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Agniveer: पूर्व सैनिकों के सात लाख पद खाली, हर साल 55 हजार रिटायरमेंट, कैसे मिलेगी अग्निवीरों को सरकारी नौकरी?

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Agniveer: पूर्व सैनिकों के सात लाख पद खाली, हर साल 55 हजार रिटायरमेंट, कैसे मिलेगी अग्निवीरों को सरकारी नौकरी?

सार

केंद्र सरकार में पूर्व सैनिकों के 8.10 लाख पद हैं। इनमें से केंद्र सरकार ने पूर्व सैनिकों के 7.70 लाख पद (95 फीसदी) खाली रखे हुए हैं। अब ‘अग्निवीर’ भी सरकारी नौकरी लेने वाली कतार में खड़े हो जाएंगे।

विस्तार

भारतीय सेना में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए अग्निवीरों को उनकी चार वर्ष की सेवा समाप्ति के बाद दोबारा से सरकारी नौकरी कैसे मिलेगी, अब एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा का विषय बना है। पुनर्वास महानिदेशालय (डीजीआर) की जून-2021 की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार में पूर्व सैनिकों के 8.10 लाख पद हैं। इनमें से केंद्र सरकार ने पूर्व सैनिकों के 7.70 लाख पद (95 फीसदी) खाली रखे हुए हैं। अब ‘अग्निवीर’ भी सरकारी नौकरी लेने वाली कतार में खड़े हो जाएंगे। कांग्रेस पार्टी के पूर्व सैनिक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी कहते हैं, हर वर्ष सेना में लगभग 80 हजार भर्तियां होती थीं। केंद्र सरकार ने अग्निपथ स्कीम के तहत 40 हजार (सालाना) जवानों को सेना में कम कर दिया है। चौधरी सवाल उठाते हैं कि क्या इस स्थिति में चार साल बाद सभी अग्निवीरों को सरकारी नौकरी मिल सकेगी। दूसरी तरफ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों कहा था, उनकी सरकार जरूरत पड़ने पर अग्निवीर भर्ती योजना में बदलाव के लिए तैयार है। हालांकि राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान रक्षा मंत्री ने कहा, अग्निवीरों का भविष्य बेहद सुनहरा है। अग्निवीरों को अलग-अलग सरकारी विभागों में नौकरी मिलेगी।

सेना में हर साल 40 हजार जवानों की कटौती
कर्नल रोहित चौधरी के अनुसार, क्या सच में चार साल बाद अग्निवीरों को सरकारी नौकरी मिलेगी, यह एक बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा, जब सरकारी नौकरी लेने के लिए पूर्व सैनिक पहले से ही कतार में लगे हैं, ऐसे में सभी अग्निवीरों को पक्की नौकरी कैसे मिलेगी। पहले सेना में लगभग 80 हजार भर्तियां, हर साल होती थीं। अग्निपथ स्कीम के तहत 40 हजार (वार्षिक) जवानों को सेना में कम कर दिया गया है। इसके चलते चार वर्ष बाद सभी अग्निवीरों को नौकरी कैसे मिलेगी। कोरोनाकाल के दौरान 2020, 2021 व 2022 में मोदी सरकार ने सेना में भर्तियां नहीं कीं। महज तीन साल में सेना में 2.25 लाख पद कम कर दिए। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार चार साल बाद सभी अग्निवीरों को नौकरी कैसे देगी। क्या मोदी सरकार का दो करोड़ सालाना नौकरियों की तरह, चार साल बाद अग्निवीरों को नौकरी देने की बात भी महज एक जुमला साबित होगी।

