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सादुलगंज में अतिक्रमण हटाने पहुंची बीडीए की टीम का पार्षद मनोज बिश्नोई ने किया विरोध, कार्रवाई किए बिना लौटी प्रशासनिक टीम

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सादुलगंज में अतिक्रमण हटाने पहुंची बीडीए की टीम का पार्षद मनोज बिश्नोई ने किया विरोध, कार्रवाई किए बिना लौटी प्रशासनिक टीम

बिकानेर, 10 मार्च – बीकानेर विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा सादुलगंज क्षेत्र में सोमवार को अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस जाप्ते के साथ पहुंची टीम को स्थानीय पार्षद मनोज बिश्नोई के कड़े विरोध के चलते कार्रवाई किए बिना लौटना पड़ा। यह घटना सुबह 11 बजे की है जब बीडीए की टीम, प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस बल के साथ अतिक्रमण हटाने पहुंची थी।

गरीबों को उजाड़ने का आरोप

बीडीए की टीम जैसे ही सादुलगंज इलाके में अतिक्रमण हटाने के लिए पहुँची, स्थानीय पार्षद मनोज बिश्नोई मौके पर पहुँच गए और गरीबों के आशियाने तोड़ने का विरोध जताया। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि “जो लोग मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं, उन्हें उजाड़ने की योजना बनाना अन्याय है।”

उन्होंने कहा कि “यहाँ रहने वाले लोग दिहाड़ी मजदूर हैं, जिनका जीवन यापन बेहद कठिन परिस्थितियों में हो रहा है। प्रशासन को पहले इनके पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए, फिर किसी प्रकार की कार्रवाई करनी चाहिए।” पार्षद बिश्नोई ने अधिकारियों से मानवता के आधार पर विचार करने की अपील की और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को अव्यवहारिक बताया।

पार्षद और तहसीलदार के बीच बहस

मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों और पार्षद मनोज बिश्नोई के बीच गंभीर बहस हुई। तहसीलदार ने बताया कि यह अभियान सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए चलाया जा रहा है और यह उच्चाधिकारियों के आदेश के तहत किया जा रहा है।

इस पर पार्षद बिश्नोई ने कहा कि “यदि प्रशासन ने गरीबों को हटाने की कोशिश की, तो वह विरोध प्रदर्शन करेंगे और सड़कों पर जाम लगा देंगे।” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने जल्दबाजी में कार्रवाई की तो स्थानीय लोग भी इसके खिलाफ एकजुट होंगे।

पुलिस और प्रशासनिक टीम को लौटना पड़ा खाली हाथ

पार्षद बिश्नोई के विरोध और उनके समर्थकों के इकट्ठा होने के कारण माहौल गरमा गया। स्थानीय लोग भी पार्षद के समर्थन में आ गए और प्रशासनिक टीम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। हालात बिगड़ते देख प्रशासन ने स्थिति को शांत रखने के लिए कार्रवाई स्थगित करने का निर्णय लिया और टीम बिना अतिक्रमण हटाए वापस लौट गई।

स्थानीय लोगों में रोष, समाधान की मांग

घटना के बाद स्थानीय लोग नाराज नजर आए। उन्होंने मांग की कि प्रशासन पहले उचित पुनर्वास योजना बनाए और उसके बाद ही कोई कार्रवाई करे। कई मजदूर परिवारों ने कहा कि “यदि हमें यहाँ से हटाया जाता है, तो हमारे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं होगी। हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं, और हमारी रोजी-रोटी इसी इलाके से जुड़ी हुई है।”

प्रशासन की अगली रणनीति क्या होगी?

बीडीए और प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि अतिक्रमण हटाने की यह कार्यवाही आगे कब होगी। प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द ही उच्चाधिकारियों से चर्चा कर अगली कार्रवाई की रणनीति बनाएंगे। वहीं, पार्षद मनोज बिश्नोई ने साफ कर दिया है कि यदि गरीबों के घरों को तोड़ने की कोशिश की गई, तो वह इसके खिलाफ पुरजोर आंदोलन करेंगे।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद सादुलगंज क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। स्थानीय लोग प्रशासन से स्पष्ट जवाब और न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।

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