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सेहतनामा- ब्रेस्ट कैंसर से साल में 6.70 लाख मौतें:कैसे होती है ब्रेस्ट कैंसर की जांच, क्या है इलाज और कैसे करें बचाव

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सेहतनामा- ब्रेस्ट कैंसर से साल में 6.70 लाख मौतें:कैसे होती है ब्रेस्ट कैंसर की जांच, क्या है इलाज और कैसे करें बचाव

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पॉपुलर एक्ट्रेस हिना खान ने सोशल मीडिया पर बताया कि वह ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं। उन्होंने यह भी लिखा है कि मैं स्ट्रॉन्ग हूं और डटी हुई हूं और इस बीमारी पर काबू पाने के लिए पूरी तरह कमिटेड हूं। उन्होंने अपने चाहने वालों से और फैन्स से प्रार्थना की गुजारिश की।

इसके बाद से हर तरफ ब्रेस्ट कैंसर पर बात हो रही है। हमने ‘सेहतनामा’ में कल ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों, इसकी अलग-अलग स्टेज, उसमें होने वाले बदलाव और ब्रेस्ट कैंसर के सबसे बड़े रिस्क फैक्टर्स को समझा।

इसी कड़ी में आज जानेंगे कि-

  • ब्रेस्ट कैंसर की जांच कैसे की जाती है?
  • ब्रेस्ट कैंसर कितनी तरह का होता है?
  • इसका इलाज कैसे होता है और बचाव कैसे कर सकते हैं?

ब्रेस्ट कैंसर से एक साल में 6 लाख 70 हजार मौतें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 2022 में पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर के कारण 6,70,000 मौतें हुईं। इनमें से 99% से अधिक मामले महिलाओं में देखने को मिले।

ब्रेस्ट कैंसर की जांच कैसे होती है?

गुरुग्राम के नारायणा हॉस्पिटल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में सीनियर कंसल्टेंट और क्लिनिकल लीड डॉ. देबाशीष चौधरी के मुताबिक सबसे पहले ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण देखे जाते हैं। अगर डॉक्टर को बीमारी का शक होता है तो ब्रेस्ट एग्जामिनेशन किया जाता है। इसके अलावा कंप्लीट बॉडी चेकअप भी किया जा सकता है। इसके बाद ब्रेस्ट कैंसर डाइग्नोसिस के लिए अकसर किए जाने वाले टेस्ट ये हैं:

  • मैमोग्राम
  • अल्ट्रासाउंड

आइए इन्हें ग्राफिक से समझते हैं:

अब देखते हैं कि अल्ट्रासाउंड क्या होता है…

डॉ. देबाशीष चौधरी के मुताबिक, कई बार मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड के बाद भी क्लियर नहीं हो पाता है कि ब्रेस्ट कैंसर है या नहीं। ऐसी कंडीशन में डॉक्टर MRI या ब्रेस्ट बायोप्सी जैसे टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं।

ब्रेस्ट बायोप्सी

जब मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड से भी ब्रेस्ट कैंसर का स्पष्ट पता न चले तो डॉक्टर ब्रेस्ट बायोप्सी करवाते हैं। इससे ब्रेस्ट में मैलिगनेंट कैंसरस सेल्स की उपस्थिति का सही आंकलन किया जा सकता है।

क्या होती है ब्रेस्ट बायोप्सी

  • ब्रेस्ट बायोप्सी में डॉक्टर टेस्ट के लिए संदिग्ध क्षेत्र से एक टिश्यू का सैंपल निकालते हैं। ब्रेस्ट बायोप्सी कई तरह से की जा सकती है।
  • कुछ टेस्ट में डॉक्टर एक सुई की मदद से टिश्यू का सैंपल लेते हैं। कभी-कभी सैंपल लेने के लिए ब्रेस्ट में कट भी लगाना पड़ सकता है।
  • इसके बाद डॉक्टर इस टिश्यू सैंपल को लैब में भेजते हैं। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो फिर यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि किस तरह का कैंसर हुआ है।

कितनी तरह का होता है ब्रेस्ट कैंसर

ब्रेस्ट कैंसर कई प्रकार का होता है। हालांकि इन सब को दो प्रमुख कैटेगरीज में बांट सकते हैं: आक्रामक और गैर-आक्रामक।

  • आक्रामक कैंसर का मतलब है कि कैंसरस सेल्स ब्रेस्ट डक्ट्स और ब्रेस्ट मिल्क ग्लैंड्स से स्तन के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं।
  • जबकि गैर-आक्रामक कैंसर जिस टिश्यू में पनपता है, उससे बाहर नहीं फैलता है।

आमतौर पर इन दो कैटेगरीज के जरिए ही ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार बताए जाते हैं:

डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (Ductal carcinoma in situ): डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (DCIS) एक गैर-आक्रामक कंडीशन है। इस कंडीशन में कैंसर सेल्स ब्रेस्ट डक्ट्स यानी स्तन की नलिकाओं तक ही सीमित रहती हैं और आसपास के ब्रेस्ट टिश्यूज पर हमला नहीं करती हैं।

