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सस्ता कर्ज देकर रूसी हथियारों का बाजार हथिया रहा भारत:ब्राजील-अर्जेंटीना समेत 20 देशों में भेजे डिप्लोमैट; रूस-यूक्रेन जंग का फायदा

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सस्ता कर्ज देकर रूसी हथियारों का बाजार हथिया रहा भारत:ब्राजील-अर्जेंटीना समेत 20 देशों में भेजे डिप्लोमैट; रूस-यूक्रेन जंग का फायदा

नई दिल्ली

भारत हथियार खरीदने वाले देशों को सस्ते और लंबे समय तक के कर्ज देने की पेशकश कर रहा है। टारगेट वे देश हैं, जो अब तक रूस से हथियार खरीदते रहे हैं। रूस के यूक्रेन जंग में फंसे होने की वजह से ये देश अब नए विकल्प तलाश रहे हैं। भारत इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। यह दावा रॉयटर्स की रिपोर्ट में भी किया गया है।

भारत, यूक्रेन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में सरकार हथियारों के निर्यात पर भी जोर दे रही है। इसके लिए भारत एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक (EXIM Bank) के माध्यम से हथियार खरीदने के लिए कर्ज मुहैया करा रहा है।

रॉयटर्स ने दो सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया है कि सरकार EXIM बैंक की मदद से हथियार खरीदने वाले देशों को कम ब्याज दरों पर और लंबे समय के लिए लोन देने के प्लान पर काम कर रही है। इसका फायदा उन देशों को मिलेगा जो राजनीतिक अस्थिरता या कम क्रेडिट रेटिंग की वजह से महंगे कर्ज नहीं उठा पाते।

भारत ने इसके लिए ब्राजील-अर्जेंटीना समेत 20 देशों में अपने डिप्लोमैट भेजे हैं।

EXIM बैंक के जरिए लोन क्यों बांट रहा भारत?

भारत ने EXIM बैंक के जरिए लोन बांटने का फैसला किया है। दरअसल, भारत के ज्यादातर बैंक हथियारों की बिक्री के लिए लोन देने में आनाकानी करते हैं। खासकर ऐसे देशों के साथ भारतीय बैंक सौदा नहीं करना चाहते जहां राजनीतिक जोखिम ज्यादा है। लिहाजा EXIM को डिजाइन किया गया है।

भारत के एक राजनयिक ने कहा है कि बैंकों की आनाकानी की वजह से भारत को लंबे समय तक अपने प्रतिद्वंद्वियों जैसे फ्रांस, तुर्की और चीन से पीछे होना पड़ा है, क्योंकि ये देश हथियार खरीदने के लिए भारी भरकम लोन भी देते हैं। लिहाजा भारत भी अब लोन देकर हथियार बेचने के बाजार में आ गया है।

भारत ने इस साल जनवरी में ब्राजील में EXIM की एक ब्रांच खोली है। इसके तहत भारत, ब्राजील को मिसाइल बेचने का सौदा कर रहा है। ब्राजील के दो अधिकारियों के मुताबिक भारत, ब्राजील को आकाश मिसाइल बेचने के लिए बातचीत कर रहा है। दो भारतीय सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया है कि आकाश मिसाइल सिस्टम बनाने वाली कंपनी ने इस साल साओ पाओलो में दफ्तर खोला है।

रूस-यूक्रेन जंग का भारत को फायदा मिला

फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। बीते 3 साल के दौरान इस जंग में अमेरिका और रूस दोनों ने अपने हथियार झोंके हैं। ऐसे में इन दोनों देशों पर निर्भर अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के देशों के पास हथियारों की आपूर्ति के लिए विकल्पों की कमी हो गई है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने मौके को पहचाना और उन देशों से संपर्क बढ़ाया। खास बात यह है कि भारत पश्चिमी और रूसी दोनों तरह के हथियारों का इस्तेमाल करता रहा है। भारत के पास दोनों तरह की हथियार टेक्नोलॉजी का अनुभव है। ऐसे में भारत इन देशों की रक्षा जरूरतों को समझ सकता है।

रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह रणनीति भारत को वैश्विक स्तर पर न केवल एक भरोसेमंद हथियार आपूर्तिकर्ता बनाएगी, बल्कि उसे रणनीतिक रूप से भी मजबूती देगी। आने वाले वर्षों में भारत उन देशों के साथ अपने रिश्ते गहरे कर सकता है, जिन्हें अब तक केवल रूस से सैन्य सहायता मिलती थी।

एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद स्थिति बदल गई। पश्चिमी देशों ने अपने हथियार यूक्रेन भेज दिए और रूस ने अपने हथियार सिर्फ खुद के लिए बनाए। इससे उन देशों को दिक्कत हुई, जो रूस और अमेरिका पर निर्भर थे।

ऐसे में वे देश जो दोनों से हथियार खरीदते रहे, उन्होंने भारत से संपर्क करना शुरू किया। भारतीय तोपखाने के कुछ गोले यूक्रेन में भी देखे गए। भारत अब विदेशी डिप्लोमैट्स और अपनी हथियार कंपनियों के बीच बैठकें करा रहा है और सैन्य अभ्यासों में हेलिकॉप्टर जैसे एडवांस्ड हथियार दिखा रहा है।

रूस का हथियार बाजार में दबदबा कम हुआ

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-19 की तुलना में 2020-24 के बीच रूस के हथियार निर्यात में 64% की गिरावट आई है। वैश्विक हथियार बाजार में रूस की हिस्सेदारी 20% से घटकर 7.8% रह गई है।

यह गिरावट 2022 में यूक्रेन पर हमले से पहले ही शुरू हो चुकी थी। इसकी अहम वजह चीन और भारत से कम ऑर्डर मिलना रहा। दूसरी तरफ अमेरिका ने वैश्विक हथियार निर्यात में अपनी हिस्सेदारी 43% तक बढ़ा ली है। यहां तक कि चीन और फ्रांस जैसे देश भी रूस से आगे निकल रहे हैं।

रूस का सबसे बड़ा हथियार खरीदार रहे भारत ने 2010-14 में 72% हथियार उससे खरीदे, जो 2020-24 में घटकर 36% रह गया। हालांकि, अभी भी भारत सबसे ज्यादा हथियार रूस से ही खरीदता है।

3000 हजार डॉलर का गोला, 300 डॉलर में बना रहा भारत

2023-24 में भारत ने करीब ₹1.27 लाख करोड़ के हथियार बनाए, जो 2020 की तुलना में 62% ज्यादा है। भारत ने 2029 तक रक्षा निर्यात को 6 बिलियन डॉलर (करीब ₹50 हजार करोड़) तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

अभी भारत में बने 155 मिमी के तोप के गोले 300 से 400 डॉलर में बन जाते हैं, जबकि यूरोप में यही गोला 3 हजार डॉलर में बिकता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बनने वाली होवित्जर तोप 25 करोड़ रुपए में बेची गई है। यूरोप में बनने वाली होवित्जर तोप की तुलना में इसकी कीमत लगभग आधी है।

भारत में छोटे हथियारों का उत्पादन तो लंबे समय से होता रहा है, लेकिन हाल ही में निजी कंपनियों ने बड़े और उन्नत हथियार बनाने शुरू किए हैं। निजी कंपनियां जैसे अडाणी डिफेंस और SMPP भी अब बड़े हथियार बना रही हैं।

टारगेट पर अफ्रीकी, दक्षिण अमेरिकी और एशियाई देश

भारत ने अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को अपना रक्षा निर्यात केंद्र बनाने की योजना बनाई है। अधिकारियों के मुताबिक भारत मार्च 2026 तक 20 नए डिफेंस अटैशे (सैन्य राजनयिक) विदेशों में तैनात करेगा।

इन्हें अल्जीरिया, मोरक्को, गुयाना, तंजानिया, अर्जेंटीना, इथियोपिया और कंबोडिया जैसे देशों में नियुक्त किया जाएगा। भारत इन देशों को अपना रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए सबसे सही मानता है।

दूसरी तरफ भारत पश्चिमी देशों में तैनात सैन्य राजनयिकों की संख्या कम करेगा। इन्हें यहां से दूसरे देशों में तैनात किया जाएगा। इन राजनयिकों को भारतीय हथियारों को बढ़ावा देने और मेजबान देशों की रक्षा जरूरतों का अध्ययन करने में मदद की जा रही है।

भारत ने पिछले साल आर्मेनिया में सैन्य राजनयिक नियुक्त किया था। यहां भारत को सफलता भी मिली है। आर्मेनिया में भारत ने रूस के दबदबे को चुनौती दी है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक 2022 से 2024 तक आर्मेनिया के हथियारों के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 43% रही, जबकि 2018 में भारत की हिस्सेदारी 0% थी।

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