अग्निपथ स्कीम से सेना ‘आश्चर्यचकित’
बतौर चौधरी, उस समय के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल एमएम नरवणे भी कह चुके हैं कि अग्निवीर योजना, तीनों सेनाओं पर थोपी गई स्कीम है। अग्निवीर योजना न तो देशहित में है और न ही युवाओं के हित में है। कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने के बाद ‘अग्निवीर योजना’ को खत्म कर देगी। अग्निपथ योजना को लेकर पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने अपनी किताब में लिखा था, अग्निपथ स्कीम से सेना ‘आश्चर्यचकित’ हो गई थी। खासतौर पर, नौसेना और वायु सेना के लिए, यह नीले रंग से बोल्ट की तरह आया था। इसके अलावा, यह योजना सैनिकों के समानांतर कैडर बनाकर हमारे जवानों के बीच भेदभावपूर्ण स्थिति पैदा करती है। सेना में एक जैसी ड्यूटी के लिए समान काम करने की उम्मीद की जाती है, लेकिन बहुत अलग परिलब्धियों, लाभों और संभावनाओं के साथ। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर कहा, चार साल की सेवा के बाद अधिकांश अग्निवीरों को अनिश्चित जॉब मार्केट में छोड़ दिया जाएगा। कुछ लोगों का तर्क है कि इससे सामाजिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है।

सभी अग्निवीरों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी
सैन्य मामलों के विशेषज्ञ और एक्स-सर्विसमैन ग्रीवांस सेल के अध्यक्ष साधू सिंह कहते हैं, अग्निवीर योजना ही गलत थी। इसकी बजाए, चार साल की वॉलंटियर सैन्य जॉब करने का नियम बनाते तो ठीक रहता। तय समय तक अपना वेतन लेते और जॉब छोड़ देते। कई देशों में ऐसी व्यवस्था है। उसे अनिवार्य सैन्य सेवा कहा जाता है। युवाओं को सेना सर्विस करनी ही होती है। अग्निवीरों को पेंशन नहीं मिलेगी और मात्र 25 फीसदी को ही स्थायी सेवा में रखा जाएगा। सेना में हर साल 55 से 60 हजार जवान रिटायर हो रहे हैं। अगर भर्ती की बात करें, तो उस अनुपात में नहीं हो रही। अग्निवीरों की अलग बैरक होती है। इन्हें बीस से तीस हजार रुपया मासिक वेतन मिलता है। सेना के स्थायी सिपाही को 42 हजार रुपये, बतौर वेतन मिलते हैं। अग्निवीरों में हीन भावना रहती है। अगर ड्यूटी पर उनकी जान चली जाती है, तो शहीद का दर्जा भी नहीं मिलता। कहने को तो पंजाब में सरकारी नौकरी के लिए पूर्व सैनिकों का कोटा 13 फीसदी है। हकीकत यह है कि वहां पर पूर्व सैनिकों का भर्ती कोटा, डेढ़ फीसदी से ज्यादा नहीं भरा जाता। पूर्व सैनिक, सरकारी नौकरी के लिए चक्कर काटते रहते हैं। साधू सिंह के मुताबिक, ऐसे में राज्य सरकारें भी सोचने लगती हैं कि ये लोग ‘पूर्व सैनिक’, हमारे वोटर तो हैं नहीं। सीएपीएफ में अग्निवीरों के लिए दस फीसदी पद रिज़र्व रखे गए हैं। मौजूदा परिस्थितियों में सभी अग्निवीरों को सरकारी नौकरी मिलेगी, यह संभव नहीं है।

इन देशों में अनिवार्य है सेना की ट्रेनिंग
इस्राइल में पुरुष और महिला, दोनों के लिए आर्मी सर्विस जरूरी है। ब्राजील में भी मिलिट्री सेवा अनिवार्य है। हर देश में भर्ती का तरीका और ट्रेनिंग की अवधि अलग-अलग होती है। दक्षिण कोरिया में राष्ट्रीय सैन्य सेवा को लोगों के जीवन का अनिवार्य अंग बनाया गया है। कई देशों में कुछ लोगों को अनिवार्य भर्ती से छूट भी दे जाती है। उसके लिए अलग मापदंड बनाए गए हैं। रूस में भी एक साल की सैन्य सेवा अनिवार्य है। सीरिया में सैन्य सेवा अनिवार्य तौर से लागू की गई है। यहां पर सैन्य सेवा की अवधि करीब 18 माह है। जो लोग सेना में सेवा नहीं देना चाहते, जानबूझकर बच निकलते हैं तो उन्हें दंड मिलता है। स्विट्जरलैंड में पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है। तुर्की में लड़कों के लिए सेना सेवा अनिवार्य है। यूक्रेन, ऑस्ट्रिया, ईरान और म्यांमार में भी लोगों के लिए सेना में सेवा देना जरूरी है।

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