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250 MBBS स्टूडेंट्स, 248 एग्जाम ही नहीं दे पाएंगे:SMS मेडिकल कॉलेज में पहली बार ऐसा केस, राहत नहीं मिली तो 6 साल में बनेंगे डॉक्टर

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250 MBBS स्टूडेंट्स, 248 एग्जाम ही नहीं दे पाएंगे:SMS मेडिकल कॉलेज में पहली बार ऐसा केस, राहत नहीं मिली तो 6 साल में बनेंगे डॉक्टर

जयपुर

राजस्थान का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज चर्चा में है। वो इसलिए क्योंकि MBBS फाइनल ईयर के 250 स्टूडेंट्स के बैच में से केवल 2 स्टूडेंट ही फाइनल एग्जाम के लिए क्वालीफाई कर पाए हैं।

पहले केवल एक स्टूडेंट को ही क्वालीफाई किया गया था। बाद में एक और स्टूडेंट को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई है। फाइनल एग्जाम 21 दिसंबर से शुरू होगी।

अब ट्विटर (एक्स) सहित अन्य सोशल प्लेटफार्म पर भी स्टूडेंट के लेटर वायरल हो रहे हैं। स्टूडेंट्स की कई रील्स भी बनाई जा रही हैं। केवल दो स्टूडेंट्स के क्वालीफाई करने पर मेडिकल स्टूडेंट्स के बीच काफी विरोध है।

भास्कर ने पड़ताल कर जाना कि यह मामला क्या है? क्यों 248 स्टूडेंट्स को एग्जाम देने के लिए क्वालीफाई नहीं किया गया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

एमबीबीएस 2020 बैच के स्टूडेंट्स हैं सभी

एसएमएस मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 250 सीटें है। मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स की क्लासेज लगती हैं जबकि प्रैक्टिस के लिए सभी बच्चों को एसएमएस अस्पताल में भेजा जाता है। ज्यादातर फाइनल ईयर स्टूडेंट्स की ही अस्पताल में सेवाएं ली जाती हैं।

2020 बैच के 250 छात्रों का भी फाइनल ईयर चल रहे हैं। एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के लिए उन्हें कुल 19 सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं। सभी सब्जेक्ट को पास करना जरूरी होता है। इन्ही में से एक सब्जेक्ट कम्युनिटी मेडिसिन का भी होता है।

सामुदायिक चिकित्सा विभाग के एचओडी की ओर से जारी लेटर।

सामुदायिक चिकित्सा विभाग के एचओडी की ओर से जारी लेटर।

कम्यूनिटी मेडिसिन के हेड डिपार्टमेंट (HOD) अवतार सिंह दुआ ने 11 दिसंबर को एक लेटर जारी किया। जिसमें इस सब्जेक्ट सामुदायिक चिकित्सा के एग्जाम में बैठने के लिए महज एक छात्र को क्वालीफाई बताया गया।

लेटर में लिखा है कि एक छात्र मयंक सैनी जिसका रोल नंबर-112 है। छात्र सामुदायिक चिकित्सा में फाइनल ईयर एमबीबीएस भाग-1 के लिए यूनिवर्सिटी की परीक्षा में उपस्थित होने के लिए एनएमसी और आरयूएचएस के सभी मानदंडों को पूरा करता है। छात्र को क्वालीफाई किया गया है। यानी की 249 स्टूडेंट्स इस एग्जाम के लिए क्वालीफाई ही नहीं कर पाए। जैसे ही यह लेटर स्टूडेंट के बीच पहुंचा हंगामा मच गया।

एक दिन बाद एक और स्टूडेंट को क्वालीफाई माना

मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस 2020 बैच के मयंक सैनी को अनुमति दिए जाने के 24 घंटे बाद दूसरा लेटर भी सामने आया। दूसरे लेटर में मोहम्मद अबरार नाम के एक और स्टूडेंट को भी क्वालीफाई कर दिया गया। ऐसे में केवल 250 स्टूडेंट्स से केवल दो छात्राओं को ही फाइनल एग्जाम देने की ही परमिशन दी गई है।

दूसरे स्टूडेंट को अनुमति का लेटर।

दूसरे स्टूडेंट को अनुमति का लेटर।

आखिर 248 स्टूडेंट्स को फाइनल परीक्षा से क्यों रोका गया?

सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर 250 स्टूडेंट़्स को फाइनल परीक्षा में बैठने से क्यों रोका गया है। विभाग की ओर से बताया गया कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के नियमों के अनुसार क्लासेज में कम उपस्थिति के कारण ऐसे किया गया है। विभाग को इन नियमों को मानना ही पड़ता है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के मापदंडों को पूरा करने के बाद ही छात्रों को परीक्षा के लिए पात्र माना जाता है। उन्हें डिग्री प्रदान की जाती है।

इस प्रकरण को लेकर भास्कर ने लेटर जारी करने वाले कम्यूनिटी मेडिसिन के HOD डॉ. अवतार सिंह दुआ से बात की। दुआ ने कहा कि नियमों के अनुसार छात्रों को क्लासेज के लिए सिद्धांत में 75 प्रतिशत उपस्थिति रखी गई है। इसके अलावा व्यावहारिक में 80 प्रतिशत न्यूनतम उपस्थिति होनी चाहिए। स्टूडेंट्स की उपस्थिति पूरी नहीं होगी, क्लासेज नहीं लेंगे तो कैसे अच्छे डॉक्टर बनेंगे।

इस एग्जाम में क्वालिफाई करने वाले स्टूडेंट मयंक सैनी की वायरल तस्वीर। जिसे अन्य छात्र उठाकर जश्न मना रहे हैं।

इस एग्जाम में क्वालिफाई करने वाले स्टूडेंट मयंक सैनी की वायरल तस्वीर। जिसे अन्य छात्र उठाकर जश्न मना रहे हैं।

छात्रों की उपस्थिति कम कैसे हुई?

एक स्टूडेंट ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हम 2020 बैच के स्टूडेंट्स हैं। डिपार्टमेंट के पास हमारी उपस्थिति का पूरा रिकॉर्ड नहीं है। क्योंकि तब कोरोना चल रहा था। ऐसे में ज्यादातर स्टूडेंट्स की क्लासेज ऑनलाइन चल रही थी।

प्रथम वर्ष की पूरी क्लासेज ऑनलाइन ही आयोजित की गई थी। कोरोना समाप्त हुआ तो स्टूडेंट्स की ऑनलाइन क्लासेज बंद हुई। फिर मेडिकल कॉलेज में ऑफलाइन ही क्लासेज शुरू की गई थी। ऐसे में विभाग के पास दूसरे और तीसरे वर्ष की उपस्थिति का पूरा रिकॉर्ड ही नहीं है।

5 साल में पूरे करने होते हैं 19 सब्जेक्ट

एमबीबीएस कोर्स 5 साल का होता है। जो कि चार चरणों में आयोजित होता है। इसमें 19 सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं। सामुदायिक चिकित्सा (कम्युनिटी मेडिसिन) भी एक सब्जेक्ट के तौर पर थर्ड ईयर में पढ़ाया जाता है। जिसमें नेशनल और स्टेट की स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं का प्रचार और प्रसार करने के बारे में बताया जाता है।

विभाग के एडमिनिस्ट्रेशन का काम सिखाया जाता है। छात्रों को अंतिम परीक्षा के लिए पात्र होने के लिए सभी चरणों में नियमों के अनुसार कम से कम उपस्थिति लेनी होती है। सामुदायिक चिकित्सा में भी अन्य सब्जेक्ट की तरह ही थ्योरी और प्रैक्टिकल कराया जाता है। इसमें आम जनता को अवेयरनेस प्रोग्राम के बारे में भी बताया जाता है।

