ट्रम्प पर हमला-सीक्रेट सर्विस से पहले भी गलतियां हुईं:ओबामा को छोड़कर सेक्स-वर्कर्स के साथ गए एजेंट्स; बाथरूम तक साथ जाने वाली एजेंसी की कहानी
वॉशिंगटन
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से 4 महीने पहले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर शनिवार को जानलेवा हमला हुआ। हमले के वक्त वे पेंसिल्वेनिया के बटलर शहर में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। 400 फीट की दूरी से असॉल्ट राइफल से चलाई गोली उनके कान को छूते हुए गुजर गई।
ट्रम्प की सुरक्षा में तैनात सीक्रेट सर्विस के स्नाइपर्स ने 20 साल के हमलावर को तुरंत ढेर कर दिया। ट्रम्प पर हमले को सीक्रेट सर्विस के इतिहास की सबसे बड़ी चूकों में से एक बताया जा रहा है। हमलावर ट्रम्प से सिर्फ 400 फीट दूर था, सीक्रेट सर्विस फिर भी उसे पकड़ने में नाकाम रही।
चूक के बाद राष्ट्रपति बाइडेन ने नेशनल सिक्योरिटी को रिव्यू कराने का आदेश दिया है, जिससे पता चल सके कि असल में हुआ क्या था। जांच पूरी होने से पहले जानिए कि ये एजेंसी है क्या, कितनी ताकतवर होती है और कैसे काम करती है…
जाली नोट रोकने के लिए बनी सीक्रेट सर्विस, राष्ट्रपति की हिफाजत में तैनात की गई
1860 के दशक में अमेरिका नकली नोट छापे जाने की समस्या से जूझ रहा था। NYT के मुताबिक तब वहां एक तिहाई जाली नोट प्रचलन में थे। गृहयुद्ध में घिरे अब्राहम लिंकन किसी भी तरह से इससे निजात पाना चाहते थे।
इस पर लगाम लगाने के लिए लिंकन ने एक विशेष एजेंसी का गठन करने का आदेश दिया, जिसे सीक्रेट सर्विस नाम दिया गया। 1865 में इसकी स्थापना हुई। अपने गठन के 36 सालों तक ये एजेंसी सिर्फ वित्त मंत्रालय से जुड़ी जालसाजी रोकने के काम में लगी रही थी, लेकिन एक घटना के बाद इसकी जिम्मेदारी और बढ़ा दी गई।
बात 6 सितंबर 1901 की है, राष्ट्रपति मैककिन्ले को बफेलो में एक इवेंट में भाग लेना था। उनके सचिव को अंदेशा हो गया था कि वहां उनकी हत्या हो सकती है, इसलिए उन्होंने उस इवेंट को दो बार कैंसिल करा दिया, मगर दोनों बार राष्ट्रपति मैककिन्ले ने इसे बहाल करवा दिया। मैककिन्ले इवेंट में शामिल हुए।
इवेंट में मैककिन्ले लोगों से हाथ मिला रहे थे, तभी लियोन जोलगोज नाम का शख्स उनके करीब आया और उन पर दो गोलियां दाग दीं। एक गोली उनके शरीर को छूकर निकल गई। दूसरी गोली उनके पेट में जा घुसी। उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर वह गोली नहीं निकाल पाए जिससे पेट में घाव हो गया। 8 दिन बाद 14 सितम्बर को उनकी मौत हो गई।
अब्राहम लिंकन और जेम्स गार्फील्ड के बाद मैककिन्ले तीसरे राष्ट्रपति थे जिनकी हत्या कर दी गई। इस घटना से सीख लेते हुए अमेरिकी सरकार ने पहली बार यूएस सीक्रेट सर्विस को राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी।
सुरक्षा में अगर सीक्रेट सर्विस तैनात है तो जेल भी साथ जाएगी
स्टार राइट यूएसए की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में यूएस सीक्रेट सर्विस में 6500 से ज्यादा एजेंट्स हैं। मौजूदा समय में सीक्रेट सर्विस का काम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और उनके परिवार के लोगों की सुरक्षा करना है। इसके साथ ही सीक्रेट सर्विस राष्ट्रपति पद के प्रमुख उम्मीदवार, अमेरिका पहुंचने वाले दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष की सुरक्षा में तैनात होती है।
सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स जिस शख्स (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या पूर्व राष्ट्रपति) की सुरक्षा में तैनात होते हैं, उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ते। चाहे वे कोई गेम खेल रहे हों या फिर किसी अस्पताल में इलाज करा रहे हों, यहां तक कि अगर बाथरूम में हों तो वहां भी सीक्रेट सर्विस एजेंट्स उनके पास मौजूद होते हैं। अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यदि जेल भी जाते हैं तो सीक्रेट सर्विस एजेंट वहां भी मौजूद रहते हैं।
