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सेहतनामा- कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से एक्ट्रेस को दिखना बंद हुआ:आंखें हैं बेहद नाजुक अंग, जानिए किन लापरवाहियों से जा सकती है नजर

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सेहतनामा- कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से एक्ट्रेस को दिखना बंद हुआ:आंखें हैं बेहद नाजुक अंग, जानिए किन लापरवाहियों से जा सकती है नजर

पॉपुलर टीवी एक्ट्रेस जैस्मिन भसीन इन दिनों अपनी आंखों के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा में हैं। उनकी आंखों का कॉर्निया डैमेज हो गया है।

17 जुलाई को वह दिल्ली में एक इवेंट में गई थीं। उन्होंने वहां आंखों में कॉन्टैक्ट लेंस लगाया हुआ था। लेंस लगाने के कुछ देर बाद उनकी आंखों में दर्द होने लगा। दर्द बढ़ता जा रहा था, लेकिन कमिटमेंट के चलते उन्हें उसी स्थिति में इवेंट में हिस्सा लेना पड़ा। इससे कंडीशन और ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें दिखना ही बंद हो गया। इवेंट के तुरंत बाद वह आई स्पेशलिस्ट के पास गईं। वहां जांच में उन्हें पता चला कि लेंस लगाने के कारण उनकी आंखों का कॉर्निया डैमेज हो गया है।

हमारी आंख के कई हिस्से होते हैं। उसमें सबसे ऊपर के हिस्से को कॉर्निया कहते हैं। यह पारदर्शी हिस्सा आंख की आइरिस और पुतली के ऊपर कवर लेयर की तरह ढका होता है। हमारी आंखें बेहद कोमल और नाजुक ऑर्गन हैं। इनमें थोड़ी सी खरोंच, धूल या इन्फेक्शन से बड़ा जोखिम हो सकता है।

जब जैस्मिन भसीन ने कॉन्टैक्ट लेंस लगाया तो संभव है कि इससे कॉर्निया में किसी तरह की खरोंच या परेशानी हुई हो और यह डैमेज का कारण बना हो।

आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे कॉर्निया डैमेज की। साथ ही समझेंगे कि-

  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से कॉर्निया को क्या नुकसान होता है?
  • कॉर्निया की सुरक्षा के लिए क्या सावधानियां बरतें?
  • धूल, रेत, केमिकल या जानवर के पंजे से कितना जोखिम है?
  • कैसे जानेंगे कि ‘आई इंजरी’ हुई है। इसके क्या लक्षण होते हैं?

आंखों में रौशनी के प्रवेश की खिड़की है कॉर्निया

आंख में सबसे ऊपर टिश्यूज की पारदर्शी परत को कॉर्निया कहते हैं। यह आंखों में रौशनी के प्रवेश के लिए एक खिड़की की तरह है। हमारे आंसू कॉर्निया को बैक्टीरिया, वायरस और फंगई से बचाते हैं। यह आंख का बेहद कोमल और नाजुक हिस्सा है। किसी सामान्य संक्रमण, मामूली चोट या बहुत लंबे समय तक कॉन्टैक्ट लेंस पहनने के कारण इसमें डैमेज हो सकता है।

सबसे पहले कॉन्टैक्ट लेंस से होने वाले कॉर्निया डैमेज की बात करते हैं।

लेंस के कारण सांस नहीं ले पाता कॉर्निया

कॉर्निया हमारे शरीर का एकमात्र ऐसा हिस्सा है, जिसे खून की सप्लाई नहीं मिलती है। सभी अंगों तक खून ऑक्सीजन की सप्लाई करता है। जबकि कॉर्निया खुली हवा से सीधे ऑक्सीजन लेता है। जब हम लेंस का प्रयोग करते हैं तो कॉर्निया को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है और यह डैमेज का बड़ा कारण बनता है। अब कई ब्रीदेबल लेंस भी बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन ये भी ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई में बाधा बनते हैं। इसलिए लगातार लंबे समय तक लेंस का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

