BSF: बीएसएफ में 24 साल नौकरी की, वीआरएस लिया तो पेंशन के लाले पड़े; 90 दिन से ठंडे बस्ते में पड़ी है फाइल
BSF: बीएसएफ में 24 साल से ज्यादा समय तक सेवा देने वाले हवलदार रिकेश ने वीआरएस लिया था। लेकिन तीन महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में 24 साल और 8 माह तक सेवा देने वाले हवलदार रिकेश कर ने जब स्वास्थ्य कारणों से वीआरएस लिया तो उन्हें पेंशन मिलने के लाले पड़ गए। सामान्य तौर पर यह नियम रहता है कि वीआरएस लेने के 90 दिन के भीतर पेंशन संबंधी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएं। पूर्व हवलदार रिकेश ने वीआरएस तो ले ली, लेकिन तीन महीने बाद भी उनकी पेंशन शुरु नहीं हो सकी। बीएसएफ की 42वीं बटालियन ने उनका पेंशन केस, पीएडी बीएसएफ को फॉरवर्ड किया था। तीन माह का इंतजार करने के बाद जब रिकेश ने पेंशन विभाग में शिकायत की तो एकाएक उसे सूचित किया गया कि उनका पेंशन केस पीएओ द्वारा एचओओ को आब्जरवेशन के साथ वापस लौटा दिया गया है। रिकेश ने इस मामले में आरटीआई भी लगाई है और बीएसएफ डीजी से प्रार्थना की है कि वे इस केस में हस्तक्षेप कर उनकी मदद करें।
90 दिन तक केस में कुछ नहीं हुआ
रिकेश कर के मुताबिक, उन्होंने सीमा सुरक्षा बल में 24 वर्ष से अधिक समय तक सेवा की है। वे हजारीबाग, राजस्थान, कश्मीर, गुजरात, असम और त्रिपुरा जैसे स्थानों पर तैनात रहे हैं। तीन माह तक उनकी फाइल को टच नहीं किया गया। उन्होंने इस मामले में लगभग डेढ़ दर्जन जगहों पर अप्रोच की, ताकि उनकी पेंशन जल्द शुरु हो सके। जब 90 दिन बीत गए और मामले में कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने पेंशन विभाग में अपने केस को लेकर शिकायत कर दी।
आखिर क्यों रोकी गई पेंशन की फाइल
इसके 24 घंटे के भीतर ही उनके मामले की फाइल वापस लौटा दी गई। रिकेश कर बताते हैं कि अभी उनकी 15 साल की सेवा बची थी। मेडिकल आधार पर उन्हें वीआरएस लेना पड़ा। पेंशन विभाग में शिकायत और डीजी से गुहार का नतीजा यह रहा कि उनकी फाइल को वापस भेज दिया गया। पूर्व हवलदार ने डीजी को भेजी शिकायत की प्रति बीएसएफ के स्पेशल डीजी ‘ईस्ट’ कोलकाता, आईजी बीएसएफ फ्रंटियर हेडक्वार्टर त्रिपुरा, निदेशक पीएडी बीएसएफ और कमांडेंट 42वीं बटालियन को भेजी गई है। हवलदार 42 वीं बटालियन ने अपने पेंशन केस को लेकर आरटीआई भी लगाई है। कमांडेंट ने रिकेश कर के पेंशन केस ‘पत्र क्रमांक संख्या 11686-87’ को एक अगस्त 2024 को पीएडी बीएसएफ को फॉरवर्ड किया था। बीएसएफ के पूर्व हवलदार ने अपने विभाग से आरटीआई के जरिए पूछा है कि उस अधिकारी का नाम बताया जाए जो पेंशन केस में हो रही देरी के लिए जिम्मेदार है। पेंशन केस की फाइल एक अगस्त से छह नवंबर तक रोकी गई है। आखिर पेंशन की फाइल क्यों रोकी गई है और उसका क्या कारण है, उसे दोबारा से 42वीं बटालियन में भेज दिया गया, इसकी वजह बताई जाए।
बीएसएफ डीजी से लगाई गुहार
पूर्व हवलदार रिकेश कर ने डीजी बीएसएफ को भी शिकायत भेजी है। इसमें उन्होंने पर्सनल पेंशन आर्डर का जारी न होना और रेग्युलर पेंशन पेमेंट में देरी, का मुद्दा उठाया है। पर्सनल पेंशन आर्डर के जारी होने में हो रही देरी से सेवानिवृत्त व्यक्ति के सामने कई चुनौतियां आ जाती हैं। बतौर रिकेश, मेरा पेंशन केस एक अगस्त को 42वीं बटालियन के कमांडेंट द्वारा ‘पे एंड अकाउंट डिवीजन’, बीएसएफ, नई दिल्ली को भेजा गया था। अभी तक पर्सनल पेंशन आर्डर, जारी नहीं किया गया है। इसके चलते पेंशनर अपना सीजीएचएस कार्ड नहीं बनवा सका। लिहाजा, रिकेश कर ने स्वास्थ्य समस्या के चलते बीएसएफ से वीआरएस ली है, इसलिए अब मेडिकल जरुरतों के कारण सीजीएचएस कार्ड होना अनिवार्य है। इसके अलावा, पर्सनल पेंशन आर्डर जारी न होने के कारण नियमित पेंशन मिलने में देरी हो रही है। रिटायरमेंट के बाद पेंशन ही आय का प्रारंभिक स्त्रोत होती है। पूर्व हवलदार ने बीएसएफ डीजी से आग्रह किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप कर ‘पर्सनल पेंशन आर्डर’ जारी कराएं।
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