हैं। उनकी वर्किंग टेबल पर कोई फाइल 24 घंटे से ज्यादा पेंडिंग नहीं रहती।

2013 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने राजीव महर्षि को मुख्य सचिव बनाया था।

2013 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने राजीव महर्षि को मुख्य सचिव बनाया था।

वर्ष 2013 में CS की कुर्सी पर दिल्ली से आए थे IAS महर्षि

वर्ष 2013 में जब भाजपा सरकार बनी थी तो वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनी थीं। राजे ने तब राजीव महर्षि को मुख्य सचिव बनाया था। महर्षि उस वक्त दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर थे। महर्षि करीब 6 महीने राज्य के मुख्य सचिव रहे। उसके बाद मई-2014 में केन्द्र में भी भाजपा की सरकार बनी और प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी। मोदी के पीएम बनने के तुरंत बाद महर्षि वापस दिल्ली लौटे और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव बने।

सरकार की हार-जीत तय करती है ब्यूरोक्रेसी

ब्यूरोक्रेसी सरकारी की हार-जीत तय करती है। ऐसे में ब्यूरोक्रेट की छवि को भी साफ-सुथरी रखना भाजपा जरूरी मानती है। इसीलिए प्रदेश में नए सीएम और नई सरकार बनने के बावजूद अभी तक केन्द्र सरकार व भाजपा के स्तर पर पिछले 15 दिनों से मंथन ही किया गया है। जल्दबाजी में कोई तबादले-पोस्टिंग नहीं की गई हैं।

कांग्रेस की सरकार के दौरान ब्यूरोक्रेसी के हावी होने की बातें उजागर हुई थीं। बहुत से विभागों में ब्यूरोक्रेट्स भी आरोपों व जांच में घिरे। कांग्रेस सरकार की हार में भी ब्यूरोक्रेसी की नेगेटिव भूमिका की बात स्वयं कांग्रेस की समीक्षा बैठक में भी उठी थी।

कांग्रेस की दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में राहुल गांधी ने भी कांग्रेस सरकार की योजनाओं को अच्छा लेकिन अफसर-बाबुओं के हावी होने को हार का एक प्रमुख कारण माना था। भाजपा ने भी विपक्ष में रहते हुए अफसरशाही की लापरवाही, भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी न देने को राजनीतिक मुद्दा बनाया था। ऐसे में भाजपा सरकार ब्यूरोक्रेट्स के चयन में बेहद सावधानी बरतने वाली है।

दिल्ली में कांग्रेस की समीक्षा बैठक में राहुल गांधी ने माना था कि राजस्थान में हार का एक कारण ब्यूरोक्रेसी भी रही।

दिल्ली में कांग्रेस की समीक्षा बैठक में राहुल गांधी ने माना था कि राजस्थान में हार का एक कारण ब्यूरोक्रेसी भी रही।

यह 15 आईएएस अफसर रहेंगे टॉप पोस्टिंग पर

केन्द्र सरकार, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और सीएम भजनलाल शर्मा के बीच पिछले 15 दिनों में हुए मंथन में से 15 और आईएएस अफसरों के नाम भी उभर कर आए हैं, जिन्हें जल्द ही टॉप पोस्टिंग पर देखा जाएगा। इनके चयन के पीछे भी एक ही आधार रखा गया है गैर विवादित और परिणाम देने की काबिलियत वाली छवि का होना।

1. डाॅ. प्रवीण कुमार गुप्ता

राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के पद पर गुप्ता पिछले 3 वर्ष से काम कर रहे हैं। पूरे देश में चुनावों के दौरान राजस्थान में इक्का-दुक्का छिटपुट घटनाओं को छोड़कर चुनाव पूरी तरह से सुरक्षित रहे। उनके नेतृत्व में राजस्थान में मदातन प्रतिशत भी लगभग 75 प्रतिशत को छू गया।

2. वैभव गालरिया

वैभव को प्रदेश में परिणाम देने वाले अफसरों में गिना जाता है। ऐसे में उन्हें भी टॉप पोस्टिंग मिलना तय माना जा रहा है।

3. डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी

जन साधारण के बीच सरकार की योजनाओं को लेकर विशेष काम करने और उन्हें सफल बनाने के लिए सोनी को जाना जाता है।

4. अजिताभ शर्मा

अजिताभ शर्मा को बड़े प्रोजेक्ट हैंडल करने का पर्याप्त अनुभव है। वे विभिन्न जिलों में कलेक्टर भी रहे हैं। ऐसे में जनता से जुड़े मुद्दों पर अच्छी पकड़ है।

5. हेमंत गेरा

गैर विवादित छवि है और किसी भी विभाग में लगातार जुटे रहकर कार्य करने के लिए जाने जाते हैं।

6. नवीन जैन

किसी भी विभाग में रहते हुए नवाचार करने के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें सरकारी योजनाओं को राजधानी से लेकर अंतिम आदमी तक पहुंचाने के लिए जाना जाता है।

7. समित शर्मा

शर्मा को प्रदेश में चलने वाली मुफ्त दवा योजना का शिल्पी माना जाता है। नवाचार और मॉनिटरिंग के लिए उन्हें काबिल अफसर माना जाता है।

8. गौरव गोयल

गोयल एक ऐसे अफसर रहे हैं, जिन्हें अपने 17 वर्ष के कॅरियर में हमेशा हर सरकार में बेहतरीन पोस्टिंग मिली है, क्योंकि वे परिणाम देने में माहिर माने जाते हैं।

9. गौरव अग्रवाल

अग्रवाल किसी भी कार्य को तय समय में पूरा करने और बिना लाग-लपेट त्वरित फैसले करने के लिए जाने जाते हैं।

10. आनंदी

आनंदी को फिलहाल अस्थाई रूप से सीएमओ में लगाया गया है, लेकिन अब उम्मीद है कि वे सीएमओ में ही रहेंगी। वहां से बाहर आने पर भी उन्हें बेहतर पोस्टिंग मिलेगी क्योंकि सरकार के काम-काज की मॉनिटरिंग के लिए उन्हें अच्छा अफसर माना जाता है।

11. के. के. पाठक

पाठक राजस्थान काडर के एक ऐसे अफसर रहे हैं, जिनका कभी किसी सीएम, मंत्री, विधायक या अन्य जन प्रतिनिधि से कभी कोई विवाद नहीं हुआ है। जहां भी जिस भी विभाग में वे रहे हैं, वहां उन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी है।

12. इंद्रजीत सिंह

सिंह को नई तकनीक को सरकारी सिस्टम में शामिल करके काम करने के लिए जाना जाता है। वे 4-5 जिलों में कलेक्टर भी रहे हैं और अपनी बेदाग छवि के चलते उन्हें भी महत्वपूर्ण पोस्टिंग मिलने की उम्मीद है।

13. नमित मेहता

मेहता भी चार-पांच जिलों में कलेक्टर रहे हैं और अपनी गैर विवादित व गैर राजनीतिक छवि के चलते परिणाम देने वाले अफसरों में गिने जाते हैं।

14 . सिद्धार्थ सिहाग

राजस्थान काडर के युवा आईएएस अफसरों में सिद्धार्थ एक ऐसे अफसर हैं, जिन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वे नई तकनीक और नवाचार के उपयोग में माहिर माने जाते हैं।

15. अंकित कुमार सिंह

सिंह को भी राजस्थान काडर के चुनिंदा अफसरों में शामिल किया जाता है, जिन्हें दो बार पीएम मोदी सम्मानित कर चुके हैं।

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