खैबर पख्तूनख्वा में PAK सेना के खिलाफ सड़कों पर लोग:’आर्मी गो बैक’ के नारे लगाए, कहा- आतंकियों के बहाने लोगों पर जुल्म कर रही फौज
सेना के खिलाफ प्रदर्शन में अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है।
पाकिस्तान के सरहदी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में सेना के खिलाफ लोगों ने बगावत कर दी है। इलाके के 10 हजार से ज्यादा पश्तून लोग शनिवार को सड़कों पर डटे हैं। प्रदर्शनकारी ‘आर्मी गो बैक’ के नारे लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सेना ने इलाके में आतंक मचा रखा है।
सेना के इलाके में होने से अशांति है और इसी वजह से आतंकी हमले बढ़ते जा रहे हैं। खैबर इलाके में चलाए जा रहे मिलिट्री ऑपरेशन को पश्तून बंद करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी नेता जमालुद्दीन वजीर के मुताबिक इलाके में 20 साल से आतंकवाद खत्म करने की मुहिम के नाम पर पाक सेना लोगों पर जुल्म कर रही है।
प्रदर्शनकारियों का पाकिस्तानी सेना पर आरोप है कि वे आतंकवाद के नाम पर आम लोगों को प्रताड़ित कर रही है। वो जब चाहे जिसे चाहे गिरफ्तार कर लेती है। बता दें कि शुक्रवार को आंदोलनकारियों के आर्मी कैंप घेरने पर सेना ने गोलीबारी की। इससे अब तक 7 प्रदर्शनकारी की मौत हो चुकी है।
खैबर पख्तूनख्वा के नागरिकों को आरोप है कि आतंक मिटाने के बहाने सेना सालों से उन पर जुल्म करती आई है।
स्थानीय बोले- आतंकी ग्रुप TTP के सामने तो पाक सेना फेल, हम पर जुल्म कर रही
पाक सरकार ने साल के शुरुआत में कहा था कि सेना अफगानिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में हिंसा का मुकाबला करने के लिए एक नया अभियान शुरू करेगी। सरकार का कहना है कि पाक-अफगान सीमा पर तहरीके तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) संगठन ने पैठ बना ली है।
यह संगठन खैबर और दूसरे इलाकों में आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है। हालांकि, खैबर पख्तूनख्वा के लोगों का कहना है कि वह TTP पर ऑपरेशन के नाम पर आम पश्तूनों को टार्गेट बना रही है। पाक सरकार के खिलाफ बोलने वालों को गैरकानूनी ढंग से गिरफ्तार किया जा रहा है।
24 घंटे में खैबर में तीन आतंकी हमला, 4 मौत
24 घंटे में खैबर पख्तूनख्वा इलाके में 4 की मौत हो गई है। वहीं, 30 घायल हैं। अब आतंकी आत्मघाती हमलों के अलावा रिमोट कंट्रोल और ड्रोन से भी हमले कर रहे हैं। साल के शुरुआती 4 महीनों में 179 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं। ज्यादातर सेना और पुलिसवालों को टारगेट बनाया गया है।
खैबर पख्तूनख्वा में हेल्थ इमरजेंसी लगाई
आंदोलनकारियों और सेना में भिड़ंत के बाद स्थानीय सरकार ने हेल्थ इमरजेंसी लगा दी। खैबर स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति को देखते हुए सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों और पैरामेडिक्स सहित सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है।
क्या है TTP
2002 में अमेरिकी सेना ने 9/11 आतंकी हमले का बदला लेने अफगानिस्तान में धावा बोलती है। अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाई के डर से कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाके में छिप जाते हैं। इसी दौरान पाकिस्तान की सेना इस्लामाबाद की लाल मस्जिद को एक कट्टरपंथी प्रचारक और आतंकियों के कब्जे से मुक्त कराती है।
हालांकि कट्टरपंथी प्रचारक को कभी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का करीबी माना जाता था, लेकिन इस घटना के बाद स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की खिलाफत होने लगी। इससे कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे।
ऐसे में दिसंबर 2007 को बैतुल्लाह मेहसूद की अगुवाई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया, लिहाजा संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया। शॉर्ट में इसे TTP या फिर पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है।
आतंकवाद की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकी संगठन अस्तित्व में आए हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान सबसे खतरनाक माना जाता है।
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