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BJP के 2019 के वादों की पड़ताल, पार्ट 2:राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े 66% वादे पूरे; सीमा सुरक्षा पर कैसे चूकी सरकार

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BJP के 2019 के वादों की पड़ताल, पार्ट 2:राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े 66% वादे पूरे; सीमा सुरक्षा पर कैसे चूकी सरकार

ये BJP के साल 2019 के वादों की पड़ताल की दूसरी कड़ी है…

BJP ने 2019 के 50 पेज के घोषणापत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े 9 प्रमुख वादे किए थे, जिनमें से 6 वादे पूरे हुए हैं, जबकि 3 अधूरे हैं। इस तरह BJP का स्ट्राइक रेट करीब 66% है। अधूरे वादों में से दो वादे सीमा सुरक्षा से जुड़े हुए हैं। इससे साफ है कि घुसपैठ और सीमा सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां अभी भी हैं। इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े सभी प्रमुख वादों की हालिया स्थिति जानेंगे…

वादा-1: आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रखेंगे
देश से आतंकवाद को खत्म करने के लिए जीरो टॉलरेंस के अपने वादे पर BJP खरी उतरी है।

  • गृह मंत्रालय ने 19 दिसंबर 2023 को जम्मू-कश्मीर से जुड़ा डेटा जारी करके बताया था कि आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति से आतंकी घटनाएं कम हुई हैं। साल 2018 में 228 आतंकी घटनाएं हुई थीं, जो 2023 में घटकर 43 हो गईं।
  • इसी तरह जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ होने वाले एनकाउंटर में कमी आई है। साल 2018 में इनकी संख्या 189 थी, जो 2023 में घटकर 48 हो गई।
  • हालांकि, अभी भी जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं या आतंकवादियों से मुठभेड़ की खबरें आती रहती हैं, लेकिन BJP ने देश और देश के बाहर आतंकवाद से जुड़ी किसी भी तरह की घटना पर अपना रुख जीरो टॉलरेंस का रखा है।

वादा-2: रक्षा उपकरणों की खरीद तेज करेंगे
BJP ने हथियारों की खरीद तेज करने का अपना वादा पूरा किया है। मेक इन इंडिया पॉलिसी के तहत निगेटिव इम्पोर्ट (विदेशों से हथियारों की खरीद कम करना) की लिस्ट में इजाफा हुआ है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि भारत अभी भी बड़ी तादाद में विदेशी हथियारों की खरीद करता है।

  • केंद्र ने साल 2014-17 और 2017-22 के बीच सैन्य उपकरणों की खरीद को लेकर दो डेटा जारी किए हैं।
  • फरवरी 2023 में लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बताया कि साल 2017 से 2022 के बीच 1.93 लाख करोड़ रुपए के सैन्य उपकरण विदेशों से खरीदे गए। भारत की कंपनियों से कितने रुपए के उपकरण खरीदे गए, इसकी जानकारी नहीं दी गई।
  • वहीं, साल 2014 से 2017 के बीच देश और विदेश से 2.42 लाख करोड़ रुपए के सैन्य उपकरण खरीदे गए थे।
  • सरकार ने डिफेंस सेक्टर का बजट भी बढ़ाया है। साल 2024-25 के लिए 6.21 लाख करोड़ रुपए का बजट रखा गया है, जबकि साल 2019-20 में यह बजट 3.18 लाख करोड़ रुपए का था।

वादा- 3: सभी सीमाओं पर अवैध घुसपैठ रोकने के लिए स्मार्ट फेंसिंग करेंगे
BJP का यह वादा अभी अधूरा है।

  • भारत की जमीनी सीमाएं 7 देशों से लगती हैं। इनमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भूटान ,नेपाल, चीन, म्यांमार और बांग्लादेश शामिल हैं। भारत इन देशों के साथ कुल 15,106.7 किलोमीटर की जमीनी सीमा साझा करता है।
  • केंद्र सरकार ने पहली बार साल 2018 में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्मार्ट फेंसिंग का काम शुरू किया था।
  • इसके बाद जनवरी 2024 में भारत-म्यांमार सीमा पर भी स्मार्ट फेंसिंग का काम शुरू हुआ, लेकिन कुल जमीनी सीमा में से अब तक केवल 5223 किलोमीटर पर ही बाड़ेबंदी का काम पूरा हुआ है।

वादा- 4: वामपंथी उग्रवाद को कम करने के लिए सख्त कदम
देश में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या घटी है। आंकड़े बताते हैं कि BJP ने अपना ये वादा पूरा किया है।

