DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS

इस्लामिक देश ब्रुनेई क्यों गए मोदी:आबादी 4 लाख, भारत से 13 गुना ज्यादा प्रति व्यक्ति आय, टैक्स नहीं फिर भी शिक्षा-इलाज मुफ्त कैसे

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

इस्लामिक देश ब्रुनेई क्यों गए मोदी:आबादी 4 लाख, भारत से 13 गुना ज्यादा प्रति व्यक्ति आय, टैक्स नहीं फिर भी शिक्षा-इलाज मुफ्त कैसे

प्रधानमंत्री मोदी ब्रुनेई के दौरे पर हैं। यह किसी भारतीय PM का पहला ब्रुनेई दौरा है। दोनों देशों के बीच 2024 में राजनयिक संबंधों के 40 साल पूरे हुए हैं। - Dainik Bhaskar

प्रधानमंत्री मोदी ब्रुनेई के दौरे पर हैं। यह किसी भारतीय PM का पहला ब्रुनेई दौरा है। दोनों देशों के बीच 2024 में राजनयिक संबंधों के 40 साल पूरे हुए हैं।

भारत से 7,486 किलोमीटर दूर एक आईलैंड है, बोर्नियो। इस पर 3 देश बसे हैं, जिनमें में से एक है ब्रुनेई। ये एक इस्लामिक देश है, जहां सिर्फ 4 लाख लोग रहते हैं। PM मोदी इसी देश के दौरे पर हैं।

यहां के राजा हसनल बोल्कैया ने प्रधानमंत्री मोदी को न्योता दिया था। आज तक भारत का कोई प्रधानमंत्री ब्रुनेई के दौरे पर नहीं गया था।

फिर एक तरफ साउथ चाइना सी और एक तरफ मलेशिया से घिरे इस देश में मोदी क्यों पहुंचे हैं। स्टोरी में जानिए शरिया का पालन करने वाला छोटा सा ब्रुनेई भारत के लिए अहम क्यों बन गया, टैक्स लिए बगैर ब्रुनेई कैसे लोगों को मुफ्त में शिक्षा और इलाज देता है…

बोल्कैया ब्रुनेई के 29वें सुल्तान हैं। वे अपनी लग्जूरियस लाइफ के लिए जाने जाते हैं।

बोल्कैया ब्रुनेई के 29वें सुल्तान हैं। वे अपनी लग्जूरियस लाइफ के लिए जाने जाते हैं।

सबसे पहले जानिए ब्रुनेई के सुल्तान की लग्जूरियस लाइफ के बारे में
हसनल बोल्कैया इब्नी उमर अली सैफुद्दीन ब्रुनेई के 29वें सुल्तान हैं। 1984 में अंग्रेजों के जाने के बाद से वे ब्रुनेई के प्रधानमंत्री पद पर भी हैं। फिलहाल वे सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले शासकों में से एक हैं। उन्होंने 2017 में 50 साल राज करने पर गोल्डन जुबली मनाई थी।

ब्रुनेई जैसे छोटे से देश में सुल्तान सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होने के साथ-साथ सबसे अमीर लोगों में भी शामिल हैं। 1980 तक वे दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे। फोर्ब्स के मुताबिक, बोल्कैया की कुल संपत्ति 28 बिलियन डॉलर (2 लाख 35 हजार करोड़ रुपए) है।

द टाइम्स यूके के मुताबिक, बोल्कैया बाल कटवाने पर लगभग 16 लाख रुपए खर्च करते हैं। उनके हेयर स्टाइलिस्ट महीने में दो बार प्राइवेट चार्टर्ड प्लेन से बुलाए जाते हैं।

ब्रुनेई के सुल्तान के पास सोने का पानी चढ़ाया हुआ प्राइवेट जेट है।

ब्रुनेई के सुल्तान के पास सोने का पानी चढ़ाया हुआ प्राइवेट जेट है।

डेली मेल के मुताबिक सुल्तान ने खुद के लिए बोइंग 747 विमान खरीदा, जिसकी कीमत करीब 40 करोड़ डॉलर, यानी करीब 3 हजार करोड़ रुपए है।

