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20 साल में दीया पहली मंत्री, जो बजट पेश करेंगी:योगी फाॅर्मूले पर गृह-एसीबी मुख्यमंत्री के पास, यूडीएच-ऊर्जा जैसे बड़े विभाग कैबिनेट मंत्रियों को नहीं दिए

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20 साल में दीया पहली मंत्री, जो बजट पेश करेंगी:योगी फाॅर्मूले पर गृह-एसीबी मुख्यमंत्री के पास, यूडीएच-ऊर्जा जैसे बड़े विभाग कैबिनेट मंत्रियों को नहीं दिए

पहले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा और फिर मंत्रिमंडल विस्तार में चौंका चुकी भाजपा ने विभागों के बंटवारे में भी चौंकाया।

20 साल बाद राजस्थान में दीया कुमारी के रूप में वित्त मंत्री बनाया गया है। इससे पहले वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत के 2-2 कार्यकाल में वित्त विभाग उन्हीं के पास था।

दूसरा चौंकाने वाला फैसला रहा यूडीएच और ऊर्जा जैसे बड़े विभागों का बंटवारा। ये विभाग कैबिनेट मंत्रियों को न देकर स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों को दिए गए हैं।

विभागों के बंटवारे का एनालिसिस किया तो कई रोचक तथ्य सामने आए…

दीया कुमारी को सबसे पावरफुल माना जाने वाला वित्त विभाग मिला है। वे सीएम भजनलाल के बाद अब सरकार में नंबर दो हैं।

दीया कुमारी को सबसे पावरफुल माना जाने वाला वित्त विभाग मिला है। वे सीएम भजनलाल के बाद अब सरकार में नंबर दो हैं।

प्रदेश में 20 साल बाद वित्त मंत्री बनाया, दीया कुमारी बजट पेश करेंगी

विभागों के बंटवारे के बाद डिप्टी सीएम दीया कुमारी सबसे पावरफुल बनकर उभरी हैं। वित्त विभाग, पीडब्यूडी जैसे पावरफुल विभागों के अलावा राज्य की ब्रांडिंग वाला पर्यटन विभाग और महिलाओं से जुड़ा महिला और बाल विकास विभाग उनके पास है।

दीया कुमारी के पास पावरफुल महकमे तो हैं ही, वे वित्त मंत्री के तौर पर बजट भी पेश करेंगी।

प्रदेश में 20 साल बाद फुल प्लेस वित्त मंत्री बनाया गया है। इससे पहले 2003 में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में प्रद्युम्न सिंह आखिरी वित्त मंत्री थे।

उनके बाद दो बार वसुंधरा राजे और दो बार अशोक गहलोत की सरकारें रहीं। वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत ही बजट पेश करते रहे।

दीया कुमारी को क्यों दिया वित्त विभाग?

दीया कुमारी का नाम मुख्यमंत्री के दावेदारों में भी चला था, लेकिन जातीय और सियासी समीकरण साधने व पार्टी की रणनीति के तहत उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली।

पहले उन्हें गृह विभाग भी दिए जाने की चर्चा थी, लेकिन पार्टी ने यूपी फॉमूले की तर्ज पर यह विभाग सीएम के पास ही रखा।

दीया कुमारी हाईकमान की पसंद हैं। उन्हें पावरफुल विभाग मिलना तय माना जा रहा था। हाईकमान के स्तर पर इस मुद्दे पर कई दौर की चर्चा भी हुई थी।

शपथ ग्रहण समारोह में जिस तरह पीएम मोदी ने उन्हें अहमियत दी, उससे सियासी हलकों में यह तय माना जा रहा था कि सीएम के साथ दीया कुमारी भी इस सरकार का सबसे पावरफुल चेहरा होंगी।

दीया कुमारी हाईकमान की पसंद हैं। उन्हें पावरफुल विभाग मिलना तय माना जा रहा था।

दीया कुमारी हाईकमान की पसंद हैं। उन्हें पावरफुल विभाग मिलना तय माना जा रहा था।

यूपी की तर्ज पर गृह और एसीबी सीएम के पास

भजनलाल सरकार के मंत्रियों को विभागों का बंटवारा होने के बाद पावर बैलेंस की तस्वीर साफ हो गई है। यूपी फॉर्मूले की तर्ज पर गृह विभाग और एसीबी सीएम भजनलाल शर्मा के पास ही रखा है।

क्राइम और करप्शन कंट्रोल वाले विभाग सीएम ने खुद के पास रखे हैं, इसके पीछे कई वजह हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के वक्त भी गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही था।

कार्मिक, जीएडी और एसीबी जैसे विभाग पहले भी मुख्यमंत्रियों के पास ही रहते आए हैं। वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत की तुलना में भजनलाल शर्मा ने अपने पास कम विभाग रखे हैं।

यहां भी चौंकाया : यूडीएच,ऊर्जा जैसे बड़े विभाग कैबिनेट मंत्रियों को नहीं दिए

यूडीएच, उर्जा, वन पर्यावरण, सहकारिता जैसे बड़े विभाग कैबिनेट मंत्रियों को नहीं देकर स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों को दिए गए हैं।