  • गृह मंत्रालय के मुताबिक, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में विकास के लिए साल 2018 से 2023 के बीच 4,931 करोड़ रुपए जारी किए गए। इस राशि से राज्यों में 13,620 किलोमीटर की सड़कों का निर्माण किया गया।
  • टेलिकॉम कनेक्टिविटी में सुधार के लिए 13,823 टावरों की मंजूरी दी गई, जिनमें से 3700 से ज्यादा टावर चालू हो चुके हैं।
  • वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में 4,903 नए डाकघर खोले गए।
  • 30 सबसे ज्यादा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में अप्रैल 2015 से 2023 के बीच 955 बैंक और 839 ATM खोले गए।
  • 23 फरवरी 2024 को गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया कि देश में 2004-14 और 2014-23 के बीच वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसा में 52% और मौतों की संख्या में 69% की गिरावट आई है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, उग्रवादी घटनाएं 14,862 से घटकर 7,128 हो गईं। इनसे होने वाली मौतें 6,035 से घटकर 1,868 हो गईं।
  • देश में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या घट गई है। 10 राज्यों के 72 जिलों से घटकर ये संख्या 58 रह गई है।

वादा- 5: 2024 तक 14 नए इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट का निर्माण
इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर बेहतर सुरक्षा सुधार के साथ-साथ पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार और संबंध बेहतर करना होता है। 2024 तक नए 14 ICP का BJP का वादा अभी अधूरा है।

  • 6 फरवरी 2019 को गृह मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश और असम में ICP स्थापित करने को मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा 10 और जगहों पर ICP बनाने के लिए ‘सैद्धांतिक रूप से’ मंजूरी दी गई है।
  • 27 जुलाई 2022 को गृह मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि देश में साल 2012 से 2020 तक 9 इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट बनाए गए और ये अभी सक्रिय हैं।
  • नवंबर 2023 में इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022-23 के लिए गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट में बताया गया कि ICP शुरू करने के लिए केंद्र सरकार ने बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के साथ भारत की जमीनी सीमाओं पर कुल 14 जगहों की पहचान की है। ये जगहें उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के सीमाई इलाकों में हैं। इनमें से कई चेक पोस्ट्स पर काम लगभग पूरा हो गया है, वहीं कुछ चेक पोस्ट्स का काम संतोषजनक नहीं है। गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी तक सात ICP के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं की है।
  • ICP का संचालन लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (LPAI) द्वारा किया जाता है। ये ऑर्गनाइजेशन गृह मंत्रालय के तहत आता है। साल 2021 में LPAI ने कहा था कि साल 2025 तक भारत की जमीनी सीमाओं पर 24 ICP होंगे।

वादा- 6: बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा
BJP ने अपना यह वादा पूरा किया है।

  • संयुक्त राष्ट्र, G20, ब्रिक्स, SCO जैसे मंचों पर भारत ने मजबूती से आतंकवाद जैसी वैश्विक समस्याओं को लेकर आपसी सहयोग की वकालत की है।
  • नेबरहुड फर्स्ट जैसी पॉलिसी के तहत भारत ने पड़ोसी देशों से संबंध बेहतर करने की कोशिश की है।
  • साल 2023 में भारत ने G-20 और SCO (शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन) जैसे वैश्विक मंचों की अध्यक्षता की। दिसंबर 2022 में भारत ने दूसरी बार USNC की मासिक अध्यक्षता की।
  • बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने की भारत की कोशिशों की सराहना अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी की गई है।

वादा- 7: वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी मंच बनाने के लिए कार्य
आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया भर के देशों को एक मंच पर लाने की BJP सरकार की कोशिश का वादा संतोषजनक कहा जा सकता है।

  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई नया आतंकवाद विरोधी मंच नहीं बना है, हालांकि भारत का रवैया वैश्विक आतंकवाद के हर स्वरूप के खिलाफ रहा है।
  • 2022 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की आतंकवाद विरोधी समिति की मेजबानी की। इस बैठक में ‘दिल्ली घोषणा पत्र’ के दस्तावेज को सभी सदस्य देशों ने अपनाया। इसमें मुख्य तौर पर ड्रोन, सोशल मीडिया और ऑनलाइन माध्यमों से होने वाले आतंकवाद को रोकने की बात कही गई थी।
  • दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हुई आतंकवाद की किसी भी घटना की भारत ने सख्त निंदा की है।
  • बीते कुछ सालों में दुनिया भर में हुई आतंकवाद की घटनाओं के बीच फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालकर वापस लाया गया है।

वादा- 8: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त करने का प्रयास

BJP का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता पाने के प्रयास का यह वादा पूरा हुआ माना जा सकता है।

