12वीं के स्टूडेंट का ब्रेनडेड, ट्रक ने कुचला था:लीवर, किडनी और लंग्स डोनेट, शरीर के अंगों को जयपुर SMS और मेदांता गुरूग्राम भेजा जाएगा
जोधपुर
जोधपुर में रहने वाले 19 साल के विक्रम कुमार के शरीर के अंगों को बुधवार को एम्स हॉस्पिटल में डोनेट किया जाएगा। जोधपुर एम्स में यह पहला मौका है, जब किसी ब्रेन डेड के ऑर्गन को डोनेट किया जा रहा है। इससे चार लोगों की जिंदगी को बचाया जाएगा।
दरअसल, पाल के सारण नगर में रहने वाला विक्रम कुमार पुत्र रमेश कुमार आचू (19) 12वीं कॉमर्स का स्टूडेंट था। सोमवार को वह अपनी परीक्षा देकर बाइक पर घर लौट रहा था। बोरानाडा में हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री के सामने डिवाइडर के बीच बने कट पर पीछे से आ रही एक बाइक ने उसे टक्कर मार दी। टक्कर के बाद विक्रम उछलकर सड़क के दूसरी तरफ गिर गया और ट्रक के नीचे आ गया।
सड़क हादसे का वीडियो, जिसमें बाइक से टक्कर के बाद स्टूडेंट ट्रक के नीचे आ गया।
परिजनों ने आर्गन डोनेट की जताई सहमति
मौके पर मौजूद लोगों ने विक्रम को हॉस्पिटल पहुंचाया और परिजनों को भी सूचना दी। एम्स के अधीक्षक डॉ. दीपक झा ने बताया कि हॉस्पिटल में आए मरीज का एक्सीडेंट से ब्रेन डेड हो गया है। ब्रेन डेड होने के बाद उसके शरीर के लीवर और किडनी और लंग्स पूरी तरह काम कर रहे थे।
ऐसे में एम्स के डॉक्टरों ने विक्रम के पिता से उसके लीवर, किडनी और एक लंग्स दान करके चार लोगों की जिंदगी बचाने की बात कहीं। विक्रम के पिता और परिजनों ने आर्गन डोनेट का फैसला लिया। विक्रम के पिता बिजनेसमैन है। विक्रम के दो भाई व एक बहन है।
अलग-अलग भेजे जाएंगे ऑर्गन
जोधपुर का एम्स हॉस्पिटल।
एम्स जोधपुर की पीआरओ डॉ.एलीजा मित्तल ने बताया कि एक किडनी और लीवर को एम्स जोधपुर, एक किडनी को एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर और मरीज के फेफड़ों को मेदांता गुरूग्राम में भेजा जाएगा। इसके लिए प्लानिंग को शुरू कर दिया गया है।
एम्स से जयपुर तक बनेगा ग्रीन कोरिडोर
एम्स प्रशासन की ओर से इन ऑर्गन को गुरूग्राम व जयपुर तक पहुंचाने क लिए जोधपुर कमिश्नर राजेंद्रसिंह को पत्र लिखा गया है। इसके तहत पुलिस प्रशासन से रास्ते को क्लीयर करवाने और ग्रीन कोरिडोर बनाने की मांग की गई है।
ब्रेन डेड ठीक नहीं किया जा सकता
- एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि ब्रेन डेड की स्थिति स्थाई है, इसे ठीक नहीं किया जा सकता है।
- मरीज के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिवार से बात करके अंगदान का फैसला लिया जाता है। जिससे व्यक्ति के जीवित अंग किसी और के काम आ सकें।
- ऑर्गन डोनेट तक उस मरीज को वेंटिलेटर पर रखा जाता है।
- वेंटिलेटर से हटने के बाद जैसे ही शरीर को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है, शरीर के अन्य अंग भी काम करना बंद कर देते है और मरीज को मृत मान लिया जाता है।
अंगों का एक तय समय में ट्रांसप्लांट करना जरूरी
- ब्रेन डेड व्यक्ति के शरीर से निकालने के बाद किडनी 12 घंटे के भीतर दूसरे मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट करना जरूरी होता है।
- लिवर निकालने के बाद 8 घंटे
- कॉर्निया निकालने के बाद 14 दिन
- दिल और फेफड़े 4 से 6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना जरूरी होता है।
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