हाइजीन मेंटेन नहीं करने से होता है इन्फेक्शन

अगर लेंस साफ नहीं किए गए हैं या इन्हें बिना हाथ साफ किए इस्तेमाल किया गया है तो इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है। असल में हमारे आंसू कॉर्निया को किसी तरह के बैक्टीरिया या माइक्रोब्स के हमले से बचाते हैं। अगर हम लेंस पहनते हैं तो इनके साथ बैक्टीरिया जा सकते हैं, लेकिन लेंस के कारण आंसू नहीं निकल पाते हैं। मौका देखकर माइक्रोब्स हमला कर देते हैं, जो कॉर्निया डैमेज का कारण बनते हैं।

ये हुई लेंस से होने वाले कॉर्निया डैमेज की बात। अब समझते हैं कि और किन कारणों से कॉर्निया डैमेज का जोखिम हो सकता है। आइए ग्राफिक में देखते हैं।

ग्राफिक में दिए पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं

आंखों में कोई केमिकल जाने से

अगर कोई क्लीनिंग प्रोडक्ट, गार्डेन केमिकल या इंडस्ट्रियल केमिकल आंखों में चला जाए तो केमिकल बर्न हो सकता है। इसका मतलब है कि आंखें जल सकती हैं। एरोसोल और धुएं से भी जलन हो सकती है। अगर ये केमिकल एसिडिक हैं तो प्राथमिक उपचार से मदद मिल सकती है। जबकि इनकी प्रकृति बेसिक यानी क्षारीय होने पर आंखों में परमानेंट डैमेज का जोखिम होता है। इससे नजर जा सकती है। ऐसी किसी भी स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

आंखों में कोई कीड़ा या तिनका जाने पर

कई बार आंख में कोई कीड़ा या बहुत छोटा तिनका जाने से भी आंखों को बहुत नुकसान हो सकता है। इससे नजर भी जा सकती है। बाइक चलाते समय आंखों में कोई कीड़ा, तिनका या रेत जाना और भी खतरनाक हो सकता है क्योंकि तीव्र गति से कॉर्निया पर चोट के कारण अल्सर होने का खतरा होता है। कांच या धातु के टुकड़े तो और भी गंभीर क्षति पहुंचा सकते हैं। अगर आंख में कुछ फंस गया है तो बेहतर है कि उसे रब किए बिना उसी स्थिति में छोड़ दें और तुरंत आई स्पेशलिस्ट के पास जाएं।

चोट से आंख काली पड़ने पर

आमतौर पर आंख तब काली पड़ती है, जब आंख में कोई गंभीर चोट लगी हो। स्किन के नीचे ब्लीडिंग के कारण आंख का रंग काला पड़ता है। संभव है कि इस चोट के कारण आंख के अंदरूनी हिस्से को भी नुकसान पहुंचा हो या अंदर ब्लड वेसल्स डैमेज हुई हों। इसलिए अगर आंख काली पड़ गई है तो आई स्पेशलिस्ट को दिखाना जरूरी है।

स्विमिंग के समय आंखों में पानी जाने से

स्विमिंग पूल के पानी को साफ बनाए रखने के लिए इसमें कुछ केमिकल मिलाए जाते हैं। इसके अलावा लोगों की स्किन के सीधे संपर्क में आने से पानी में माइक्रोब्स की संख्या बढ़ जाती है। अगर यह पानी आंखों में जाता है तो आई बर्न और इन्फेक्शन का जोखिम पैदा कर सकता है। इसलिए बेहतर है कि स्विमिंग गॉगल्स पहनकर ही पूल में उतरें।

सूरज की तेज रौशनी के कारण

तेज रौशनी के सीधे कॉन्टैक्ट में आने से अल्ट्रा वायलेट किरणों के कारण सनबर्न हो सकता है। चूंकि कॉर्निया हमारी आंखों का बेहद कोमल भाग है तो इसमें अधिक डैमेज का जोखिम होता है। इसे फोटो केराटाइटिस कहते हैं। सूरज की तेज रौशनी में जाने से पहले धूप वाला चश्मा पहनना चाहिए।

किन स्थितियों में डॉक्टर के पास जाना चाहिए

आंखों की थोड़ी सी परेशानी भी भारी पड़ सकती है। कई बार हम जिसे सामान्य जलन या लालिमा मान रहे होते हैं, वह आंखों में अल्सर या नजर जाने से पहले का संकेत हो सकता है। इसलिए आई इंजरी के किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आई इंजरी के कुछ संकेत होते हैं, आइए ग्राफिक में देखते हैं।

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