  • भारत अब तक UNSC की स्थायी सदस्यता नहीं ले पाया है, लेकिन इसके लिए भारत लगातार प्रयास करता रहा है। अमेरिका और रूस जैसे देश भी कहते रहे हैं कि भारत को UNSC की स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।
  • 2 अप्रैल 2024 को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ‘भारत को UNSC की स्थायी सदस्यता जरूर मिलेगी, क्योंकि दुनिया में यह भाव है कि उसे सदस्यता मिलनी चाहिए, लेकिन देश को इसके लिए और ज्यादा मेहनत करनी होगी।’

वादा- 9: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी समूह का प्रयास
भारत ने कई मंचों पर अंतरिक्ष से जुड़े मामलों पर एकजुट होकर एक समूह बनाने की बात कही है, लेकिन अभी यह प्रयास अधूरा है।

  • भारत पहले से ही इंटरनेशनल स्पेस एक्सप्लोरेशन कोआर्डिनेशन ग्रुप (ISECG) का सदस्य है। भारत ने कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर स्पेस रिसर्च और स्पेस के कॉमर्शियल यूज को लेकर एक नियामक संस्था बनाने की बात कही है।
  • भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के बैनर तले भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में उपलब्धियां बढ़ी हैं। इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के साथ वैश्विक स्तर पर एक समृद्ध स्पेस एजेंसी का गौरव हासिल किया है।
  • भारत ने स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ावा दिया है। इसरो कई स्पेस मिशन के लिए विदेशी एजेंसियों के साथ तकनीक का आदान-प्रदान करता है।

विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े वादों और उनको लेकर BJP सरकार की कोशिशों को समझने के लिए हमने आंतरिक सुरक्षा के मामलों के जानकार प्रोफेसर हर्ष पंत से बात की। उन्होंने बताया कि…

  • बीते 5-6 सालों में सरकार आतंकवाद पर नियंत्रण करने में सक्षम रही है। पाकिस्तान से कोई बातचीत न करके उसने आतंकवाद पर अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति कायम रखी है।
  • रक्षा क्षेत्र में हमारा निर्यात भी बढ़ा है। डिफेंस सेक्टर का बजट और बढ़ाए जाने की जरूरत है, लेकिन अगर UPA सरकार से तुलना करेंगे तो बजट में काफी सुधार हुआ है। इस समय रक्षा क्षेत्र का कोई प्रोजेक्ट नहीं अटका है। सेना को जरूरत के हथियार मुहैया हो रहे हैं, लेकिन एक पहलू यह भी है कि हथियारों की खरीद होने के बाद सेना को हथियार मिलने की प्रक्रिया लंबी होती है।
  • जमीनी सीमाओं पर बाड़ेबंदी आसान नहीं होती, क्योंकि दो देशों के बीच फेंसिंग को नकारात्मक नजरिए से देखा जाता है। इसके लिए पड़ोसी देशों को भी भरोसे में लेना होता है। म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा पर फेंसिंग में ऐसी ही रुकावटों का सामना करना पड़ा है।
  • वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इलाकों में विकास के लिए कई प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। सरकार ने नॉर्थ-ईस्ट को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की है। इसका सकारात्मक नतीजा भी देखने को मिला है। हाल ही में उल्फा जैसे कई उग्रवादी संगठनों के साथ डील की गई हैं।

विदेश नीति से जुड़े मामलों के जानकार प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि…

  • सरकार ने बहुत सक्रियता से बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम किया है। G-20 में शामिल देश, इसकी मेजबानी को उतनी गंभीरता से नहीं लेते थे, लेकिन जिस सफलता से BJP सरकार ने इसकी मेजबानी की, यह कई देशों के लिए नई बात थी। ब्रिक्स के कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार की आवश्यकता पर भारत ने मजबूती से अपना पक्ष रखा है।
  • आतंकवाद को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई एक परिभाषा नहीं है। आतंकवाद को लेकर दुनिया भर के देशों में आम सहमति नहीं है। इसलिए आतंकवाद को लेकर कोई संस्थागत फोरम बना पाना बहुत मुश्किल है।
  • BJP की सरकार आने से पहले भी भारत ने लगातार UNSC की स्थायी सदस्यता पाने का प्रयास किया है, लेकिन इन प्रयासों की एक सीमा है। चीन भारत की सदस्यता का विरोध करता है। जब तक UNSC में सुधार नहीं होते, भारत को UNSC की स्थायी सदस्यता मिलना मुश्किल है।
  • रिसर्च के अलावा अब स्पेस व्यापार का अड्डा भी बन गया है। इसलिए स्पेस वॉर, स्पेस का कॉमर्शियलाइजेशन और स्पेस का कचरा कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनके चलते अब एक अंतर्राष्ट्रीय नियामक संस्था की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र के तहत इन मुद्दों पर चर्चा के फोरम तो हैं, लेकिन कोई संस्थागत फोरम या नियामक अभी तक नहीं बना है।
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