BUSINESS / SOCIAL WELFARE / PARLIAMENTARY / CONSTITUTIONAL / ADMINISTRATIVE / LEGISLATIVE / CIVIC / MINISTERIAL / POLICY-MAKING / PARTY POLITICAL

राजस्थान और मध्यप्रदेश में बनेगा श्रीकृष्ण गमन पथ:मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने की घोषणा- भरतपुर, कोटा, झालावाड़ होते हुए धार्मिक सर्किट बनेगा

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

राजस्थान और मध्यप्रदेश में बनेगा श्रीकृष्ण गमन पथ:मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने की घोषणा- भरतपुर, कोटा, झालावाड़ होते हुए धार्मिक सर्किट बनेगा

डीग (भरतपुर)

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने श्रीकृष्ण गमन पथ बनाने की घोषणा की है। भगवान कृष्ण की जन्म स्थली से लेकर उनके शिक्षा ग्रहण करने के स्थान को एक धार्मिक सर्किट के जरिए जोड़ा जाएगा। यह काम राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार मिलकर करेगी।

भजनलाल शर्मा ने कहा कि भगवान कृष्ण के गमन पथ को जल्दी ही तीर्थ स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा। मध्यप्रदेश के उज्जैन के सांदीपनि में भगवान कृष्ण ने शिक्षा हासिल की है। जानापाव (एमपी) में भगवान परशुराम ने उन्हें सुदर्शन चक्र दिया। धार के पास अमझेरा में भगवान का रुक्मिणी हरण को लेकर युद्ध हुआ। ऐसे स्थलों को सरकार पर्यटन स्थल बनाने जा रही है। माना जा रहा है कि श्रीकृष्ण गमन पथ में राजस्थान के भरतपुर जिले का कुछ हिस्सा भी शामिल होगा।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उनकी पत्नी गीता शर्मा सोमवार को डीग जिले के पूंछरी का लौठा पहुंचे थे। यहां उन्होंने श्रीनाथजी के मंदिर और मुकुट मुखारबिंद की पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री आज उज्जैन दौरे पर भी जाने वाले हैं।

मुकुट मुखारबिंद का मंदिर में पूजा करते हुए सीएम और उनकी पत्नी गीता शर्मा।

मुकुट मुखारबिंद का मंदिर में पूजा करते हुए सीएम और उनकी पत्नी गीता शर्मा।

सीएम ने कहा- स्थान चिह्नित कर लिए हैं
सीएम ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से भरतपुर, कोटा, झालावाड़ के रास्ते छोटे-छोटे गांवों से होते हुए उज्जैन पहुंचे थे। हमने उनकी राह में पड़ने स्थानों को चिह्नित कर लिया है। उन सभी धार्मिक स्थानों को एमपी और राजस्थान सरकार जोड़ेगी। सीएम ने कहा कि आज मैं शाम को उज्जैन में स्थित सांदीपनि के आश्रम में जाकर प्रणाम करूंगा।

राजस्थान में श्रीकृष्ण से जुड़े बड़े तीर्थ

कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश से सटे राजस्थान (डीग) के एक गांव (वहज) में जमीन के नीचे पूरा गांव मिला था। खुदाई के दौरान कई हजारों साल पुराने हड्डियों के अवशेष, बर्तन, मूर्तियां मिली थीं। जहां ये गांव मिला, वो इलाका ब्रज यानी भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली से जुड़ा हुआ है। यह गोवर्धन से महज 11 किलोमीटर दूर है।

मान्यता है कि खुदाई में मिली चीजों का संबंध भगवान श्रीकृष्ण के काल से है। भगवान कृष्ण स्वयं गाय चराने के दौरान वहज क्षेत्र तक विचरण करने आते थे। वहज गांव में स्थित टीला 5500 साल से भी पुराना है। वहज गांव 84 कोस परिक्रमा में भी आता है। गांव में यह मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था, उस दौरान ग्वालों के साथ वहज गांव के लोग भी थे। जो बारिश से बचने के लिए गोवर्धन पर्वत के नीचे छिपे थे।