जब शराब पीने की वजह से घर भेजे गए सीक्रेट एजेंट्स
अमेरिकी सीक्रेट सर्विस एजेंट्स का फेल होना कोई अनोखी बात नहीं है। साल 1963 में एक अहम इवेंट से पहले कुछ एजेंट्स ने इतना नशा कर लिया था कि वे मुश्किल से चल पा रहे थे। 2012 में बराक ओबामा कोलंबिया दौरे पर थे। तब उनके सीक्रेट सर्विस के 11 मेंबर्स को शराब पीने और सेक्स वर्कर्स के साथ घूमने के कारण घर भेज दिया गया था।
कई बार राष्ट्रपतियों पर भी अपनी सुरक्षा को ताक पर रख सीक्रेट सर्विस को चकमा देने के आरोप लगे हैं। ‘द राइज एंड फॉल ऑफ द सीक्रेट सर्विस’ किताब में कैरल लिओनिंग लिखती हैं कि जॉन एफ केनेडी अवैध संबंधों के चलते सीक्रेट सर्विस से अपना शेड्यूल छिपाते थे। बिल क्लिंटन ने भी कई बार ऐसा किया था।
ट्रम्प की सिक्योरिटी में कहां मात खाई
रैली में मौजूद एक चश्मदीद ने BBC को बताया कि वह रैली के बाहर था और उसे सिर्फ ट्रम्प की आवाज सुनाई दे रही थी। उसी समय उसने एक इमारत की छत पर एक व्यक्ति को देखा था। यह व्यक्ति इमारत की छत पर रेंग रहा था। उसके पास एक राइफल थी, जो साफ नजर आ रही थी। कई लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को भी दी थी।
इसके बावजूद सीक्रेट सर्विस और पुलिस ने कुछ नहीं किया। न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट में 2 दर्जन से भी अधिक फोटो और तस्वीरों में दिखाया गया है कि गोली चलाने वाला ट्रम्प के बेहद नजदीक आ गया था। जब उसने ट्रम्प पर हमला किया तो दोनों के बीच दूरी सिर्फ 400 फीट रह गई थी। निशाना लगाने के लिए ये बहुत मामूली दूरी मानी जाती है।
एक अच्छा निशानेबाज इतनी दूरी से किसी भी रुके इंसान को बड़ी आसानी से मार सकता है। मसलन अमेरिकी सेना में जब नए सैनिकों की भर्ती होती है तो उसे 400 मीटर दूर से ही M16 असॉल्ट राइफल से मानव आकार के पुतले पर निशाना लगाना होता है। ऐसे में इस बात की भी जांच चल रही है कि कोई हमलावर पूर्व राष्ट्रपति के इतने नजदीक कैसे पहुंच गया।
कैसे काम करती है सीक्रेट सर्विस…
NYT की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर राष्ट्रपति किसी दूसरे देश का दौरा करने जाते हैं तो उससे कम से कम 3 महीने पहले ही सीक्रेट सर्विस के एजेंट वहां पहुंच जाते हैं। इसके बाद वे वहां की लोकल पुलिस के साथ मिलकर सिक्योरिटी की तैयारी शुरू कर देते हैं।
राष्ट्रपति के आने से पहले ही वे किसी भी तरह की इमरजेंसी में या फिर संभावित हमले से निपटने के लिए ट्रॉमा सेंटर से लेकर सेफ रूट लोकेशन तक तय करते हैं। यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट लोकल पुलिस के साथ मिलकर खतरे की भी पहचान करते हैं।
जिन लोगों से भी राष्ट्रपति को खतरा हो सकता है, ऐसे लोगों की पहचान की जाती है और फिर उन पर नजर रखी जाती है। राष्ट्रपति के दौरे से कुछ दिन पहले से स्नीफर डॉग्स को लाया जाता है। इनकी मदद से राष्ट्रपति के रूट की जांच की जाती है।
राष्ट्रपति के उत्तराधिकारियों की भी हिफाजत करती है सीक्रेट सर्विस
यूएसए टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में राष्ट्रपति की मौत के बाद अगर उपराष्ट्रपति की भी मौत हो जाती है तो सक्सेशन लाइन के हिसाब से किसी कैबिनेट सदस्य को नया राष्ट्रपति चुना जाता है।
इस सक्सेशन लाइन के हिसाब से राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद स्पीकर ऑफ द हाउस का नंबर आता है। इसके बाद सीनेट के अध्यक्ष और सचिव रहते हैं। फिलहाल सरकार में कुल 18 लोग सक्शेसन लाइन (उत्तराधिकारी पद) के दावेदार हैं।
नियम के मुताबिक ये कैबिनेट सदस्य कभी भी एक साथ इकठ्ठा नहीं होते हैं। जब भी कभी ऐसी मीटिंग की जरूरत होती है तो एक न एक कैबिनेट सदस्य को किसी अज्ञात जगह पर छिपा दिया जाता है। ये अज्ञात जगह कौन सी होगी ये भी सीक्रेट सर्विस एजेंसी के अधिकारी तय करते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हमले की स्थिति में राष्ट्रपति पद का एक दावेदार बचा रह सके।
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