दिलचस्प ये है कि उन्होंने इसमें अलग से 989 हजार करोड़ खर्च किया। यानी जितने का जहाज नहीं, उससे अधिक की एसेसरीज जोड़ी गईं, जिसमें सोने का वॉश बेसिन और आलीशान गोल्ड प्लेटेड खिड़कियां शामिल हैं। इस विमान के फ्लोर पर सोने के तारों वाली हैंडमेड कालीन बिछाई गई है।

सुल्तान की विलासिता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने राजा बनने के बाद 50 अरब रुपए का महल बनवाया। इस महल को ‘इस्ताना नुरुल इमान’ के नाम से जाना जाता है।

इस महल में 800 कारों को रखने के लिए एक गैराज है। महल की दीवारों पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है। 20 लाख वर्ग फीट में फैला यह महल गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है।

इस्ताना नुरुल इमान दुनिया का सबसे बड़ा महल है। इस महल के गुंबद पर 22 कैरेट सोना जड़ा है

इस्ताना नुरुल इमान दुनिया का सबसे बड़ा महल है। इस महल के गुंबद पर 22 कैरेट सोना जड़ा है

ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है तेल
1929 में ब्रुनेई के सेरिया इलाके में तेल की खोज हुई थी। ब्रुनेई में तेल का पहला कुआं ब्रिटिश मलायन पेट्रोलियम कंपनी ने खोदा था, जिसे सेरिया-1 नाम दिया गया था। इस कुएं को अब रॉयल डच शेल के नाम से जाना जाता है।

तेल की खोज ने ब्रुनेई को एक महत्वपूर्ण तेल उत्पादक देश के तौर पर पहचान दिलाई। तेल और प्राकृतिक गैस का उत्पादन देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ब्रुनेई की कुल GDP 1668.15 करोड़ अमेरिकी डॉलर है। इसका आधे से अधिक हिस्सा तेल और गैस बेचने से आता है।

तेल के निर्यात ने ब्रुनेई को दुनिया के टॉप प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में शामिल करा दिया है। ब्रुनेई में 2023 में प्रति व्यक्ति आय 29,133 डॉलर (करीब 24.46 लाख रुपए) है। भारत की प्रतिव्यक्ति आय 2,239 डॉलर (करीब 1 लाख 87 हजार रुपए) है। जबकि भारत दुनिया की टॉप-5 इकोनॉमी में शामिल है।

देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से यहां शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त मिलती हैं। ब्रुनेई ने तेल से होने वाली कमाई को अलग-अलग सेक्टर्स में इन्वेस्ट किया है। इससे उसकी अर्थव्यवस्था सिर्फ तेल पर निर्भर नहीं रह गई है। हालांकि अभी भी अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा तेल से ही आता है।

अपनी स्थिर अर्थव्यवस्था की वजह से ब्रुनेई दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी है।

ब्रुनेई के राजा के पास 500 रोल्स रॉयस हैं, जिनमें से एक पर सोने की परत भी चढ़ी है।

ब्रुनेई के राजा के पास 500 रोल्स रॉयस हैं, जिनमें से एक पर सोने की परत भी चढ़ी है।

टैक्स हेवन के तौर पर जाना जाता है ब्रुनेई
ब्रुनेई को इसकी टैक्स पॉलिसी, गोपनीय कानूनों की वजह से टैक्स हेवन कहा जाता है। इसकी वजह से व्यापारी निवेशक ब्रुनेई की तरफ आकर्षित होते हैं। ब्रुनेई में पर्सनल इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है। यह नियम देश में रहने वाले नागरिकों और प्रवासियों दोनों पर लागू होता है। इसलिए ये उन लोगों के लिए खास हो जाता है जो इनकम टैक्स देने से बचना चाहते हैं।