लोब्यूलर कार्सिनोमा इन सीटू (Lobular carcinoma in situ): लोब्यूलर कार्सिनोमा इन सीटू (LCIS) वह कैंसर है, जो ब्रेस्ट मिल्क बनाने वाली ग्लैंड्स में होता है। DCIS की तरह, इस कंडीशन में भी कैंसर सेल्स ब्रेस्ट मिल्क बनाने वाली ग्लैंड्स के आसपास के टिश्यूज पर हमला नहीं करती हैं।

आक्रामक डक्टल कार्सिनोमा (Invasive ductal carcinoma): इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा (IDC) ब्रेस्ट कैंसर के मामले में सबसे कॉमन है। इसमें ब्रेस्ट कैंसर ब्रेस्ट की मिल्क डक्ट्स से शुरू होता है और फिर स्तन के आसपास के टिश्यूज पर हमला करता है। अगर यह ब्रेस्ट कैंसर इन डक्ट्स के बाहर के टिश्यूज में फैल गया तो यह आसपास के दूसरे अंगों और टिश्यूज में भी फैल सकता है।

आक्रामक लोब्यूलर कार्सिनोमा (Invasive lobular carcinoma): इनवेसिव लोब्यूलर कार्सिनोमा (ILC) काफी हद तक इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा की तरह ही है। इसमें फर्क यह है कि यह ब्रेस्ट के लोब्यूल्स यानी ब्रेस्ट मिल्क ग्लैंड्स में विकसित होता है और फिर आसपास के टिश्यूज पर आक्रमण करता है।

इसके अलावा इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर और ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर भी होते हैं, लेकिन ये रेयर हैं।

ब्रेस्ट कैंसर का इलाज क्या है

डॉ. देबाशीष चौधरी कहते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले कैंसर का प्रकार, इसकी स्टेज और इंफेक्टेड एरिया देखा जाता है। इसके बाद ही तय किया जाता है कि पेंशेंट को किस तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत है।

किस तरह के ट्रीटमेंट किए जा सकते हैं, आइए ग्राफिक में देखते हैं:

अब ग्राफिक में दिए पॉइंट्स को थोड़ा विस्तार से समझते हैं।

  • ब्रेस्ट ट्यूमर हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। जरूरत के मुताबिक, लंपेक्टोमी, मास्टेक्टोमी या कॉन्ट्रालेटरल सर्जरी की जा सकती है।
  • ब्रेस्ट और उसके आसपास के टिश्यूज में कैंसर की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम करने के लिए रेडिएशन थेरेपी देते हैं।
  • कैंसर सेल्स को खत्म करने और फैलने से रोकने के लिए दवाएं दी जाती हैं। इसमें हॉर्मोनल थेरेपी, कीमोथेरेपी या टार्गेटेड बायोलॉजिकल थेरेपी दी जा सकती है।

ब्रेस्ट कैंसर के मामले में ट्रीटमेंट जितनी जल्दी शुरू होता है, उतना ही अधिक प्रभावी होता है। इसलिए अगर शुरुआती स्टेज में डाइग्नोसिस हो जाता है तो सर्वाइवल की संभावना अधिक होती है।

ब्रेस्ट कैंसर का सर्वाइवल रेट कितना है?

अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक ब्रेस्ट कैंसर में सर्वाइवल रेट 90% के करीब है। इसका मतलब है कि ब्रेस्ट कैंसर डाइग्नोज होने के बाद 90% महिलाएं कम-से-कम 5 साल तक जीवित रहती हैं। अगर पहली स्टेज या दूसरी स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर डाइग्नोज होता है तो यह सर्वाइवल रेट 99% तक हो सकता है।

डॉ. देबाशीष चौधरी के मुताबिक, ब्रेस्ट कैंसर में सर्वाइवल रेट कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। आइए ग्राफिक में देखते हैं:

ब्रेस्ट कैंसर के सर्वाइवल रेट में हो रहा है सुधार

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक, साल 1975 में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले में सर्वाइवल रेट 75.2% था। फिर साल 2008 से 2014 के बीच यह 90.6% तक पहुंच गया।

हालांकि, ब्रेस्ट कैंसर के मामले में सर्वाइवल रेट सबसे अधिक इस फैक्टर पर निर्भर करता है कि डाइग्नोसिस के समय किस स्टेज का कैंसर डिटेक्ट हुआ है। पहली स्टेज में सर्वाइवल रेट 99% है, जबकि चौथी स्टेज में यानी मेटास्टैटिक कैंसर के लिए 27% ही है।

ब्रेस्ट कैंसर से कैसे बचा जा सकता है

ब्रेस्ट कैंसर के मामले में कुछ रिस्क फैक्टर्स ऐसे हैं, जिनसे नहीं बचा जा सकता है। जैसे-उम्र, जेंडर, डेंस ब्रेस्ट टिश्यूज, BRCA1 और BRCA2 जीन्स।

जबकि कुछ रिस्क फैक्टर्स अवॉइड किए जा सकते हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि कैसे ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है।

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