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कादम्बरी का अलंकरण समारोह 2024: 118 साहित्यकार और पत्रकार सम्मानित

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कादम्बरी का अलंकरण समारोह 2024: 118 साहित्यकार और पत्रकार सम्मानित

जबलपुर – अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त साहित्यिक संस्था “कादम्बरी” का वार्षिक अलंकरण समारोह 9 नवंबर 2024 को विशेष धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। इस भव्य आयोजन में साहित्यिक और सामाजिक क्षेत्र के कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने उपस्थिति दर्ज की, जिसमें कादम्बरी संस्था के अध्यक्ष आचार्य भगवत दुबे, महासचिव राजेश पाठक “प्रवीण” के साथ समाजसेवी डॉ. कैलाश गुप्ता, महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज, और प्रज्ञा धाम दिल्ली की श्री मां साध्वी विभानंद गिरी जैसे विशिष्ट अतिथियों का सानिध्य प्राप्त हुआ। समारोह की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शिक्षाविद् और मुख्य अतिथि, भोपाल स्थित चांसलर डॉ. संतोष चौबे ने की।

इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में देश-विदेश से लगभग 118 साहित्यकारों और पत्रकारों को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए सम्मानित किया गया। हर सम्मानित प्रतिभागी को शाल, श्रीफल, सम्मान पत्र और नगद पुरस्कार प्रदान किया गया, जिससे समारोह का गौरव और बढ़ गया। यह आयोजन भारतीय साहित्य और पत्रकारिता के प्रति समर्पण का अद्भुत उदाहरण बना, जहाँ प्रतिभागियों को उनके लेखन और समाज सेवा के लिए सराहा गया।

इस समारोह में एक विशिष्ट क्षण तब आया जब इंदौर, मध्य प्रदेश से लेखिका और कवयित्री रुचिता तुषार नीमा को “पंडित शिवनारायण पाठक” सम्मान से नवाजा गया। रुचिता को यह सम्मान विभिन्न साहित्यिक विधाओं में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। उनका लेखन नियमित रूप से प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता है, और उनका एक काव्य संग्रह “अज्ञात की खोज” भी मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी से अनुदान प्राप्त कर चुका है। इस काव्य संग्रह में रुचिता ने अपनी अनोखी दृष्टि और लेखनी के माध्यम से भारतीय समाज के गूढ़ पहलुओं को संवेदनशीलता से उकेरा है।

समारोह के दौरान वक्ताओं ने साहित्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और समाज में साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला। आचार्य भगवत दुबे ने अपने संबोधन में कहा, “साहित्य समाज का दर्पण है, जो समाज के समक्ष उसकी सही तस्वीर प्रस्तुत करता है। कादम्बरी का उद्देश्य केवल साहित्यकारों का सम्मान करना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को साहित्यिक सृजन के प्रति प्रेरित करना भी है।”

मुख्य अतिथि डॉ. संतोष चौबे ने भी अपने संबोधन में साहित्य की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “साहित्य केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि वह मानवीय भावनाओं का वाहक है। साहित्य की भूमिका हमारे जीवन को दिशा प्रदान करती है और समाज में संवेदनाओं को जागृत करती है।”

समाजसेवी डॉ. कैलाश गुप्ता ने साहित्य के प्रति युवाओं की जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “आज की पीढ़ी को साहित्य की ओर आकृष्ट करना हमारे समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए। एक ऐसा समाज जो साहित्य को अपने जीवन में स्थान देता है, वह हमेशा प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है।”

महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज और श्री मां साध्वी विभानंद गिरी ने भी अपने प्रेरणादायक विचार साझा किए और साहित्य में आध्यात्मिकता की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा कि साहित्य और आध्यात्मिकता के समन्वय से समाज में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

कादम्बरी के इस वार्षिक समारोह ने साहित्य जगत में एक नई प्रेरणा का संचार किया और देश के कोने-कोने से आए साहित्यकारों ने इस समारोह के माध्यम से एक नई सृजनशीलता का संकल्प लिया।

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