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“नौ दिन की महिमा” – कवयित्री अंत्रिका सिंह

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बस नौ दिन की बात नहीं

कर जो रहे हो देवी पूजन
बात याद एक तुम रखना
बस नौ दिन की नहीं बात है
गांठ बांध यह तुम रखना।।

देवी मानो, बेटी मानो
मां मानो या बहना
भूले से भी कष्ट न देना
न ही अपराध को सहना
तुम बन जाना ढाल अडिग एक
सदा सजग ही रहना
बस नौ दिन की नहीं बात है
गांठ बांध यह तुम रखना।।

दूजे की बेटी ब्याह लाओ तो
उसे उचित सम्मान ही देना
दान दहेज के लोभ में कभी
नहीं मानवता को खोना
जो व्यवहार चाहते निज संग
उससे बेहतर ही करना
बस नौ दिन की नहीं बात है
गांठ बांध यह तुम रखना।।

आएदिन जो कुकर्म बढ़ रहे
बलात्कार और छेड़खानी
छोड़ना न ऐसे राक्षसों को
मिटा देना जड़ से निशानी
चुप्पी साधने की भूल को करके
न अपराध का हिस्सा बनना
बस नौ दिन की नहीं बात है
गांठ बांध यह तुम रखना।।


कवयित्री अंत्रिका सिंह
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
स्वरचित एवं मौलिक

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