तस्वीर उन स्कूली बच्चों की है, जिन्हें जमीन में जिंदा दफनाया गया था।
गर्मी के दिनों की बात है। कैलिफोर्निया के चौचिला में डेरीलैंड एलिमेंटरी स्कूल की बस बच्चों को घर छोड़ने के लिए रवाना होती है। कुछ दूर चलने के बाद बस ड्राइवर देखता है कि सड़क के बीचों बीच एक वैन खड़ी है और आगे जाने का रास्ता बंद है। वो कुछ सोच पाए इससे पहले तीन बंदूकों से लैस लड़के बस को हाइजैक कर लेते हैं।
इस वक्त बस में 5 से 14 साल की उम्र के 26 बच्चे मौजूद हैं। बस को जंगल में सूखी नदी के पास ले जाकर पेड़ों के झुंड में छिपा दिया जाता है। यहां से बंदूक की नोक पर अपहरणकर्ता बच्चों को 2 वैन में शिफ्ट करते हैं। इसके लिए बच्चों को बंदूक की नोक पर बस से सीधे वैन में कूदने को कहा जाता है। ताकि जमीन पर उनके पैरों के निशान न छूटें।
करीब 47 साल पुराना ये किस्सा उन बच्चों का है, जिनका 3 अमीर परिवार के लड़कों ने 37 करोड़ रुपए की फिरौती के लिए अपहरण किया और जमीन में दफन कर दिया और वो कैसे 28 घंटों बाद जिंदा बचकर आए।
तस्वीर उस स्कूल बस की है जिसे हाइजैक करने के बाद जंगल में ले जाया गया था।
जिस वैन में शिफ्ट किया गया उसमें लकड़ी से कई जेल जैसे डिब्बे बनाए गए थे।
14 साल के बच्चे की हिम्मत ने जान बचाई
दोनों वैन की पिछली खिड़कियां काले रंग से रंगी गई थीं ताकि वैन में क्या है ये किसी को पता न चले। वैन में लकड़ी के पैनलों से छोटी-छोटी जेल बनाई गईं थीं। बच्चों को वैन में कैद करने के बाद 11 घंटों का सफर किया गया। बच्चों के पास खाने-पीने के लिए कुछ नहीं था। 100 मील चलने के बाद वो रात के अंधेरे में लिवरमोर इलाके में पहुंचे। जहां उन्हें वैन से उतारकर जमीन में गड्ढे में शिफ्ट किया गया। ये गड्ढा जमीन के 12 फीट नीचे था। इसके अंदर जाने के बाद स्कूल बस के ड्राइवर और बच्चों को समझ आया कि ये जमीन में दफनाया गया एक ट्रक है।
किडनैपर्स ने ट्रक में टॉयलेट के लिए एक छोटा होल बनाया था। इसके अलावा ट्रक में पीने के लिए पानी, खाने के लिए ब्रेड थी। वो सांस ले पाएं इसके लिए 2 वेंटिलेशन पाइप डाली गई थी। 12 घंटों तक बच्चे चुप रहे लेकिन फिर हालात बिगड़ने लगे। खाना और पानी खत्म हो गया। बच्चे को सांस लेने में परेशानी होने लगी। उन्हें लगा कि वो मर जाएंगे।
तभी उन्हें वैन की छत पर एक बड़ा छेद दिखा। स्कूल बस का ड्राइवर उस छेद का इस्तेमाल कर बाहर निकलने के लिए तैयार नहीं था। उसे लगा वो जैसे ही कोशिश करेंगे तो मारे जाएंगे। हालांकि, तभी 14 साल के लड़के माइक मार्शल ने जिम्मा संभाला। उसने छेद से मिट्टी हटानी शुरू की। उसके हौंसले को देखकर ड्राइवर ने भी उसकी मदद करनी शुरू कर दी। कुछ घंटों में वो मिट्टी में दफन वैन से निकलने में कामयाब रहे। इसकी एक वजह ये भी थी कि अपहरणकर्ता से सो गए थे। उन्हें बच्चों के निकलने की भनक तक नहीं लगी।
शौचालय के तौर पर ट्रक में एक छोटा होल बनाया गया था।
जमीन में दफनाए गए ट्रक की तस्वीर, जिसमें किडनैप किए बच्चों को रखा गया था।
इन बैग्स में बच्चों के लिए खाना और पीने के लिए पानी रखा था।
किडनैपर्स की पहचान ने हैरान किया
बच्चों के भाग निकलने के बाद पुलिस उन्हें अस्पताल नहीं बल्कि एक लोकल जेल ले गई। जहां उनसे 4 घंटों तक पूछताछ हुई। इसके बाद उन्हें परिवार को सौंपा गया। जब पुलिस ने किडनैपर्स को पकड़ा और उनकी पहचान उजागर की तो पूरा चौचिला शहर हैरान रह गया। इसकी वजह ये थी की सभी किडनैपर्स अच्छे और जाने-माने परिवारों से थे।
इनमें से एक फ्रेडरिक न्यूहॉल जो उस वक्त 24 साल का था वो कैलिफोर्निया के सबसे अमीर परिवारों में से एक था। उसने किडनैपिंग की पूरी योजना बनाई थी। पूछताछ में सामने आया कि 1971 में एक फिल्म आई थी डर्टी हैरी, इसी को देखकर वुड्स ने किडनैपिंग की प्लानिंग की थी।
फ्रेडरिक के अलावा रिचर्ड शोनफेल्ड और जेम्स शोनफेल्ड दो भाई भी इस अपहरण को अंजाम देने में शामिल थे। वो दोनों कैलिफोर्निया के एक जाने-माने डॉक्टर के बेटे थे।
ट्रक से निकलकर भागने के बाद अपने घर जाते हुए बच्चे।
लोकल जेल में पूछताछ के लिए ले जाए गए बच्चे।
तस्वीर उन तीनों अपराधियों की है, सभी को उम्रकैद की सजा मिली थी।
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