BY DEFENCE JOURNALIST SAHIL | T.I.N. NETWORK
6 साल बाद बीकानेर पुलिस की बड़ी कामयाबी — ₹25,000 के इनामी शातिर अपराधी उत्तम गिरी को अहमदाबाद से दबोचा गया
नाम बदलकर ‘मनोज’ के रूप में जी रहा था दूसरी ज़िंदगी, नौ वारंटों से फरार था आरोपी
बीकानेर, 13 अक्टूबर —
बीकानेर पुलिस ने अपराध जगत में एक बार फिर अपनी कार्यकुशलता और जांबाजी का परिचय देते हुए एक बड़ी सफलता हासिल की है। छह साल से फरार चल रहे शातिर हिस्ट्रीशीटर (HS) और ₹25,000 इनामी अपराधी उत्तम गिरी को पुलिस ने गुजरात के अहमदाबाद से गिरफ्तार किया है। आरोपी वर्षों से अपनी पहचान छुपाकर ‘मनोज’ नाम से नई जिंदगी जी रहा था। बीकानेर से गायब होने के बाद उसने न केवल अपना नाम बदला बल्कि अहमदाबाद के स्थानीय पहचान पत्र (ID proofs) भी बनवा लिए थे ताकि पुलिस को गुमराह किया जा सके।
इस सफलता का श्रेय बीकानेर के पुलिस अधीक्षक कावेंद्र सागर के नेतृत्व में बनी एक विशेष पुलिस टीम को जाता है। टीम ने अत्यंत गोपनीयता के साथ लगातार कई महीनों तक आरोपी की लोकेशन ट्रेस करने का कार्य किया। साइबर सेल के एएसआई दीपक यादव ने इस पूरी कार्रवाई में अहम तकनीकी भूमिका निभाई, जिनकी मेहनत से बीकानेर पुलिस को इस हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी में निर्णायक सफलता मिली।
6 साल तक फरार, बदला नाम, बदली पहचान, बना ‘मनोज’
उत्तम गिरी, जो मूल रूप से पांचू थाना क्षेत्र का रहने वाला है, साल 2020 में बीकानेर से अचानक लापता हो गया था। इसके बाद उसने बीकानेर से पूरी तरह रिश्ता तोड़ लिया — न किसी रिश्तेदार से संपर्क रखा, न ही किसी सामाजिक या पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल हुआ। यहां तक कि किसी के निधन या शादी-ब्याह के मौके पर भी वह या उसका परिवार कभी नहीं आया।
बीकानेर से फरार होने के बाद आरोपी अपनी मां और पत्नी के साथ अहमदाबाद में किराए के मकान में रहने लगा। उसने अपना नया नाम मनोज रख लिया और इसी नाम से स्थानीय दस्तावेज — जैसे आधार, वोटर कार्ड आदि भी तैयार कर लिए। पुलिस को इस बीच आरोपी के किसी भी ठिकाने की पुख्ता जानकारी नहीं मिल पा रही थी, जिससे उसकी तलाश बेहद चुनौतीपूर्ण बन गई थी।
अलग-अलग थानों के 9 स्थायी वारंटों से था वांछित
उत्तम गिरी पर बीकानेर जिले के विभिन्न थानों में कई आपराधिक मामले दर्ज थे। कुल 9 स्थायी वारंट (Standing Warrants) आरोपी के खिलाफ स्थानीय न्यायालयों द्वारा जारी किए गए थे। वह लंबे समय से पुलिस की गिरफ्त से बाहर था और बीकानेर पुलिस के रिकॉर्ड में ‘अत्यंत शातिर व फरार हिस्ट्रीशीटर’ के रूप में दर्ज था।
उसे बीकानेर पुलिस द्वारा ₹25,000 का इनामी अपराधी घोषित किया गया था। बावजूद इसके, आरोपी ने अपनी गतिविधियों को इतनी सावधानी से छुपाया कि वर्षों तक वह पुलिस की नज़रों से बचा रहा।
अहमदाबाद में मिठाई की दुकान, हॉस्पिटल और कॉस्मेटिक शॉप में करता था काम
पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है कि फरार आरोपी उत्तम गिरी ने अहमदाबाद में अलग-अलग जगहों पर रोजगार बदलते हुए अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की। कभी वह किसी मिठाई की दुकान पर काम करता, तो कभी किसी हॉस्पिटल या कॉस्मेटिक शॉप में बतौर कर्मचारी नौकरी करता रहा। उसने स्थानीय लोगों के बीच खुद को ‘मनोज’ नाम से पेश किया और एक सीधा-साधा नागरिक बनकर समाज में घुलमिल गया।