एमपी में हैं चार कृष्ण तीर्थ

सांदीपनि आश्रम के मुताबिक श्रीकृष्ण 11 साल की उम्र में उज्जैन पहुंचे थे। वे उज्जैन में 64 दिनों तक ही रहे। इन 64 दिनों में उन्होंने 64 विद्याएं सीखीं। इन 64 दिनों में उन्होंने 16 दिन में 16 कलाएं, 4 दिन में 4 वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 18 दिन में 18 पुराण, 20 दिन में गीता का ज्ञान प्राप्त किया था।

कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने पुनर्जीवित करने की संजीवनी विद्या भी महर्षि सांदीपनि से ही सीखी थी। 64 दिन की शिक्षा पूरी हो जाने के बाद गुरु दक्षिण के रूप में भगवान ने सांदीपनि के सबसे छोटे बेटे दत्त का पार्थिव शरीर यमराज से लाकर संजीवनी विद्या से उसे जीवित किया था। श्रीकृष्ण ने उसका नाम पुनर्दत्त रखा और उनकी मां सुश्रुषा को सौंप दिया।

मान्यता है कि जानापाव भगवान परशुराम की जन्मस्थली है। यह इंदौर के महू के पास स्थित है। जहां कृष्ण ने परशुराम से सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण 12-13 साल थे, तब परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानापाव (इंदौर) गए थे। भगवान शिव ने यह चक्र त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णुजी को दे दिया था। कृष्ण के पास आने के बाद यह उनके पास ही रहा।

मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने जिस स्थान से माता रुक्मिणी का हरण किया था, वो अमका-झमका मंदिर धार जिले के अमझेरा में स्थित है। यह मंदिर 7000 साल पुराना है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह मंदिर रुक्मिणी जी की कुलदेवी का था। वो यहां पूजा करने आया करती थीं।

सन 1720- 40 में इस मंदिर का राजा लाल सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया था। पौराणिक युग में इस स्थान को कुंदनपुर के नाम से जाना जाता था। रुक्मिणी वहीं के राजा की पुत्री थीं। उसके बाद मंदिर के नाम से जगह को अमझेरा नाम दिया गया।

नारायण धाम उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील से करीब 9 किमी दूर है। यह श्रीकृष्ण मंदिर है। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जिसमें श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ विराजते हैं। नारायण धाम मंदिर में कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर पर भी देख सकते हैं।

कहा जाता है कि नारायण धाम के पेड़ उन्हीं लकड़ियों से फले-फूले हैं, जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थीं। पिछले दिनों मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा था कि ये वो स्थान है, जहां भगवान कृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई। यानी गरीबी और अमीरी की मित्रता का सबसे श्रेष्ठ स्थान है।

गोवर्धन से 20 किमी दूर है सीएम का गांव
बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की गिरिराज जी में अटूट आस्था है। उनका पैतृक गांव अटारी गोवर्धन से करीब 20 किलोमीटर दूर है। भजन लाल शर्मा मुख्यमंत्री बनने से पहले समय-समय पर गोवर्धन दर्शन करने के लिए आते रहते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी भजन लाल शर्मा सबसे पहले गिरिराज जी दर्शन करने पहुंचे थे। वहीं मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी उज्जैन के रहने वाले हैं।

मध्यप्रदेश में हुई थी राम वन गमन पथ की घोषणा
साल 2008-09 में मध्यप्रदेश में राम वन गमन पथ की घोषणा हुई थी। भगवान राम ने अपने वनवास का ज्यादातर समय चित्रकूट में बिताया था। इसके बाद जब वे सीताजी की खोज में लंका की तरफ गए तो मध्यप्रदेश के कई रास्तों से होकर गुजरे थे। मप्र सरकार ने इन रास्तों को लेकर राम वन गमन पथ के प्रोजेक्ट का खाका खींचा था। साल 2008 से ये प्रोजेक्ट केवल फाइलों में दौड़ रहा है। 15 साल में भी इसे लेकर जमीन पर कोई काम नहीं हुआ है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!