163.5 हेक्टेयर जमीन लोगों से लेकर विकसित करेगा जेडीए:चंदलाई, बरखेड़ा, शिवदासपुरा में डवलपमेंट करके अधिकतम 55% तक लौटाई जाएगी, 200 फीट चौड़ी सड़क बनेगी
जयपुर
e
जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने प्रदेश की पहली लैंड पूलिंग स्कीम को लेकर ड्राफ्ट प्लान जारी कर दिया है। पुरानी टोंक रोड पर ग्राम शिवदासपुरा, चंदलाई और बरखेड़ा में यह स्कीम प्रस्तावित है। लगभग 163.5 हेक्टेयर भूमि पर लैंड पूलिंग स्कीम प्रस्तावित है, जिसे धरातल पर उतारने के लिए कुल 223 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे सड़क, रोड लाइट, पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। ऐसे में अब इस प्लान को लेकर अगले 30 दिनों में प्रस्तावित स्कीम को लेकर आपत्ति और सुझाव दिए जा सकेंगे।
शिवदासपुरा, चंदलाई और बरखेड़ा में प्रस्तावित इस स्कीम में 40 फीट से लेकर 200 फीट चौड़ी सड़कें प्रस्तावित की गई है। जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट के अनुसार खातेदारों को जमीन के बदले 35 से 55 प्रतिशत विकसित भूमि बतौर मुआवजा मिल सकेगी। वहीं नीलामी के लिए जेडीए को 10 प्रतिशत जमीन मिलेगी। मास्टर प्लान में स्कीम की अधिकतर जमीन का भू उपयोग आवासीय है। इसके साथ ही रीक्रिएशनल, सार्वजनिक और अर्द्ध सार्वजनिक उपयोग है। स्कीम को धरातल पर उतारने में जितना खर्च आएगा, उसमें जमीन के खातेदारों से भी हिस्सेदारी लेने का प्रावधान किया है।
फिर से किसी शहर में पृथ्वीराज नगर जैसा बेतरतीब विकास न हो और उसका नियमन दशकों तक अटके नहीं, इसके लिए सरकार ने साल 2016 में राजस्थान लैंड पूलिंग स्कीम बिल 2016 पारित करवाया था। इसमें जमीन मालिक से ली गई जमीन के बदले 35 से लेकर 55 प्रतिशत तक विकसित जमीन देने का प्रावधान किया गया।
दरअसल, राजस्थान सरकार द्वारा साल 2016 में राजस्थान लैंड पूलिंग स्कीम बिल पारित करवाया गया था। जिसके तहत कॉलोनियों में बसावट और सुविधा क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए यह बिल लाया गया है। लैंड पूलिंग की कार्रवाई केवल नगरीय क्षेत्रों में मास्टर प्लान के हिसाब से बसावट और विस्तार के साथ ही ग्रीन फील्ड विकास के तहत हरी-भरी कॉलोनियां बसाने के लिए किया जाना प्रस्तावित था।
जाने क्या है लैंड पूलिंग एक्ट
राजस्थान में लैंड पूलिंग एक्ट के अनुसार किसी बसावट में सरकारी एजेंसी या प्राइवेट बिल्डर जितने भी लोगों की जमीन लेंगे। वह सहमति से ली जाएगी। जिन भूखंडों के लिए सहमति नहीं बनेगी, वहां लैंड एक्विजिशन एक्ट के तहत जमीन लेकर उसका मुआवजा दिया जाएगा। सहमति से जमीन सरेंडर करने पर लैंड पूलिंग एक्ट के तहत जमीन क्लब मानी जाएगी।
उदाहरण के तौर पर अगर किसी स्कीम में 10 लोगों की जमीन ली जा रही है। ऐसे में किसी के भूखंड पर पार्क विकसित हो और दूसरे व्यक्ति की जमीन के थोड़े हिस्से से सड़क निकाली जा रही हो, लेकिन योजना में कुल सुविधाएं विकसित करने के लिए जितनी जमीन काम में ली जाएगी। उस जमीन को सभी 10 भूखंड मालिकों का समान हिस्सा मानते हुए लैंड पूलिंग मानी जाएगी। 35 से लेकर 55 प्रतिशत तक जमीन विकसित कर सौंपी जाएगी।
Add Comment