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15 फेक अकाउंट, फर्जी साइन और 94 करोड़ गायब:एक सुसाइड से खुला स्कैम, बैंक अधिकारी से लेकर सरकारी बाबू तक शामिल

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15 फेक अकाउंट, फर्जी साइन और 94 करोड़ गायब:एक सुसाइड से खुला स्कैम, बैंक अधिकारी से लेकर सरकारी बाबू तक शामिल

बेंगलुरू

तारीख: 26 मई 2024, जगह: शिवमोगा

कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि ट्राइब्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सुपरिनटैंडैंट पी. चंद्रशेखर ने अपने घर में सुसाइड कर लिया। उन्होंने सुसाइड नोट में 187 करोड़ रुपए के स्कैम का जिक्र किया और लिखा- ‘कॉर्पोरेशन के सीनियर अधिकारी, मंत्री और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बैंक मैनेजर मुझ पर कॉर्पोरेशन का फंड ट्रांसफर करने का दबाव बना रहे थे।’

इस सुसाइड केस के बाद कर्नाटक में 94 करोड़ रुपए का स्कैम सामने आया। ये पैसा शेड्यूल ट्राइब्स के लिए इस्तेमाल होना था। फर्जी साइन से इसे कॉर्पोरेशन के अकाउंट से गायब कर दिया गया। ये फंड कर्नाटक से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश भेजा गया।

ये सब लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ। विपक्ष का आरोप है कि कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर ये पैसा चुनाव के लिए दूसरे राज्यों में भेजा गया। विवाद बढ़ा तो 6 जून को कर्नाटक सरकार के शेड्यूल ट्राइब्स वेलफेयर मिनिस्टर बी. नागेंद्र ने पद से इस्तीफा दे दिया।

ट्राइब्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में 94 करोड़ रुपए के स्कैम की बात सामने आई। इसके बाद 6 जून को ट्राइब्स वेलफेयर मिनिस्टर बी. नागेंद्र को पद से इस्तीफा देना पड़ा।

ट्राइब्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में 94 करोड़ रुपए के स्कैम की बात सामने आई। इसके बाद 6 जून को ट्राइब्स वेलफेयर मिनिस्टर बी. नागेंद्र को पद से इस्तीफा देना पड़ा।

हालांकि, अब तक ये साफ नहीं है कि 187 करोड़ रुपए में से कितने का स्कैम हुआ है। SIT और CBI दोनों ही मामले की जांच कर रही हैं। पड़ताल में पता चला है कि स्कैम में बैंक अधिकारी से लेकर सरकारी बाबू तक शामिल हैं। चंद्रशेखर की पत्नी कविता ने पहली बार बात कर पूरी कहानी बताई। पढ़िए ये रिपोर्ट…

स्कैम को लेकर चंद्रशेखर पर था दबाव
राज्य में एक संस्था है कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि ट्राइब्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड। इंडियन कंपनीज एक्ट 1956 के तहत बनाई गई ये संस्था शेड्यूल्ड ट्राइब्स वेलफेयर मिनिस्ट्री के तहत काम करती है। इसका मकसद ट्राइबल कम्युनिटी का डेवलपमेंट करना है।

संस्था सेल्फ एम्प्लॉयमेंट के लिए स्कीम्स लॉन्च करना, स्किल ट्रेनिंग और सब्सिडी पर लोन देने जैसे काम भी करती है। इसी के फंड में घोटाले के आरोप लग रहे हैं।

पी. चंद्रशेखर कॉर्पोरेशन के सुपरिनटैंडैंट थे। उनके सुसाइड नोट से घोटाले का खुलासा हुआ। नोट में बताया गया कि कॉर्पोरेशन में बड़ी गड़बड़ी चल रही है। उन पर किसी भी तरह का खुलासा नहीं करने का दबाव था। सुसाइड के बाद शिवमोगा पुलिस ने केस रजिस्टर्ड किया। शिवमोगा के विधायक एसएन चन्नाबसप्पा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार से जांच की मांग की।

चंद्रशेखर की पत्नी बोलीं: 3 महीने से परेशान थे, बात तक नहीं करते थे
कॉर्पोरेशन के सुपरिनटैंडैंट रहे पी चंद्रशेखर की पत्नी कविता दो बच्चों के साथ शिवमोगा में रहती हैं। कविता ने बात करते हुए बताया, ‘वो 3 महीने से काफी परेशान चल रहे थे। चुप रहने लगे थे। किसी से बात नहीं करते थे।’