दूसरी तरफ यहां कॉर्पोरेट टैक्स भी सिर्फ 18.5% लगता है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार और शिपिंग में शामिल कंपनियों को कॉर्पोरेट टैक्स में छूट मिलती है या काफी कम टैक्स लगता है। इसकी वजह से विदेशी कंपनियों के लिए ब्रुनेई में अपने बिजनेस लगाना फायदेमंद होता है।

देश में निवेश से होने वाले लाभ और विरासत पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है। इसके अलावा ब्रुनेई ने बैंकिंग की गोपनीयता को लेकर सख्त कानून बनाए हुए हैं। इससे खाता धारकों की गोपनीयता सुरक्षित रहती है। इससे विदेशी टैक्स एजेंसियों को ब्रुनेई में मौजूद खातों की जानकारी नहीं मिल पाती है। इस वजह से लोग यहां खातों में पैसा रखना सेफ मानते हैं।

ब्रुनेई में करेंसी एक्सचेंज को मॉनिटर नहीं किया जाता है। इस वजह से पूंजी को देश से बाहर ले जाने और देश में लाने में आसानी होती है।

प्रधानमंत्री मोदी के ब्रुनेई दौरे से जुड़े कुछ अहम सवाल और उनके जवाब

सवाल 1: PM मोदी ब्रुनेई क्यों गए हैं?
जवाब: 
मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज में रिसर्च एनालिस्ट निरंजन चंद्रशेखर ओक के मुताबिक हाल ही में वियतनाम और मलेशिया के राष्ट्रपति ने भारत का दौरा किया था। भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु भी तिमोर-लेस्ते का दौरा करके लौटी हैं। अब प्रधानमंत्री मोदी ब्रुनेई दौरे पर पहुंचे हैं। इसके बाद वे सिंगापुर जाएंगे।

यह दर्शाता है कि भारत दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र को कितना महत्व देता है। पिछले साल विदेश मंत्रालय के सेक्रेटरी ईस्ट सौरभ कुमार, एक डेलीगेशन लेकर ब्रुनेई गए थे। यहां उन्होंने विदेश मंत्रालयों की एक बैठक में भाग लिया था। तब दोनों देशों के बीच यह तय हुआ था कि भारत और ब्रुनेई अपने राजनयिक संबंधों के 40 साल पूरे होने पर एनिवर्सरी मनाएंगे। इसी वजह से प्रधानमंत्री मोदी ब्रुनेई गए हैं।

PM मोदी को ब्रुनेई के क्राउन प्रिंस हाजी बिल्लाह ने रिसीव किया।

PM मोदी को ब्रुनेई के क्राउन प्रिंस हाजी बिल्लाह ने रिसीव किया।

सवाल 2: भारत के लिहाज से ये विजिट क्यों खास है?
जवाब
: निरंजन बताते हैं कि ब्रुनेई डिफेंस, ट्रेड, एनर्जी और स्पेस टेक्नोलॉजी जैसी 4 अहम वजहों के लिहाज से भारत के लिए खास है।

इसके अलावा स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ब्रुनेई भारत का महत्वपूर्ण साझेदार है। भारत जब सैटेलाइट लॉन्च करता है, तो उनकी ट्रैकिंग के लिए भारत ने कई जगहों पर ग्राउंड स्टेशन बनाए हुए हैं। इसी के मद्देनजर भारत ने ब्रुनेई के साथ 2018 में एक MoU साइन किया था। इसे कोऑपरेशन इन ऐलिमेंट्री ट्रैकिंग एंड कमांड स्टेशन फॉर सैटेलाइट नाम दिया गया था।

वर्तमान में ये स्टेशन भारत के लिए बखूबी काम कर रहा है। इस लिहाज से ब्रुनेई की अहमियत बढ़ जाती है। इसके बदले में भारत, ब्रुनेई के लोगों को स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़ी ट्रेनिंग दे रहा है।

एनर्जी के क्षेत्र में ब्रुनेई भारत का अहम साझेदार है। ब्रुनेई भारत को तेल निर्यात करता है। हालांकि हाल के दिनों में रूस से भारत के बढ़ते तेल आयात की वजह से ब्रुनेई के साथ तेल की खरीद में गिरावट आई है। अब प्रधानमंत्री के इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच गैस को लेकर समझौता हो सकता है।

