8300 मील दूर से आया एरिक, अलवर में बना गौ-भक्त:लंपी से बीमार गायों को एंबुलेंस से रेस्क्यू कर रहा अमेरिकन स्टूडेंट
अमरीका के टेक्सास के रहने वाले 28 साल के स्टूडेंट एरिक अलवर में लंपी वायरस से मृत व पीड़ित गोवंश का रेस्क्यू करने में लगे हैं। कहीं मृत पशु मिलता है तो उसे उठवाते हैं। घायल को रेस्क्यू कर अस्पताल व काइन हाउस भिजवाते हैं। खुद स्टूडेंट हैं। जो गैप ईयर होली-डे के तहत भारत घूमने आए हैं। हैदराबाद में होटल इंडस्ट्री से जुड़े मुकेश गुप्ता से एरिक को लंपी वायरस के बारे में और अलवर में ऐसे पशुओं को रेस्क्यू करने वाले महेंद्र के बारे में पता चला। इसके बाद एरिक की इतना जिज्ञासा हुई कि वे सब काम छोड़कर पशुओं की सेवा करने वाले महेंद्र से मिलने चले आए। यहां महेंद्र का दिन-रात लावारिश पशुओं की सेवा करते देख बहुत प्रभावित हुए। खुद भी टूरिस्ट प्लेस घूमने की बजाय एरिक के साथ भी अलवर में लंपी वायरस से पीड़ित मरे पशुओं को उठाना और बीमार का इलाज करने में लग गए। अलवर में एरिक को आए 6 दिन हो गए। तब से रोजाना 5 घंटे पशुओं को रेस्क्यू करने व उनकी सेवा में लगे हैं।
गोशाला के स्टाफ के साथ जुट गए
अलवर के भवानी तोप सर्किल पर महेंद्र के निजी पशु सेवा केंद्र के अलावा एरिक बुध विहार स्थित गौशाला में बीमार गायों की सेवा में भी पहुंच गए। वे गोशाला में काम कर रहे स्टाफ का सहयोग करते हैं। उनके साथ पूरा मेल-मिलाप हो गया। रोजाना शहर में भी घूमने निकलते हैं। फिर गोशाला आ जाते हैं। यहां बीमार पशुओं को खाना खिलाने, दवा देने का भी काम करते हैं। एंबुलेंस से शहर से बीमार पशुओं को लाने में मदद करते हैं।

नगर परिषद में कमिश्नर डीपी जाट अमरीकी छात्र हैरिक को जानकारी देते हुए।
एरिक बोले घायल पशुओं की सेवा करना भी अपोर्च्यूनिटी
ऐरिक ने बताया कि उसे घायल पशुओं की सेवा करने में सुकून मिलता है। चाहे स्ट्रीट डॉग हो या गोवंश। सब तरह के पशुओं की मदद करना अच्छा लगता हैं। इसे वे एक अपोर्च्यूनिटी समझते हैं। रात को वे किसी होटल में रुकने बजाय सामान्य सुगनाबाई धर्मशाला में विश्राम करते हैं। दिन बाजार, गली-मोहल्लों में भी घूमकर भारत के कस्बे, गांव व शहरों की संस्कृति को समझते हैं। कहीं भी खाना खा लेते हैं।

अलवरशहर से गोवंश को रेस्क्यू करने का प्रयास कर रहा हैरिक।
कमिश्नर भी पहुंचे
जब नगर परिषद कमिश्नर डीपी जाट को पता लगा कि अमरीका का एक स्टूडेंट गोसेवा में लगा है। लंपी वायरस पशुओं को रेस्क्यू करा रहा है। तब वे भी उनसे मिलने आए। उनको गोशाला के बारे में पूरी जानकारी दी। कमिश्नर ने बताया कि ऐरिक बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। पीड़ित पशुओं का रेस्क्यू करने में मदद करते हैं।
दो महीने इंडिया आए थे
एरिक ने बताया कि वे दो महीने के इंडिया टूर पर आए थे। दिल्ली यूनिवर्सिटी में नॉलेज एक्सचेंज प्रोग्राम स्टूडेंट के जरिए आए थे। इंडियन कल्चर व नॉलेज को समझने में लगा है। अभी तक दिल्ली, इंदौर, हैदराबाद घूम चुका है। अब दो-तीन बाद अलवर से जयपुर जाने का प्रोग्राम है। वापस जाने का प्रोग्राम तय नहीं है। कुछ स्टेट घूमने के बाद वापस जाने का कार्यक्रम तय होगा। एरिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट से घूमता है। इसका मकसद भारत में आम आदमी की लाइफ को समझना है। इसके अलावा भारत में इतनी विविधता के बावजूद यहां कल्चर व काम कैसा है। यह सब समझने में लगा है।
महेंद्र सालों से घायल पशुओं का इलाज कर रहे
अलवर के महेंद्र सालों से घायल पशुओं का इलाज कर रहे हैं। भवानी तोप पशु अस्पताल परिसर में उन्होंने घायल पशुओं के लिए निजी वार्ड बना रखा है। जिसमें करबी 50 से 60 पशु हमेशा रहते हैं। घायल डॉग व अन्य पशु भी हैं। उनके खाने पीने का इंतजाम सबके सहयाेग से करते हैं। लंपी के पशुओं का इलाज भी करते हैं। मृत पशुओं को भी खुद की एंबुलेंस से दफनाते हैं। इन सब कामों में एरिक ने हाथ बंटाया है।












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