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सीकर में तैयार हो रहा शेखावाटी का सबसे बड़ा रावण:1953 में हुआ था पहली रामलीला का मंचन; आज अंगद जाएंगे लंका

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सीकर में तैयार हो रहा शेखावाटी का सबसे बड़ा रावण:1953 में हुआ था पहली रामलीला का मंचन; आज अंगद जाएंगे लंका

सीकर

रामलीला का मंचन करते हुए कलाकार। - Dainik Bhaskar

रामलीला का मंचन करते हुए कलाकार।

सांस्कृतिक मंडल सीकर की ओर से रामलीला मैदान में चल रही रामलीला के मचंन में आज बुधवार को विभीषण शरणगति का मुख्य आकर्षण होगा। रामलीला में आज अंगद को लंका में भेजा जाएगा। राम की लीला देखने के लिए सैकड़ों शहरवासी रोजाना आ रहे हैं।

शेखावाटी का सबसे बड़ा रावण हो रहा तैयार

दशहरा पर सीकर के रामलीला मैदान में इस बार शेखावाटी का सबसे बड़े रावण का पुतला जलाया जाएगा। रावण का पुतला बनाने के लिए पिछले 15 दिनों से एक दर्जन कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं। सांस्कृतिक मंडल के संयुक्त मंत्री जानकी प्रसाद इंदौरिया ने बताया कि शेखावाटी का सबसे बड़ा रावण इस बार सीकर के रामलीला मैदान में बनाया जा रहा है जिसकी लंबाई 45 फीट होगी। खंडेला से आए कारीगर रावण को बनाने में लगे हुए हैं। रावण का लकड़ी का ढांचा लगभग तैयार हो चुका है जिसके ऊपर अब कलर करना बाकी है। कलर करने के बाद ढांचे में घास-फूस भरा जाएगा और एलईडी लाइटें लगाई जाएंगी।

सीकर में 45 फीट ऊंचा रावण तैयार किया जा रहा है।

सीकर में 45 फीट ऊंचा रावण तैयार किया जा रहा है।

इंदौरिया ने बताया कि सीकर में सबसे पहला रावण कपड़े का बनाया गया था। जो बिड़दी चंद वेदी ने करीब 12 फीट का बनाया था। वहीं, भगवान राम की शोभायात्रा के लिए राव राजा कल्याण सिंह ने अपनी सजी धजी बग्गी संचालकों को दी थी। जिसमें बैठकर राम ने रावण को मारने के लिए प्रस्थान किया था। इस बार प्रभु श्री राम बग्गी पर बैठकर ही रावण का वध करेंगे जिसके बाद रावण का दहन हो जाएगा ।

सीकर में 1953 में शुरू हुई रामलीला

जानकी प्रसाद इंदौरिया ने बताया कि सीकर में 1953 में रामलीला का मंचन शुरू हुआ था। जिसके बाद से ही रामलीला मैदान में लगातार रामलीला का मंचन हो रहा है साथ ही रावण का दहन भी किया जा रहा है। इस बार 72वीं रामलीला के मंचन को लेकर शहरवासियों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।

रोजाना शाम 9 बजे रामलीला का मंचन होता है।

रोजाना शाम 9 बजे रामलीला का मंचन होता है।

गहलोत थे राम, शर्मा थे सीता

सीकर में पहली रामलीला का मंचन 1953 में दशहरे के आयोजन के बाद 1954 में राव राजा कल्याण सिंह के उद्घाटन के बाद हुआ। इस रामलीला में राम व सीता का अभिनय हनुमान सिंह गहलोत व नंद किशोर शर्मा ने किया। रावण की भूमिका कैलाश नारायण स्वामी व भगवान दास मास्टर ने दशरथ का रोल अदा किया था।

माजी साब के कुएं से शुरू हुई रामलीला

सीकर में रामलीला की इबारत शहर के माजी साब के कुएं से लिखी गई थी। यहां पहली रामलीला का मंचन कुएं के पास बने चबुतरे पर किया गया था जहां सुबह सब्जी बिकती थी और शाम को रामलीला का मंच सजता था। उस दौर में रामलीला का अलग-अलग जगहों पर मंचन था जिसमें राम जन्म से लंका चढ़ाई तक की रामलीला का मंचन माजी साब के कुएं पर, तो भरत मिलाप मौजूदा घंटाघर के पास संघ के पूर्व कार्यालय और भगवान राम का राज्यभिषेक गोपीनाथ मंदिर की छत पर किया जाता था। वहीं, रावण दहन मौजूदा रामलीला मैदान में ही किया जाता था।

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