यूडीएच और स्वायत्त शासन जैसा अहम विभाग पहली बार मंत्री बने झाबरसिंह खर्रा को देकर चौंका दिया है।

स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री हीरालाल नागर को ऊर्जा, गौतम दक को सहकारिता, संजय शर्मा को वन मंत्री का जिम्मा दिया है।

पिछली सरकारों में ये सभी विभाग कैबिनेट मंत्रियों को ही दिए जाते रहे हैं।

सीएम भजनलाल शर्मा के पास 8 विभाग

कार्मिक विभाग, आबकारी विभाग, गृह विभाग, आयोजना विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, नीति निर्धारण प्रकोष्ठ—मुख्यमंत्री सचिवालय, सूचना जनसंपर्क विभाग, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, खनन समेत 8 विभाग हैं।

वसुंधरा राजे के पास थे 26 विभाग

वसुंधरा राजे के पास दिसंबर 2016 में मंत्रिपरिषद के फाइनल फेरबदल के बाद 26 विभाग थे।

कार्मिक विभाग, राजस्थान राज्य अन्वेषण ब्यूरो,वित्त विभाग, कराधान विभाग, आबकारी विभाग,आयोजना विभाग, आयोजना (जनशक्ति और गजेटियर्स) विभाग, सांख्यिकी विभाग, मंत्रिमण्डल सचिवालय उनके पास था।

इसके अलावा नीति आयोजना प्रकोष्ठ – मुख्यमंत्री सचिवालय, सूचना जनसम्पर्क विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी संचार विभाग, ऊर्जा विभाग, जन अभियोग निराकरण विभाग, प्रशासनिक सुधार और समन्वय विभाग, विधि विधिक कार्य विभाग और विधि परामर्शी कार्यालय भी उनके अधीन था।

भजनलाल के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद वसुंधरा राजे ने उनके सिर पर हाथ रखा।

भजनलाल के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद वसुंधरा राजे ने उनके सिर पर हाथ रखा।

दिसंबर 2018 में गहलोत के पास 9 विभाग

2018 में सरकार बनने के पास अशोक गहलोत के पास वित्त विभाग, आबकारी, आयोजना विभाग, नीति आयोजना विभाग,सामान्य प्रशासन विभाग, राजस्थान राज्य अन्वेषण ब्यूरो, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग, गृह मामलात और न्याय विभाग थे।

2021 में मंत्रिमंडल ​फेरबदल के बाद 10 विभाग

नवंबर 2021 में मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत के पास 10 विभाग थे। गहलोत के पास वित्त विभाग, कराधान विभाग,गृह और न्याय विभाग, कार्मिक विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रिमण्डल सचिवालय, अप्रवासी भारतीय विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग, राजस्थान राज्य अन्वेषण ब्यूरो,सूचना जनसम्पर्क विभाग थे।

सचिन पायलट को भी दिया गया था पीडब्ल्यूडी, अब दीया कुमारी के पास यह विभाग

डिप्टी सीएम के तौर पर पीडब्ल्यूडी महकमा कांग्रेस राज में सचिन पायलट को दिया गया था। दीया कुमारी को भी वही विभाग दिया गया है।

सचिन पायलट को जुलाई 2020 में बगावत के बाद हटा दिया गया था और यह विभाग सीएम के पास चला गया था।

इसके बाद भजनलाल जाटव को पीडब्ल्यूडी का जिम्मा दिया गया था। वसुंधरा राजे सरकार में युनूस खान के पास यह विभाग था।

डिप्टी सीएम के तौर पर पीडब्ल्यूडी महकमा कांग्रेस राज में सचिन पायलट को दिया गया था। दीया कुमारी को भी वही विभाग दिया गया है।

डिप्टी सीएम के तौर पर पीडब्ल्यूडी महकमा कांग्रेस राज में सचिन पायलट को दिया गया था। दीया कुमारी को भी वही विभाग दिया गया है।

राजे की दोनों सरकारों में कटारिया गृह मंत्री, गहलोत ने तीसरे कार्यकाल में पूरे समय खुद के पास रखा था

वसुंधरा राजे के दोनों कार्यकाल में गुलाबचंद कटारिया गृह मंत्री रहे थे। वसुंधरा राजे ने दूसरे कार्यकाल में कुछ समय के लिए गृह विभाग अपने पास रखा था, लेकिन बाद में कटारिया को ही गृह ​मंत्री बना दिया था। अशोक गहलोत ने तीसरे कार्यकाल में पूरे समय गृह विभाग अपने पास रखा था। गहलोत के पहले कार्यकाल में उस समय के दिग्गज नेता गुलाबसिंह शक्तावत गृह मंत्री हुआ करते थे। गहलोत ने अपने दूसरे कार्यकाल में शांति धारीवाल को कुछ समय के लिए गृह मंत्री बनाया लेकिन बाद में उन्हें वास यूडीएच महकमा दे दिया था।

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