“मिलावट का बढ़ता बाज़ार”
✍🏻……दिन प्रतिदिन खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले बढ़ते ही जा रहे है।हमें स्वयं ही नहीं पता कि आज जो हम खा रहे है,वो कितना शुद्ध है।बाज़ार से फल ख़रीदते ही वे एक दिन में ही अंदर से उफनने लग जाते है।ये रसायनों द्वारा ज़बरदस्ती पकाने का परिणाम है।फलों,सब्ज़ियों,मसालो,दूध में और क्या क्या नहीं है जिसमें हम मिलावट खा रहे है।जिसे लेकर आम आदमी की चिंताएं लाचारी में बदलती जा रही हैं।मिलावटी या असुरक्षित भोजन से फूड प्वाइजनिंग या भोजन से जुड़ी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।अस्पतालों में बेतहाशा भीड़ यही इंगित करती है कि देश में खाने-पीने की निगरानी व्यवस्था बेहद खराब और नाकाफी है।एफएसएसएआइ का तंत्र अपने उद्देश्यों में पूर्णतया असफल होता प्रतीत हो रहा है।जब तक कानून पर कारगर अमल के लिए जवाबदेह और पारदर्शी व्यवस्था नहीं बनाई जाती, तब तक ढेरों पेचीदगियां उलझाए रखेंगी।यकीनन देश में सेहतमंद और सुरक्षित भोजन और पानी के लिए नए सिरे से व्यवस्था बनाने और सख्त कानून तैयार करने की तो जरूरत है ही, इन पर अमल करने के लिए जवाबदेह और पारदर्शी तंत्र खड़ा करने की दरकार है।
✍🏻..डॉ.अजिता शर्मा
उदयपुर
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