‘हर वीकेंड पर वे बेंगलुरु से शिवमोगा आते थे। हमने कई बार उनसे पूछा भी कि किस बात का तनाव है, लेकिन वे कुछ बताते नहीं थे। वे ऑफिस की बातों का घर में जिक्र नहीं करते थे।’

कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि ट्राइब्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सुपरिनटैंडैंट पी. चंद्रशेखर स्कैम को लेकर दबाव में थे। उन्होंने सुसाइड नोट में इसका जिक्र भी किया था। (फाइल फोटो)

कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि ट्राइब्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सुपरिनटैंडैंट पी. चंद्रशेखर स्कैम को लेकर दबाव में थे। उन्होंने सुसाइड नोट में इसका जिक्र भी किया था। (फाइल फोटो)

कविता कहती हैं, ‘वे बेंगलुरु में अकेले रहते थे। मैं दोनों बच्चों के साथ शिवमोगा में रहती हूं। हर वीकेंड की तरह एक बार वे घर आए थे। हमारे एक रिश्तेदार का निधन हो गया था, तो मुझे बच्चों के साथ वहां जाना पड़ा। मैं घर लौटी, तब उनके सुसाइड का पता चला।’

वे आगे कहती हैं, ‘सुसाइड नोट में उन्होंने कॉर्पोरेशन के सीनियर अधिकारियों, मंत्री और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बैंक मैनेजर पर आरोप लगाए हैं। मैं इंसाफ चाहती हूं। मेरे पति को जिस-जिसने भी परेशान किया और उन पर दबाव बनाया, उन सभी के नाम सुसाइड नोट में लिखे हैं। मंत्री समेत कई बड़े अधिकारी इसमें शामिल हैं। उन्हें सजा मिले।’

फेक सिग्नेचर से अकाउंट में भेजा फंड
कॉर्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर ए. राजशेखर ने 29 मई को मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेशन के अकाउंट से 94 करोड़ रुपए अवैध तरीके से ट्रांसफर किए गए। ये फंड फेक सिग्नेचर से अलग-अलग अकाउंट्स में ट्रांसफर किए गए।

राजशेखर कहते हैं, ‘मैंने इस बारे में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के चीफ मैनेजर को इन्फॉर्म किया। इसके बाद बैंक ने 5 करोड़ रुपए कॉर्पोरेशन के अकाउंट में वापस ट्रांसफर किए। बैंक से CCTV फुटेज दिखाने की बात की गई, लेकिन बैंक ने इनकार कर दिया। इसके बाद कॉर्पोरेशन ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी जनरल मैनेजर को इन्फॉर्म किया।’

पुलिस ने बैंक के कुछ अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। राज्य सरकार ने जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बना दी है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की डिप्टी जनरल मैनेजर महेशा जे की शिकायत पर 3 जून को CBI ने केस रजिस्टर्ड किया है।

FIR में बैंक की बेंगलुरु स्थित एमजी रोड की पूर्व रीजनल हेड सुचिस्मिता राउल का भी नाम है। साथ ही कुछ प्राइवेट इंडिविजुअल्स और पब्लिक सर्वेंट्स के नाम भी हैं।

कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक और BJP स्टेट प्रेसिडेंट बीवाई विजयेंद्र ने पार्टी विधायकों के साथ स्कैम को लेकर बेंगलुरु में प्रदर्शन किया था।

कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक और BJP स्टेट प्रेसिडेंट बीवाई विजयेंद्र ने पार्टी विधायकों के साथ स्कैम को लेकर बेंगलुरु में प्रदर्शन किया था।

फेक बैंक अकाउंट्स खोलकर फंड ट्रांसफर किए
अब तक की इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि जिन 15 अकाउंट्स में अवैध तरीके से फंड ट्रांसफर किया गया, उसमें से 9 अकाउंट 31 मार्च को ही खोले गए थे। ये सभी हैदराबाद के RBL बैंक के हैं। ये अकाउंट्स कुछ ऑर्गेनाइजेशन के नाम पर खोले गए।

फिर SIT ने KMVSTDC के एक्स MD जेजे पद्मनाभ, अकाउंट्स ऑफिसर परशुराम और फर्स्ट फाइनेंस क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के चेयरमैन सत्यनारायण को अरेस्ट किया। माना जा रहा है कि सत्यनारायण के जरिए ही फेक बैंक अकाउंट्स खोले गए।

