अशोक गहलोत के करीबियों पर कौन मेहरबान? आखिर सचिन पायलट कब भरेंगे उड़ान
कांग्रेस का राजस्थान संकट हल होता नजर नहीं आ रहा है। बगावत के मामले में गहलोत के करीबियों पर तीन महीने में कोई एक्शन नहीं हुआ है। पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है।
कांग्रेस का राजस्थान संकट हल होता नजर नहीं आ रहा है। बगावत के मामले में गहलोत के करीबियों पर तीन महीने में कोई एक्शन नहीं हुआ है। पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है, जबकि नोटिस जारी हुए करीब डेढ़ महीने हो चुके हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर गहलोत के करीबियों पर कौन मेहरबान है? ऐसे में पायलट की उड़ान पर भी संशय के बादल गहराने लगे हैं। अनुशासनात्मक समिति के सदस्य सचिव तारिक अनवर का कहना है कि समिति कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के निर्देश का इंतजार कर रही है।
27 सितंबर को जारी हुई थी नोटिस
गौरतलब है कि जयपुर में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक के समानांतर अलग बैठक बुलाए जाने के प्रकरण को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति ने 27 सितंबर को शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। तीनों नेताओं ने इसका जवाब भी दे दिया है। इस मामले में आगे की कार्रवाई में विलंब के बारे में पूछे जाने पर तारिक अनवर ने कहा कि इस पर अध्यक्ष को आदेश देना है। उन्होंने कहा कि हम लोग अध्यक्ष के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पिछले दिनों इस मामले में गहलोत के करीबी माने जाने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई किए जाने पर जोर दिया था।
पायलट-गहलोत गुट में खींचतान
पायलट के इस बयान को कांग्रेस की राजस्थान इकाई में गहलोत एवं पायलट खेमों के बीच खींचतान को फिर से शुरू होने का संकेत माना जा रहा है। यह खींचतान पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव के चलते कई दिनों से थमी हुई थी। उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई गई थी। इसे कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद के रूप में देखा गया क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था। हालांकि, सीएलपी की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
इस बात पर हुई थी बगावत
इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत सरकार का समर्थन किया था। तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी। इसके बाद कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी तथा पार्टी के नेता धर्मेंद्र राठौड़ को उनकी इस घोर अनुशासनहीनता के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे 10 दिन के भीतर यह बताने के लिए कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।
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