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14 सैन्य अफसर पहुंचे सांचू पोस्ट:समझा बॉर्डर मैनेजमेंट, बोले-तस्करों से मुकाबले को एंटी ड्रोन सिस्टम डेवलप करें

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14 सैन्य अफसर पहुंचे सांचू पोस्ट:समझा बॉर्डर मैनेजमेंट, बोले-तस्करों से मुकाबले को एंटी ड्रोन सिस्टम डेवलप करें

बीकानेर

सांचू पोस्ट पर सैन्य अधिकारी।

देश के बेहतरीन सैन्य अधिकारी पहली बार भारत-पाक सीमा की सांचू पोस्ट पहुंचे। बीएसएफ का बॉर्डर मैनेजमेंट समझा। पाक की नापाक हरकतों पर लगाम कसने के लिए उन्होंने एंटी ड्रोन सिस्टम डेवलप करने पर जोर दिया है। भारतीय सीमा चौकी सांचू एक बार फिर सुर्खियों में है। क्योंकि पहली बार सिकंदराबाद के कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट के 14 छात्र यहां पहुंचे हैं। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में कर्नल रैंक के ये देश के वे बेहतरीन अफसर हैं, जो लॉन्ग डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स करने के बाद जल्द ही ब्रिगेडियर बनेंगे। भारत दर्शन के तहत देश की सीमाएं दिखाने के लिए उन्हें यहां लाया गया है।

पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सरहद पर सांचू पोस्ट का ऐतिहासिक महत्व है। वर्ष 1965 और 1971 का भारत-पाक युद्ध इसी पोस्ट पर लड़ा गया था। यह पोस्ट पाक के सबसे नजदीक भी है। यहां पर सैन्य अधिकारियों ने बीएसएफ के बॉर्डर मैनेजमेंट को बारीकी से समझा। रेगिस्तान की भीषण गर्मी और हाड़ कंपा देने वाली ठंड में 24 घंटे सख्त ड्यूटी देने पर जवानों की प्रशंसा और हौसला अफजाई की। बीएसएफ कमांडेंट संजय तिवाड़ी ने उन्हें बॉर्डर की सुरक्षा से जुड़े हर पहलु की जानकारी दी। सुरक्षा व्यवस्था में देसी तरीके अपनाने पर सैन्य अधिकारी भी अचंभित हुए। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए हाईटेक इक्विपमेंट्स के बारे में बताया।

क्या है एलडीएमसी : लॉन्ग डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स यानी एलडीएमसी, जो कि रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय, सिकंदराबाद में होता है। सशस्त्र बलों के रक्षा प्रबंधन प्रशिक्षण के लिए एशिया में एकमात्र विशिष्ट कॉलेज है। तीनों सेनाओं के कर्नल रैंक के बेहतरीन अफसरों को यहां भेजा जाता है। कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट की शुरुआत दिसंबर 1970 में इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (आईडीएम) के नाम से हुई थी, जो मिलिट्री कॉलेज ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (एमसीईएमई) का एक हिस्सा था, जिसके संस्थापक निदेशक ब्रिगेडियर वी. ध्रुव थे।

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