6 फर्जी टेंडर जारी कर 60 लाख का घोटाला:महिला अफसर ने चहेते ठेकेदार को किया भुगतान, किसी को भनक नहीं लगी
सरकारें भले ही जीरो टॉलरेंस नीति को सख्ती से लागू करने के दावे करें। लेकिन सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण धरातल पर यह खोखले साबित हो रहे हैं। ऐसे कर्मचारियों के कारण आमजन को भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने में सरकार की कोशिश नाकाम साबित होती नजर आती है।
मनीषा यादव के खिलाफ फर्जी टेंडर जारी करने के मामले में एसीबी ने केस दर्ज किया।
10 घंटों की मशक्कत से खंगाला रिकॉर्ड
फर्जी टेंडर की सूचना पर 27 दिसंबर को एसीबी की टीम एडिशनल एसपी सुरेंद्र सिंह के नेतृत्व में विराटनगर नगर पालिका पहुंची।
टीम ने स्टोर रूम प्रभारी और कैश शाखा प्रभारी कनिष्ठ सहायक राहुल शर्मा को मौके पर बुलाया। राहुल ने एसीबी को बताया कि दस दिन पहले ही उसे पावटा नगरपालिका का एक कर्मचारी संबंधित पत्रावलियां देकर गया है।
जांच में सामने आया कि पत्रावलियों पर जिम्मेदार कर्मचारियों के हस्ताक्षर नहीं है और न ही तारीख दर्ज है। केवल विराटनगर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी और अध्यक्ष के हस्ताक्षर हैं।
इनके अलावा कमेटी सदस्यों के भी हस्ताक्षर नहीं है और न ही स्टोर लिपिक के हस्ताक्षर हैं। इन पत्रावलियों में कई त्रुटियां पाई गईं। नोटशीट पर पैरा क्रमांक भी अंकित नहीं है। टीम ने 10 घंटों तक एक-एक पत्रावली की जांच की और बाद में इन्हें सबूत के तौर पर जब्त कर लिया। एसीबी ने इस पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी कराई।
पार्षदों को भी नहीं लगी भनक
फर्जी टेंडर जारी करने के इस पूरे खेल की भनक पार्षदों को भी नहीं लगी। जबकि 10 लाख से अधिक का कार्य करवाने से पहले बोर्ड के सदस्यों की अनुमति भी अनिवार्य होती है।
ऐसे में विराटनगर नगर पालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों ने फर्जी टेंडर का नया फाॅर्मूला निकाला, जिससे किसी को इसके बारे में पता भी न चले और टेंडर भी हो जाए। अपने चहते ठेकेदार को सामान का टेंडर जारी कर अधिक कमीशन पर कार्यादेश जारी कर दिया।
60 लाख रुपए के फर्जी टेंडर का मामला सामने आने के बाद पालिका में हर कोई हैरान रह गया।
दीपावली पर इन कार्यों के हुए थे टेंडर
जानकारी के अनुसार विराटनगर नगर पालिका में दीपावली पर विभिन्न कार्यों को लेकर गुपचुप तरीके से छह निविदाएं जारी की गई थी।
- पोल बैंड नट बोल्ट सप्लाई के लिए 9 लाख 45 हजार 600 रुपए का भुगतान किया गया।
- फैज वायर सप्लाई के कार्य के लिए 9 लाख 49 हजार 248 रुपए का भुगतान किया गया।
- कपड़े के कैरी बैग सप्लाई के लिए 9 लाख 50 हजार 400 रुपए और क्षेत्र में 60 वॉट एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए 9 लाख 47 हजार 856 रुपए का भुगतान किया गया।
- पालिका क्षेत्र में 10 लीटर क्षमता के प्लास्टिक डस्टबिन लगाने के नाम पर 9 लाख 50 हजार 400 रुपए और लोहे के बड़े डस्टबिन की सप्लाई के लिए 9 लाख 46 हजार 80 रुपए दिए गए।
फर्म को भुगतान करने के बावजूद यह सामान पालिका को कभी सौंपा ही नहीं गया।
एसीबी की पूछताछ में विराटगर पालिका के कनिष्ठ सहायक राहुल शर्मा ने बताया कि सभी छह पत्रावलियों के टेंडर के संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं थी और न ही इन के किसी पेज पर मेरे कोई हस्ताक्षर या टिप्पणी है। मुझे कोई सामान प्राप्त नहीं हुआ। इस कारण दोनों स्टॉक रजिस्टरों में इन्द्राज नहीं किया है और न ही मेरे स्टोर में यह सामान आया है।
मनीषा पर आरोप है कि उन्होंने विराटनगर नगरपालिका के टेंडर पावटा नगरपालिका की आईडी से जारी कर दिए।
ईओ मनीषा ने मिलीभगत से ऐसे किया फर्जीवाड़ा
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि नगर पालिका पावटा की अधिशासी अधिकारी मनीषा यादव, विराटनगर नगर पालिका अध्यक्ष सुमिता सैनी, उनके पति नरेंद्र सैनी, पालिका पावटा के कैशियर रिंकू यादव व उसके सहायक मुखराम गुर्जर ने अन्य नगरपालिका के नाम से फर्जी टेंडर निकालकर चहेते ठेकेदार को कार्य दिया है।
आरोपियों ने बिना सामान खरीदे 60 लाख का भुगतान भी कर दिया। मनीषा यादव के पास नगरपालिका विराटनगर का अतिरिक्त कार्यभार था।
ऐसे में विराटनगर नगरपालिका के टेंडर नगरपालिका पावटा की आईडी से जारी करने का आरोप है।
बिना सामान प्राप्त किए 60 लाख का भुगतान
जांच करने पहुंची एसीबी की टीम उस समय चौंक गई जब 60 लाख के भुगतान के बावजूद फर्म के ठेकेदार द्वारा नगर पालिका विराटनगर को किसी तरह का कोई सामान या वस्तु उपलब्ध नहीं कराने का खुलासा हुआ।
एडिशनल एसपी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि सामान्य मामलों में सामग्री घटिया या मापदंड के अनुरूप नहीं पाई जाती है। लेकिन उनके सामने यह ऐसा पहला केस था, जिसमें बिना सामान प्राप्त किए ही फर्म को भुगतान कर दिया गया हो।
एडिशनल एसपी (एसीबी) सुरेंद्र सिंह की रिपोर्ट पर ईओ मनीषा यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
फर्जी टेंडर मामले में 5 के खिलाफ केस दर्ज
एसीबी ने फर्जी टेंडर के जरिए 60 लाख रुपए का भुगतान करने के मामले में तत्कालीन विराटनगर अधिशासी अधिकारी मनीषा यादव, नगर पालिका अध्यक्ष सुमिता सैनी, प्रोपराइटर भैरूराम गुर्जर फर्म मैसर्स देव ट्रेडिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी विराटनगर और प्रोपराइटर रामदयाल यादव फर्म श्री श्याम एंटरप्राइजे विराटनगर के साथ ही नगर पालिका पावटा के कैशियर रिंकू यादव के खिलाफ केस दर्ज किया है।
एसीबी ने धारा 13 (1) (ए) 13 (2) पीसी एक्ट 1988 (यथा संशोधित 2018) 409 और 120बी आईपीसी के तहत केस दर्ज किया है।
मनीषा यादव के खिलाफ एसीबी ने दर्ज की एफआईआर।
मनीषा वर्तमान में पावटा-प्रागपुरा नगरपालिका की अधिशासी अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। कुछ समय के लिए उनके पास दो नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी का चार्ज था। आरोप है कि इसी के जरिए उन्होंने पूरा खेल कर दिया।
Add Comment