दूसरी तरफ डिफेंस के क्षेत्र में भारत के नौसैनिक जहाज ब्रुनेई का दौरा करते रहते हैं। अब भारत इस साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए ब्रुनेई के साथ एक जॉइंट वर्किंग ग्रुप ऑन डिफेंस की स्थापना करने वाला है। ये ग्रुप भी इस दौरे के दौरान ही स्थापित होगा।

सवाल 3: क्या ये दौरा चीन और साउथ चाइना सी विवाद के लिहाज से हो रहा है?
जवाब: 
निरंजन के मुताबिक भारत के लिहाज से देखें तो ब्रुनेई साउथ चाइना सी में बहुत खास रोल प्ले नहीं करता है। हालांकि चीन के साथ साउथ चाइना सी को लेकर चल रहे विवाद वाले देशों में ब्रुनेई भी शामिल है, लेकिन इसे लेकर ब्रुनेई और चीन के बीच वैसा संघर्ष नहीं दिखता है, जैसा चीन का फिलीपींस के साथ दिखता है। ब्रुनेई भी चीन का विरोध करता नहीं दिखता है।

हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि ब्रुनेई ने चीन के दावे को स्वीकार कर लिया है। दूसरी तरफ भारत भी साउथ चाइना सी को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक शांतिपूर्ण समाधान निकालने की बात करता है।

संभव है कि इस विजिट के बाद दोनों देशों की तरफ से जारी होने वाले साझा बयान में भी भारत इस बात को दोहराए। यह दौरा भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का हिस्सा है। खास तौर पर भारत के आसियान देशों के साथ संबंधों के लिहाज से यह अहम है।

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच तेजस फाइटर एयरक्राफ्ट डील पर बात हो सकती है।

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच तेजस फाइटर एयरक्राफ्ट डील पर बात हो सकती है।

ब्रुनेई से जुड़ी ये जानकारी भी जान लीजिए

ताजमहल की तर्ज पर बनी उमर अली मस्जिद
ब्रुनेई के बंदर सेरी बेगावान में बनी उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में से एक है। इसे भारत के ताजमहल की तर्ज पर बनाया गया है।

इसका निर्माण 1958 में करवाया गया था। इसे इटली के एक डिजाइनर और ब्रिटिश इंजीनियरों ने बनाया है। इसका नाम ब्रुनेई के 28वें सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन III के नाम पर रखा गया है।

मस्जिद के निर्माण के लिए इटली से संगमरमर मंगाया गया था। इसकी वजह से यह ताजमहल की तरह सफेद दिखती है। मस्जिद के टॉप पर एक सुनहरा गुंबद है, जो शहर के कई हिस्सों से दिखाई देता है। मस्जिद की मीनारें भी मुगल वास्तुकला से प्रेरित हैं।

मस्जिद का इंटीरियर भी शानदार है। इंटीरियर में इंग्लैंड से लाई गई झूमर, सऊदी अरब से लाई गई कालीन और इटली से मंगाई गई कांच की खिड़कियां लगाई गई हैं।

हालांकि ताजमहल एक मकबरा है जिसे हुंमायू ने अपनी बेगम की याद में बनवाया था, जबकि यह एक मस्जिद है।

मस्जिद के सामने की तरफ बनी लैगून (झील) में एक पत्थर की नाव मौजूद है जो संगमरमर के पुल से मस्जिद से जुड़ी हुई है। यह नाव 16वीं सदी की ब्रुनेई रॉयल बोट्स से प्रेरित है।

मस्जिद के सामने की तरफ बनी लैगून (झील) में एक पत्थर की नाव मौजूद है जो संगमरमर के पुल से मस्जिद से जुड़ी हुई है। यह नाव 16वीं सदी की ब्रुनेई रॉयल बोट्स से प्रेरित है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!