फिलहाल खत्म नहीं होंगे गहलोत सरकार में बने जिले:फैसले से पहले जनगणना विभाग ने प्रशासनिक सीमाएं सील की, सरकार ने केंद्र से छूट मांगी
जयपुर
पिछली कांग्रेस सरकार में बने 17 नए जिलों में फिलहाल किसी तरह के बदलाव के आसार कम ही हैं। नए जिलों की समीक्षा के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही जनगणना निदेशालय ने राज्य की प्रशासनिक सीमाएं सील कर दी हैं।
आगामी सितंबर से जनगणना शुरू होने की संभावना है। ऐसे में जनगणना पूरी होने तक प्रदेश में कोई भी नया गांव, तहसील, जिला, नगरपालिका न तो बनाए जा सकते हैं और न ही उनमें कोई बदलाव कर सकते हैं।
इधर, पूर्व IAS ललित के पंवार की अध्यक्षता में बनी कमेटी 30 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली है। रिपोर्ट आने के बाद भी राज्य सरकार इसमें कोई फेरबदल नहीं कर सकेगी। हालांकि राज्य सरकार ने रोक हटाने के लिए जनगणना निदेशक को पिछले दिनों चिट्ठी लिखी है।
मंडे स्पेशल स्टोरी में पढ़िए- जनगणना निदेशालय की रोक हटने के कितने आसार हैं? पंवार कमेटी की रिपोर्ट का क्या होगा? कब तक लागू हो सकती है?
जनगणना निदेशालय की रोक हटने के कितने आसार?
राज्य सरकार ने प्रशासनिक यूनिट बनाने और खत्म करने पर लगी रोक हटाने के लिए जनगणना निदेशक को पिछले दिनों चिट्ठी लिखी है। जनगणना निदेशालय ने राज्य सरकार के इस पत्र को रजिस्ट्रार जनरल को भेज दिया। अभी इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
जानकारों के मुताबिक, प्रशासनिक यूनिट की बाउंड्री फ्रीज का फैसला जनगणना को देखते हुए रजिस्ट्रार जनरल ने देश भर के लिए किया है। ऐसे में एक राज्य को छूट मिलना आसान नहीं है। सितंबर में जनगणना के लिए प्रोसेस शुरू होने के आसार हैं। इसलिए नए जिलों से लेकर गांव, तहसील की बाउंड्री फ्रीज से लगी रोक हटने की संभावना कम है।
ललित पंवार कमेटी की रिपोर्ट कब आएगी?
भजनलाल सरकार ने रिव्यू के लिए 12 जून को उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा के संयोजन में एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति गठित की थी। मंत्रिमंडलीय उप समिति के सहयोग के लिए पंवार की अध्यक्षता में एक और कमेटी गठित की थी। कमेटी को 31 जुलाई तक रिपोर्ट देनी थी। बाद में सरकार ने एक महीने कार्यकाल और बढ़ा दिया था। कमेटी के अध्यक्ष पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के पंवार ने बताया कि 30 अगस्त को सरकार को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
गहलोत राज के कुछ जिलों को सरकार खत्म करने का फैसला करती है तो?
