बाल दिवस 2024: आर्मी किड्स द्वारा खेलों में प्रेरणादायी उत्कृष्टता
बाल दिवस के अवसर पर जब पूरे भारत में बच्चों के अधिकारों और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाया जा रहा है, जयपुर, राजस्थान से दो आर्मी किड्स की प्रेरणादायक कहानियाँ खेल जगत में उनके समर्पण और अनुकरणीय उत्कृष्टता को दर्शाती हैं। ये कहानियाँ बताती हैं कि कैसे एक दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम से युवा खिलाड़ियों ने अपने खेल में उच्चतम स्तर को छुआ है, अपने परिवार, समुदाय और देश का नाम रोशन किया है।
चिन्मयी कासोडेकर: टेनिस की उभरती सितारा
कर्नल अजीत कासोडेकर की सुपुत्री, चिन्मयी कासोडेकर ने केवल 8 साल की छोटी उम्र में नागपुर में लॉन टेनिस खेलना शुरू किया। उनकी खेल यात्रा किसी साधारण शुरुआत से परे रही। शुरुआत में ही उन्होंने खुद को कठिनाइयों से नहीं घबराने और असफलताओं से सबक लेने का अभ्यास किया। 2015 में टेनिस खेलना शुरू करने के बाद, उन्होंने स्थानीय और जिला स्तर पर टूर्नामेंट में भाग लेकर अपने कौशल को निखारा और साथ ही खेल की बारीकियों को समझने का प्रयास किया।
2018 में, चिन्मयी अपने परिवार के साथ जयपुर आ गईं, जहाँ उन्होंने जयपुर मिलिट्री स्टेशन में कोच निखिल सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। निखिल सिंह सिसोदिया के सहयोग और प्रशिक्षकों के निर्देशन में उन्होंने खेल के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उनके कठिन परिश्रम का परिणाम तब दिखा जब उन्होंने 2023 और 2024 में जिला स्तर पर रजत और कांस्य पदक प्राप्त किए।
चिन्मयी ने 2023 में स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय टीम स्पर्धा में रजत पदक जीता, जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। टेनिस में अपने करियर को आगे बढ़ाते हुए, चिन्मयी ने शिक्षा में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। 12वीं बोर्ड परीक्षा में हुमानिटीज़ स्ट्रीम में उन्होंने 90% अंक प्राप्त किए। साथ ही, उन्होंने ओपन कैटेगरी में NIFT प्रवेश परीक्षा भी पास की और वर्तमान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु से फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रही हैं।
चिन्मयी का यह सफर संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा, परन्तु उन्होंने हर चुनौती को अपने आत्मबल और निष्ठा से पार किया। वह भविष्य में अपनी खेल यात्रा को और अधिक ऊँचाइयों तक ले जाना चाहती हैं और एक बेहतर खिलाड़ी बनने का सपना संजोए हुए हैं।
ज़ारा स्विटेंस: घुड़सवारी में राष्ट्रीय गौरव
लेफ्टिनेंट कर्नल डी स्विटेंस की पुत्री, ज़ारा स्विटेंस ने घुड़सवारी की शुरुआत बचपन में ही कर दी थी। उनके पिता, जो 61 कैवेलरी के एक सम्मानित अधिकारी हैं और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं, ने हमेशा उनकी क्षमताओं को निखारने के लिए मार्गदर्शन किया। उनके पिता ने ही उन्हें अनुशासन, साहस और धैर्य का महत्व सिखाया, जो कि घुड़सवारी जैसे खेल में सफलता की कुंजी हैं।
ज़ारा ने बेहद कम उम्र में कई क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की और कुल मिलाकर 3 राष्ट्रीय पदक जीते हैं। उनके इस छोटे से करियर में कई कठिनाइयाँ और प्रतियोगिताएँ आईं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। हाल ही में, ज़ारा ने FEI वर्ल्ड चिल्ड्रन क्लासिक शो जंपिंग में हिस्सा लिया और दूसरा स्थान हासिल कर एक नई उपलब्धि प्राप्त की। उनके इस प्रयास ने न केवल उन्हें विश्व रैंकिंग में स्थान दिलाया, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें एक नई पहचान दी।
ज़ारा ने शो जंपिंग और ड्रेसेज स्पर्धाओं में सफलता पाई है और अब दिसंबर 2024 में दिल्ली में होने वाले जूनियर नेशनल के लिए क्वालीफाई कर लिया है। खेल में उनकी इस निरंतरता और दृढ़ संकल्प से यह स्पष्ट है कि ज़ारा का लक्ष्य सिर्फ पदक जीतना नहीं है, बल्कि एक मजबूत एथलीट बनना है जो अपने खेल में आत्मनिर्भर और श्रेष्ठ हो।
प्रेरणा की कहानियाँ: अगली पीढ़ी के लिए उदाहरण
चिन्मयी और ज़ारा की यह कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि कठिन परिश्रम, आत्मविश्वास और समर्पण से बड़ी से बड़ी बाधाओं को भी पार किया जा सकता है। ये दोनों युवा खिलाड़ी न केवल अपने परिवार का, बल्कि पूरे समाज का गौरव हैं। उन्होंने बाल दिवस पर यह संदेश दिया है कि हर बच्चा अपने सपनों को पूरा कर सकता है, यदि उसे सही मार्गदर्शन, अवसर और समर्थन मिले।
इनकी यह प्रेरणादायक कहानियाँ आज की युवा पीढ़ी के लिए उदाहरण हैं, जो यह दिखाती हैं कि सही दिशा, मार्गदर्शन और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है।
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