दीपों की लौ में सजी दीवाली: खुशियों, धर्म और प्रेम का पर्व
दीवाली के दीप
दीपों की जगमग से सजी है रात्रि,
हर दिल में उमंगें छाई हैं।
सत्य और धर्म का संदेश लिए,
देखो, फिर दीवाली आई है।
कृष्ण ने नरकासुर को मारा,
माँ भूमि का उद्धार किया।
राम रावण का अंत कर लौटे,
समुद्र मंथन से लक्ष्मी अवतरण हुआ।
अंधकार से आशा की ओर,
हर मन में नई तरंगें लाई है।
अमावस की काली रात को
दीप हजारों जगमगाते हैं।
लक्ष्मी-गणेश की आराधना से
सुख-समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं।
रंग-बिरंगी रंगोलियों संग
खुशियों की बहारें आई हैं।
अब फुलझड़ियाँ नहीं, जलाएं वो आग,
जिसमें अहम और बुराइयां जल जाएं।
राम और कृष्ण के सच्चे वचन
हमारे संस्कारों में उतर जाएं।
प्रेम, सौहार्द, सद्भाव का
संदेशा लेकर दीवाली आई है।
- कवयित्री अंत्रिका सिंह
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
स्वरचित एवं मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित
Diwali’s Radiant Lamps
In Diwali’s glowing, radiant lights,
Boundless joy and cheer unite.
Bearing gifts of truth and grace,
Behold, Diwali’s warm embrace.
Lord Krishna slayed fierce Narakasur,
Mother Earth he did secure.
Rama returned, with Ravana slain,
From churning seas, Lakshmi came.
Darkness and despair now retreat,
Hope fills every heart we meet.
On this new moon night so bright,
Thousands of lamps dispel the night.
With Lakshmi, Ganesh, we pray,
Prosperity and joy find their way.
Colorful, charming rangolis spread,
Bringing happiness, love ahead.
Instead of crackers and sparkling fuses,
Burn away pride and all abuses.
Ram and Krishna’s words we hold,
In our lives, their virtues unfold.
With peace and love, harmony grows,
Diwali’s message in every glow.
— Poetess Antrika Singh
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