पुलिस के लिए यह केस एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि आरोपी ने बीकानेर से हर प्रकार का संपर्क तोड़ लिया था और किसी रिश्तेदार तक ने उसकी लोकेशन या जानकारी नहीं दी।
पुलिस की रणनीतिक मेहनत और साइबर सेल की अहम भूमिका
पुलिस अधीक्षक कावेंद्र सागर के दिशा-निर्देशन में बीकानेर पुलिस ने आरोपी की खोज के लिए एक विशेष ऑपरेशन चलाया।
शहर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सौरभ तिवाड़ी के निर्देशन में गठित टीम में शामिल थे —
थानाधिकारी नोखा अरविंद भारद्वाज,
थानाधिकारी कोटगेट विश्वजीत सिंह,
एएसआई दीपक यादव (साइबर सेल),
हेड कांस्टेबल तुलछीराम,
कांस्टेबल श्रीराम, तेजपाल और संतोष।
इन अधिकारियों ने लगातार महीनों तक मोबाइल डाटा, बैंक ट्रांजेक्शन, सोशल मीडिया ट्रैकिंग और संदिग्ध नंबरों की निगरानी की। आखिरकार साइबर सेल की तकनीकी मदद से आरोपी की लोकेशन अहमदाबाद में ट्रेस हुई। जब टीम ने वहां दबिश दी तो आरोपी ने पहले पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार पकड़ा गया।
‘मनोज’ के रूप में नई जिंदगी, पर पुरानी सच्चाई ने पकड़ लिया
गिरफ्तारी के दौरान आरोपी ने पुलिस को अपने मनोज नाम के दस्तावेज दिखाकर भ्रमित करने का प्रयास किया, पर जब बीकानेर पुलिस ने उसके पुराने रिकॉर्ड और तस्वीरें मिलाईं तो सच्चाई सामने आ गई। पुलिस टीम ने बताया कि आरोपी बेहद चालाक और सतर्क था। उसने बीकानेर के अपने पुराने परिचितों तक से सभी संबंध खत्म कर दिए थे ताकि कोई उसके बारे में जानकारी न दे सके।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, उत्तम गिरी के खिलाफ बीकानेर जिले में चोरी, मारपीट, अवैध गतिविधियों और सरकारी आदेशों के उल्लंघन से जुड़े कई मुकदमे दर्ज हैं।
‘कठोर परिश्रम और टीमवर्क का परिणाम’ — एसपी कावेंद्र सागर
इस पूरी कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए पुलिस अधीक्षक कावेंद्र सागर ने कहा कि यह बीकानेर पुलिस की लगातार निगरानी, तकनीकी दक्षता और टीमवर्क का परिणाम है। उन्होंने कहा कि अपराधी चाहे कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून से बच नहीं सकता। सागर ने साइबर सेल की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि तकनीकी खुफिया जानकारी (Technical Intelligence) अब अपराधियों को पकड़ने की रीढ़ बन चुकी है।
स्थानीय पुलिस को राहत, क्षेत्र में बढ़ा विश्वास
बीकानेर पुलिस की इस कामयाबी ने न केवल पुलिस विभाग का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि स्थानीय नागरिकों में भी सुरक्षा का भरोसा मजबूत किया है। पांचू थाना क्षेत्र के कई पुराने मामलों के अब सुलझने की उम्मीद बढ़ी है।
गिरफ्तारी के बाद आरोपी को बीकानेर लाया गया है, जहां उससे विस्तृत पूछताछ की जा रही है। पुलिस को उम्मीद है कि इस शातिर अपराधी से पूछताछ के बाद पुराने मामलों की कई कड़ियाँ खुलेंगी।
“शातिर ने पुलिस को 6 साल तक छकाया, मगर आखिरकार क़ानून ने अपनी पकड़ साबित की।”
बीकानेर पुलिस की यह सफलता न केवल एक फरार अपराधी की गिरफ्तारी की कहानी है, बल्कि यह इस बात का भी प्रतीक है कि अपराध चाहे जितना पुराना क्यों न हो, कानून की पकड़ से कोई नहीं बच सकता।
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