ललित पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर कैबिनेट सब कमेटी विचार करेगी। इसके बाद अपनी सिफारिशों के साथ रिपोर्ट देगी। गहलोत राज में 17 नए जिले बने थे। फिलहाल राज्य में 50 जिले हैं। अगर राज्य सरकार गहलोत राज के कुछ जिलों को खत्म करने या मर्ज करने पर फैसला करती है तो उसे जनगणना पूरी होने तक लागू नहीं कर पाएगी।
जनगणना निदेशालय के पास 50 जिलों का ब्योरा, इनके आधार पर होगी जनगणना
प्रदेश में जब भी कोई भी नया गांव, तहसील, नया जिला या नई नगरपालिका सहित कोई भी प्रशासनिक यूनिट बनती है या उसकी बाउंड्री में कोई बदलाव होता है तो उसकी सूचना तत्काल जनगणना निदेशालय को दी जाती है। प्रशासनिक यूनिट बनाने, खत्म करने, मर्ज करने या बाउंड्री में बदलाव करने से जुड़े हर नोटिफिकेशन की एक कॉपी जनगणना निदेशालय को भेजी जाती है।
एक्सपर्ट का कहना है कि अगर जनगणना सितंबर में शुरू हो जाती है तो फिर जिलों की सीमाओं में फेरबदल संभव नहीं है। जनगणना निदेशालय के पास अभी 50 जिलों और उनकी बाउंड्री में आने वाले हर गांव का डेटा अपडेट है। सितंबर में जनगणना का प्रोसेस शुरू हुआ तो इनके आधार पर ही प्रशासनिक यूनिट मानकर होगी। ऐसा होने पर जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने तक इनकी बाउंड्री में कोई बदलाव नहीं हो सकेगा।
एक्सपर्ट बोले- जनगणना के दौरान बदलाव संभव नहीं
राजस्व मामलों के जानकार और रिटायर्ड आरएएस अफसर आरएस बत्रा का कहना है कि जनगणना की प्रक्रिया शुरू होने से पहले प्रशासनिक यूनिट फ्रीज हो जाती है। मैंने कई बार जनगणना करवाई है। जब तक प्रशासनिक यूनिट फ्रीज हैं, तब तक सरकार उस दौरान कोई नई यूनिट नहीं बना सकती। जिला, तहसील, उपखंड लेकर वार्ड तक की सीमा नहीं बदल सकती।
आमतौर पर जनगणना के काम में कम से कम दो साल का समय तो लगता है। जब तक जनगणना जारी रहती है, तब तक नए जिले से लेकर कोई भी प्रशासनिक यूनिट बनाने, खत्म करने से लेकर उनकी बाउंड्री में बदलाव नहीं किया जा सकता।
छोटे जिले खत्म करने पर सिफारिश कर सकती है कैबिनेट सब कमेटी
पिछली कांग्रेस सरकार के समय बने नए जिलों के भविष्य पर मंत्रियों की कैबिनेट सब कमेटी फैसला करेगी। पूर्व आईएएस ललित के पंवार की अध्यक्षता वाली कमेटी ने गहलोत राज के नए जिलों को लेकर खाका तैयार कर लिया है। इस रिपोर्ट में कमेटी गहलोत राज में बने जिलों में बदलाव करने या उन्हें मर्ज करने से लेकर जिले को खत्म करने से जुड़ी सिफारिशें शामिल हैं। पंवार कमेटी ने हर जिले में जाकर वास्तविक रिपोर्ट ली है। गहलोत राज में बनाए गए जिलों में मापदंडों का कितना पालन हुआ और कितने जिले इन मापदंडों पर खरे नहीं उतरे उसका जिक्र रिपोर्ट में है।
35 से ज्यादा विधायकों ने गहलोत राज के जिलों पर आपत्ति जताई
अब तक पंवार कमेटी के सामने 35 से ज्यादा बीजेपी विधायक और 4 सांसद नए जिलों पर आपत्ति जता चुके हैं। बीजेपी विधायकों के अलावा कई सामाजिक संगठनों ने भी पंवार कमेटी को ज्ञापन देकर जिलों की सीमाओं में बदलाव करने की मांग की है। विधायकों ने छोटे जिलों को नए जिलों में मर्ज करने का भी सुझाव दिया है।
दूदू पर फैसला करना बैरवा के लिए मुश्किल
डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में बनी कैबिनेट सब कमेटी गहलोत राज के जिलों के भविष्य का फैसला करेगी। उनकी फाइनल हुई रिपोर्ट पर ही सरकार आगे फैसला करेगी। बीजेपी विधायकों ने जिन जिलों पर आपत्ति जताई उनमें दूदू भी एक है। दूदू जिले में केवल दूदू, मोजमाबाद और फागी का इलाका है, जो सबसे छोटा है। एक उपखंड से छोटे इलाके को जिला बनाने पर सवाल उठाए गए थे।
अब प्रेमचंद बैरवा को अपनी विधानसभा सीट के जिले को खत्म करने या बरकरार रखने पर फैसला करना होगा। बैरवा के लिए यह दुविधा वाला काम होगा, क्योंकि अगर उनकी कमेटी दूदू जिले को खत्म कर जयपुर में मर्ज करने की रिपोर्ट देती है तो जनता की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।
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