एसएमएस मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले छात्रों की ट्रेनिंग एसएमएस हॉस्पिटल में करवाई जाती है।

एसएमएस मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले छात्रों की ट्रेनिंग एसएमएस हॉस्पिटल में करवाई जाती है।

उपस्थिति पूरी करने के लिए दी गई थी चेतावनी

एक स्टूडेंट ने बताया कि सामुदायिक चिकित्सा विभाग के एचओडी डॉ. अवतार सिंह दुआ ने पहले कम उपस्थिति को लेकर चेतावनी भी दी थी। छात्रों को अपनी उपस्थिति पूरी करने का अवसर भी दिया था। इसके लिए विभाग की ओर से नवंबर से लेकर 11 दिसंबर तक अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित की गई थी।

ये क्लासेज सुबह 8 बजे से लेकर शाम को 7 बजे तक लगती है। दोपहर में एक घंटे का लंच होता है। इसी वजह से इन क्लासेज में उपस्थिति काफी कम रह गई थी। छात्र क्लासेज में नहीं जा रहे थे तो बंद कर दिया गया था। अब उनकी उपस्थिति कम होने के बाद 248 स्टूडेंट्स को क्वालीफाई नहीं किया गया।

जार्ड ने 248 बच्चों को वंचित करने को ठहराया गलत

जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (JARD) के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र सिंह डामोर ने बताया कि जो हुआ है वो गलत हुआ है। बच्चों की मेंटल हेल्थ और फ्यूचर देखते हुए कॉलेज प्रशासन को एक बार पुनर्विचार करना चाहिए। इतने बच्चों को परीक्षा से वंचित करना गलत है।

छात्रों को क्या होगा नुकसान?

एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के लिए कम्युनिटी मेडिसिन एक अनिवार्य सब्जेक्ट होता है। इसे पास किए बगैर छात्रों की डिग्री पूरी नहीं मानी जाती। छात्र जो एमबीबीएस की फाइनल परीक्षा है, उसमें बैठ तो सकते हैं, लेकिन कम्युनिटी मेडिसिन परीक्षा के लिए उन्हें 6 महीने का सेमेस्टर फिर से अटेंड करना होगा, फिर अटेंडेंस के आधार पर ही परीक्षा में बैठने की अनुमति मिलेगी। इससे छात्र एक सेमेस्टर पीछे हो जाएंगे। साढ़े पांच साल (साढ़े 4 साल एकेडमी और एक साल की इंटर्नशिप ) में पूरी होने वाली डिग्री 6 साल में हो पाएगी।

एक ही स्टूडेंट को क्वालीफाई करने पर किसी मूवी की तस्वीर के साथ ये मीम्स वायरल हो रहे हैं।

एक ही स्टूडेंट को क्वालीफाई करने पर किसी मूवी की तस्वीर के साथ ये मीम्स वायरल हो रहे हैं।

स्टूडेंट्स के मीम्स हो रहे वायरल

केवल दो स्टूडेंट्स को क्वालीफाई करने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर छात्रों के मीम्स वायरल होने शुरू हो गए हैं। एक मीम में इस एग्जाम के लिए क्वालीफाई करने वाले स्टूडेंट मयंक सैनी को कुछ छात्रों ने ऊपर उठा रखा है। साथ ही फोटो के साथ कैप्शन भी लिखा गया है। एक युवक, मिथक और दिग्गज मयंक सैनी। सभी स्टूडेंट्स मयंक के साथ जश्न मना रहे हैं।

एक फोटो ऐसे भी आया है जिसमें पूरा क्लास रूम ही खाली है। उसमें केवल मयंक सैनी ही बैठा हुआ है। वह पूरी क्लास रूम में चारों ओर घूम कर देख कर हैरान भी हो रहा है। क्लास रूम के पीछे कुछ अलग से बैनर भी लगाए गए है।

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