आतंकी एक्टिविटीज का इनपुट, पुलिस हाई अलर्ट:खुफिया एजेंसियों ने कहा- प्रतिबंधित PFI के स्लीपर सेल युवाओं को बरगला रहे
भारत में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के स्लीपर सेल की एक्टिविटीज तमिलनाडु में हो रही है। केंद्रीय जांच एजेंसियों के इस इनपुट के बाद तमिलनाडु पुलिस हाई अलर्ट है। एजेंसियों ने बताया कि PFI के सदस्य मानवाधिकार समूहों की ओट में कट्टर इस्लामिक विचारधारा को प्रसारित कर रहे हैं। इनके निशाने पर शिक्षित मुस्लिम युवा हैं। वो इन्हें बरगला कर आतंक की ओर मोड़ना चाह रहे हैं।
PFI के पूर्व मेंबर्स को संगठित कर रहे
केंद्रीय एजेंसियों ने राज्य पुलिस को चेतावनी दी है कि तमिलनाडु में कुछ स्लीपर सेल इन कागजी संगठनों की एक्टिविटीज का समर्थन कर रहे हैं। ये समूह मानवाधिकारों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और लोगों को भड़का रहे हैं कि पुलिस उन पर अत्याचार कर रही है। एजेंसियों का कहना है कि वे तमिलनाडु में आगे की कार्रवाई के लिए PFI के पूर्व मेंबर्स को संगठित कर रहे हैं।
विदेश से मिल रहा फंड
केंद्रीय खुफिया एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इन संगठनों को देश के बाहर से फंड मिल रहा है। पैसे पहुंचाने के लिए कुछ हवाला ऑपरेटरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। पश्चिम एशिया के कुछ तमिल मुसलमान इनका समर्थन कर रहे हैं। एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि कितना पैसा ट्रांसफर किया जा रहा है।
तमिलनाडु सुरक्षित पनाहगाह
इस्लामिक संगठन तमिलनाडु को एक सुरक्षित पनाहगाह मानते हैं क्योंकि राज्य में DMK सरकार केंद्र सरकार का विरोध करती है और उसका कई मुद्दों पर केंद्र के साथ टकराव है। एजेंसियों ने कहा कि केरल इनके लिए एक बेहतर ठिकाना होता, लेकिन इन संगठनों ने इसे छोड़ दिया है क्योंकि केरल पहले इस्लामिक संगठनों के कारण सुरक्षा एजेंसियों और मीडिया के रडार पर रहा है। PFI के पहले संगठन NDF का गठन भी केरल में हुआ था।
खुफिया एजेंसियों की निगरानी में कई जिले
केंद्रीय एजेंसियों के अनुसार, तमिलनाडु में इस्लामिक आंदोलनों के बारे में मीडिया का इतना प्रचार नहीं है और इसलिए इस्लामिस्ट वहां एक मजबूत आधार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। श्रीलंका के उग्रवादी संगठन लिट्टे (LTTE) के मेंबर्स के हाजी अली नेटवर्क जैसे अंतर्राष्ट्रीय ड्रग तस्करी नेटवर्क के साथ गठजोड़ है।
केंद्रीय एजेंसियां इस बात की जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या नए बनाए गए समूह पहले से किसी के साथ जुड़ चुके हैं या जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
इन संगठनों की गतिविधियों का पता लगाने के लिए तमिलनाडु में कोयम्बटूर, तिरुचि, नामक्कल, कन्याकुमारी और थेनी जैसे कई स्थानों पर खुफिया एजेंसियों और पुलिस की कड़ी निगरानी है।
PFI का इतिहास
PFI की जड़ें 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए खड़े हुए आंदोलनों से जुड़ती हैं। 1994 में केरल में मुसलमानों ने नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) की स्थापना की थी। स्थापना के बाद से ही NDF ने केरल में अपनी जड़ें मजबूत की और इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई और इस संगठन की सांप्रदायिक गतिविधियों में संलिप्तता भी सामने आती गई। साल 2003 में कोझिकोड के मराड बीच पर 8 हिंदुओं की हत्या में NDF के कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए। इस घटना के बाद BJP ने NDF के ISI से संबंध होने के आरोप लगाए, जिन्हें साबित नहीं किया जा सका।
केरल के अलावा दक्षिण भारतीय राज्यों, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी मुसलमानों के लिए काम कर रहे संगठन सक्रिय थे। कर्नाटक में कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी यानी KFD और तमिलनाडु में मनिथा नीति पसाराई (MNP) नाम के संगठन जमीनी स्तर पर मुसलमानों के लिए काम कर रहे थे।
इन संगठनों का भी हिंसक गतिविधियों में नाम आता रहा था। नवंबर 2006 में दिल्ली में हुई एक बैठक के बाद NDF और ये संगठन एक होकर PFI बन गए। इस तरह साल 2007 में PFI अस्तित्व में आया और आज 20 राज्यों में ये संगठन काम कर रहा है।
अब PFI एक संगठित नेटवर्क है जिसकी देश के बीस से अधिक राज्यों में मौजूदगी है। PFI की एक राष्ट्रीय समिति होती है और राज्यों की अलग समितियां होती हैं। ग्राउंड लेवल पर इसके वर्कर होते हैं। समिति के सदस्य हर तीन साल में होने वाले चुनाव से चुने जाते हैं। 2009 में PFIने अपने राजनीतिक दल SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया) और छात्र संगठन CFI (कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया) का गठन किया था।

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