31 मार्च को फाइनेंशियल ईयर के आखिरी दिन स्टेट ट्रेजरी से कॉर्पोरेशन के अकाउंट में 50 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। इसके बाद कॉर्पोरेशन के अकाउंट में कुल 187 करोड़ रुपए का फंड था। 31 मार्च को ही कॉर्पोरेशन की बोर्ड मीटिंग थी, जिसमें तय किया गया कि 50 करोड़ रुपए एक साल के लिए FD में इन्वेस्ट किया जाएगा।

उसी दिन 50 करोड़ रुपए की FD दिखाकर 45 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था। ये सभी ट्रांजैक्शन एक ही दिन में हुए। इसमें बैंक अधिकारियों के अलावा कॉर्पोरेशन के कई लोग शामिल थे।

BJP अनुसूचित जनजातीय मोर्चा ने बेंगलुरु में प्रदर्शन किया था। मोर्चा के सदस्य स्कैम के विरोध में CM हाउस का घेराव करने पहुंचे थे।

BJP अनुसूचित जनजातीय मोर्चा ने बेंगलुरु में प्रदर्शन किया था। मोर्चा के सदस्य स्कैम के विरोध में CM हाउस का घेराव करने पहुंचे थे।

सॉफ्टवेयर कंपनियों के नाम से खुले अकाउंट में गया पैसा
चंद्रशेखर ने अपनी मौत के लिए कॉर्पोरेशन के MD जेजी पद्मनाभ, उनके एसोसिएट्स परशुराम जी दुर्गन्नवर (KMVSTDCL में अकाउंट ऑफिसर) और सुचिस्मिता राउल (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी) को कसूरवार ठहराया है।

उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा- ‘पूरा स्कैम 187 करोड़ रुपए का है। इसमें से 87 करोड़ रुपए तो अलग-अलग कई अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिए गए थे। इनमें से कुछ अकाउंट जानी-मानी IT कंपनियों के थे। कुछ अकाउंट हैदराबाद बेस्ड कोऑपरेटिव बैंक के थे।

‘मार्च, 2024 में मुझे सीनियर्स ने डिपार्टमेंट के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की वसंत नगर स्थित ब्रांच में चल रहे अकाउंट से फंड ट्रांसफर करने को कहा। ये फंड एमजी रोज ब्रांच में ट्रांसफर करने के लिए कहा गया था। वहां से 87 करोड़ रुपए बिना परमिशन के ट्रांसफर किए गए। ये अमाउंट कुछ सॉफ्टवेयर कंपनियों के अकाउंट्स में भेजे गए। कॉर्पोरेशन के बैंक अकाउंट में कुल 187 करोड़ रुपए थे।’

चंद्रशेखर ने सुसाइड नोट में कुछ ट्रांजैक्शन का जिक्र भी किया। 4 मार्च को 25 करोड़, 6 मार्च को 25 करोड़, 21 मार्च को 44 करोड़, स्टेट ट्रेजरी से 43 करोड़ और 21 मई को 50 करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन का जिक्र है।

सुसाइड से पहले चंद्रशेखर ने एक नोट भी छोड़ा था, जिसमें उन्होंने दबाव में किए कुछ ट्रांजैक्शन का जिक्र किया था।

सुसाइड से पहले चंद्रशेखर ने एक नोट भी छोड़ा था, जिसमें उन्होंने दबाव में किए कुछ ट्रांजैक्शन का जिक्र किया था।

स्कैम बड़ा सियासी मुद्दा बना, आरोपों में घिरी कर्नाटक सरकार
कर्नाटक में ये घोटाला बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। BJP इसे लेकर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर हमलावर है। BJP स्टेट प्रेसिडेंट बीवाई विजयेंद्र का कहना है, ‘फाइनेंस मिनिस्ट्री के अप्रूवल के बिना इतना बड़ा करप्शन नहीं हो सकता। फाइनेंस मिनिस्ट्री का पोर्टफोलियो CM सिद्धारमैया के पास ही है।’

वहीं, JDS लीडर और केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने आरोप लगाया है कि इस फंड का इस्तेमाल चुनाव के लिए किया गया है।

कर्नाटक सरकार के शेड्यूल ट्राइब्स वेलफेयर मिनिस्टर बी नागेंद्र ने मुद्दा गरमाने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को निराधार बताया और दावा किया कि वो इस मामले में निर्दोष साबित होंगे।

नागेन्द्र ने आगे कहा, ‘मैं अपनी इच्छा से इस्तीफा दे रहा हूं। SIT मामले की जांच कर रही है और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अगर जांच के दौरान मैं मंत्री पद पर रहा तो इससे जांच में दिक्कत आ सकती है। इसे देखते हुए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है।’

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