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कलम की चूक से सरहद पर तकरार

BY DR MUDITA POPLI

बीकानेर। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता समाज को आईना दिखाने और राष्ट्रहित की रक्षा का दायित्व निभाता है। पत्रकारिता का धर्म है — सत्य को उजागर करना, परन्तु जिम्मेदारी और मर्यादा के साथ। घड़साना में हुई हालिया घटना ने इस जिम्मेदारी पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के कार्यक्रम में कुछ यूट्यूबर्स ने पत्रकारिता की मर्यादाओं को तोड़ते हुए जबरन घुसपैठ की, उनके सामने बार-बार माइक रखकर सवाल दागे और बयान को वायरल कर दिया। यह एक गैर-जिम्मेदाराना कदम साबित हुआ, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिति को और जटिल बना दिया।
पाकिस्तान की आर्मी मीडिया इकाई आईएसपीआर (Inter Services Public Relations) ने इस घटना के बाद भारत पर भड़काऊ टिप्पणियां करने का आरोप लगाया और बयान जारी करते हुए कहा कि “भारत लगातार झूठे बहाने बनाकर आक्रामक रवैया दिखा रहा है और यह क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा है।”
पाकिस्तान आर्मी की मीडिया शाखा इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने कहा है कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ी शीर्ष स्तर की टिप्पणियाँ “भड़काऊ, भ्रमित करने वाली और युद्धोन्मादी” हैं।
आईएसपीआर ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब एक “नई चाल” है, जिसके जरिए भारत मनगढ़ंत बहानों से आक्रामकता दिखाना चाहता है। बयान में कहा गया कि ऐसा कदम दक्षिण एशिया की शांति और स्थिरता के लिए गंभीर नतीजे ला सकता है।
पाकिस्तान ने दावा किया कि दशकों से भारत “पीड़ित कार्ड” खेलता आया है, पाकिस्तान को नकारात्मक रूप से पेश करता रहा है और आतंकवाद का आरोप लगाकर हिंसा को भड़काता रहा है। लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को असलियत समझ आ चुकी है और भारत को “सीमा पार आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता का केंद्र” के रूप में देखा जा रहा है।


बयान में कहा गया कि इस वर्ष की शुरुआत में भारत की “आक्रामक कार्रवाई” ने दोनों परमाणु शक्तियों को युद्ध की कगार पर ला दिया था। पाकिस्तान ने चेतावनी देते हुए कहा कि भारत को उस समय हुई हवाई झड़प और अपने लड़ाकू विमानों के मलबे को नहीं भूलना चाहिए। लेकिन अब भारत एक बार फिर टकराव की ओर बढ़ता प्रतीत हो रहा है।
आईएसपीआर ने भारतीय रक्षा मंत्री और सेना के शीर्ष अधिकारियों के बयानों को “अत्यधिक उत्तेजक” बताते हुए कहा कि यदि भविष्य में कोई नई झड़प होती है तो पाकिस्तान किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा। “हम हर हाल में जवाब देंगे, बिना किसी हिचकिचाहट और restraint (संयम) के।”
बयान में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान ने “नया सामान्य” (New Normal) स्थापित किया है, जिसका मतलब है कि किसी भी प्रकार की आक्रामकता या हमले का जवाब तुरंत, निर्णायक और विनाशकारी होगा। पाकिस्तान की सेना और जनता दोनों ही इस बात के लिए तैयार हैं कि किसी भी कोने तक जाकर दुश्मन का सामना कर सकें।
सबसे तीखा संदेश यह था कि पाकिस्तान ने भारत को चेतावनी दी — “यदि भारत पाकिस्तान को मानचित्र से मिटाने की बात करता है तो उसे यह जान लेना चाहिए कि परिणाम आपसी विनाश के रूप में सामने आएंगे। यह मिटाना एकतरफा नहीं होगा, बल्कि परस्पर होगा।”
पाकिस्तान ने यहां तक चेतावनी दी कि यदि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी तरह की टकराव की स्थिति बनती है तो परिणाम विनाशकारी होंगे और उसका खामियाज़ा दोनों देशों को भुगतना पड़ेगा। हमारे चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ वहां अपने जवानों के उत्साह वर्धन करने गए थे, एक कार्यक्रम में सम्मिलित होने गए थे ।उनके वहां पहुंचने के बाद जो व्यवहार मीडिया ने दिखाया और जिस प्रकार से भारतीय विदेश नीति की परवाह किए बगैर असंयम दिखाया वह देश के लिए घातक साबित हो सकता है।
पत्रकारिता का उद्देश्य केवल सनसनी फैलाना या वायरल सामग्री तैयार करना नहीं है। सच्ची पत्रकारिता वही है जो सत्य, संतुलन और संवेदनशीलता के साथ समाज को मार्गदर्शन दे।
“कलम का काम है सच को उजागर करना,
न कि राष्ट्र की मर्यादा को ठेस पहुँचाना।”
आज यह घटना हमें यह सोचने पर विवश करती है कि क्या लाइक्स और व्यूज़ की दौड़ ने पत्रकारिता को मूल धर्म से भटका दिया है? क्या पत्रकारिता का मकसद केवल सवाल पूछना रह गया है या फिर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना भी उतना ही आवश्यक है?
“कलम की धार तलवार से तेज कही जाती है,
पर यदि कलम मर्यादा खो दे, तो राष्ट्र की गरिमा डगमगाती है।
सत्य ही पत्रकार का शस्त्र है, संयम उसका कवच,
वरना इतिहास साक्षी है — असंयम से टूटता है विश्वास।”
विशेषज्ञों का मानना है कि घड़साना में पत्रकारिता के नाम पर की गई इस लापरवाही ने भारत की वैश्विक छवि को ठेस पहुंचाई और पड़ोसी देश को कड़ा बयान देने का मौका दे दिया। इससे भारत की शांति स्थापना के प्रयासों को गहरा आघात लगा है।

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