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Tarang Shakti: वायुसेना के सबसे बड़े अभ्यास में आएगा अमेरिका का ये घातक विमान, ‘मौत का क्रॉस’ नाम से है मशहूर

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Tarang Shakti: वायुसेना के सबसे बड़े अभ्यास में आएगा अमेरिका का ये घातक विमान, ‘मौत का क्रॉस’ नाम से है मशहूर

एक्सरसाइज तरंग शक्ति का पहला फेज सुलूर (तमिलनाडु) में आयोजित होगा, जो 6 अगस्त से 14 अगस्त तक चलेगा। पहले फेज में फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और यूके की वायुसेनाएं अपने एयरक्राफ्ट के साथ शामिल हो रही हैं। पहले चरण में 32 देशों के जहाज हिस्सा लेंगे, जिनमें फाइटर एयरक्राफ्ट और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी होंगे। 

भारतीय वायुसेना की पहली मल्टीनेशनल एय़र एक्सरसाइज तरंग शक्ति इस साल अगस्त-सितंबर में आयोजित की जाएगी। इस सबसे बड़ी एयर एक्सरसाइज में अमेरिका, यूके, स्पेन, जर्मनी, फ्रांस सहित 10 देशों की वायु सेनाएं और 18 देश पर्यवेक्षक के तौर पर हिस्सा लेंगे। वायुसेना के सीनियर अधिकारियों के मुताबिक इस अभ्यास में भारत समेत लगभग 30 देशों की भागीदारी होगी और भारतीय वायुसेना समेत बाकी देशों के लगभग 150 विमान शामिल होंगे। खास बात यह है कि अमेरिका इस एक्सरसाइज में एफ-16 और ए-10 वॉर्थोग जैसे फाइटर जेट हिस्सा ले रहे हैं। ऐसा पहली बार होगा जब अमेरिका भारत में पहली बार ए-10 वॉर्थोग का किसी एक्सरसाइज का हिस्सा बना रहा है। 


रूस और इस्राइल समेत 51 देशों को किया था इनवाइट
वायुसेना से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय वायुसेना 6 अगस्त से 14 सितंबर तक अपना पहला अंतरराष्ट्रीय हवाई अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ आयोजित करने जा रहा है। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण फेयरचाइल्ड रिपब्लिक ए-10 थंडरबोल्ट II होगा, जिसे प्यार से ‘वॉर्थोग’ के नाम से जाना जाता है। इस अभ्यास में अमेरिका अपना एफ-16 फाइटर एयरक्राफ्ट भी भेजेगा। एयरफोर्स के वाइस चीफ एयर मार्शल एपी सिंह ने बताया कि तरंग शक्ति सबसे बड़ी इंटरनेशनल एयर एक्सरसाइज होगी। भारत ने इस अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए रूस और इस्राइल सहित कुल 51 देशों को निमंत्रण भेजा था। लेकिन दोनों देशों ने अपने मौजूदा हालात के चलते इस मल्टीनेशनल एक्सरसाइज का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया। 

दो चरणों में होगा तरंग शक्ति का आयोजन
वाइस चीफ एयर मार्शल एपी सिंह के मुताबिक एक्सरसाइज तरंग शक्ति का पहला फेज सुलूर (तमिलनाडु) में आयोजित होगा, जो 6 अगस्त से 14 अगस्त तक चलेगा। पहले फेज में फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और यूके की वायुसेनाएं अपने एयरक्राफ्ट के साथ शामिल हो रही हैं। पहले चरण में 32 देशों के जहाज हिस्सा लेंगे, जिनमें फाइटर एयरक्राफ्ट और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी होंगे। 

वहीं, दूसरा फेज 29 अगस्त से 14 सितंबर तक जोधपुर में होगा, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ग्रीस, सिंगापुर, यूएई और अमेरिका की एयरफोर्स अपने एयर एसेस्ट्स के साथ शामिल होंगी। इस फेज में 27 लड़ाकू विमान, दो ईंधन भरने वाले विमान, दो हवाई चेतावनी विमान (AWACS) और चार सी-130 विमान शामिल होंगे। सुलूर और जोधपुर बेस पर तैनात भारतीय वायुसेना के अग्निवीर (वायुवीर) भी इस अभ्यास के दौरान कुछ जमीनी भूमिकाओं में भागीदारी करेंगे। वहीं, भारतीय वायुसेना के  प्रत्येक चरण में 40 से अधिक जहाज शामिल होंगे, जिसमें नौसेना के मिग-29के जेट भी पहले चरण में शामिल होंगे।

भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों में राफेल, सुखोई-30 एमकेआई, मिराज 2000, जगुआर और मिग-29 शामिल हैं। वाइस चीफ एयर मार्शल एपी सिंह ने बताया कि दूसरे देशों के लड़ाकू विमानों में एफ-18, एफ-16, राफेल और यूरोफाइटर टाइफून शामिल हैं। एयर मार्शल सिंह के मुताबिक इस एक्सरसाइज का मकसद दुनिया को यह दिखाना है कि कैसे भारत में डिफेंस इकोसिस्टम लगातार बढ़ रहा है, हम दूसरे देशों को भारत की स्वदेशी इंडस्ट्री की ताकत भी दिखाएंगे। इसके लिए एग्जिबिशन भी आयोजित होंगाी, जिसमें डीआरडीओ, भारत की एविएशन इंडस्ट्री, पीएसयू स्वदेशी क्षमता दिखाएंगे।

बुलेटप्रूफ व्हीकल्स को भी भेद सकती है इसकी गन
वहीं अमेरिकी एयरफोर्स का फेयरचाइल्ड रिपब्लिक ए-10 थंडरबोल्ट II ‘वॉर्थोग’ इस एयर एक्सरसाइज का प्रमुख आकर्षण होगा। खाड़ी युद्ध में अपनी क्षमता का लोहा मनवा चुका नॉन-स्टील्थ ए-10 थंडरबोल्ट कम ऊंचाई पर ऑपरेशन और जबरदस्त रफ्तार के लिए डिजाइन किया गया था। यह एयरक्राफ्ट अपने सटीक हमलों के लिए जाना जाता है। आमतौर पर अमेरिकी वायुसेना ए-10 का इस्तेमाल छोटे नौसैनिक जहाजों पर हमला करने के लिए करती है। युद्ध के दौरान लंबे समय तक उड़ते रहने, अच्छी रेंज, बेहतरीन दृश्यता, कम और धीमी गति से चलने की क्षमता और खराब मौसम में भी इसके काम करने की क्षमता इसे खास बनाती है। ए-10 वॉर्थोग अपनी आक्रामक क्षमता और जबरदस्त फायरपावर के लिए जाना जाता है। इसमें जनरल इलेक्ट्रिक की सात बैरल वाली GAU-8 एवेंजर 30 मिमी गैटलिंग गन लगी है, जो बुलेटप्रूफ व्हीकल्स को भी भेद सकती है। यह गन प्रति सेकंड एक फुट लंबी 30 मिमी की 70 राउंड या प्रति मिनट 3,900 राउंड गोलियां फायर कर सकती है। इसके बारे में कहा जाता है कि जब ए-10 किसी चीज पर गोली चलाता है, तो वह चीज नष्ट हो जाती है, चाहे वह टैंक हो या बख्तरबंद वाहन। 


इराकी टैंकों पर मचाया था कहर
प्रथम खाड़ी युद्ध में ए-10 विमानों ने हिस्सा लिया था। ए-10 ने सद्दाम हुसैन के 900 से टैंकों और 2,000 दूसरे सैन्य वाहनों और 1,200 तोपों को नष्ट कर दिया। वॉर्थोग्स ने GAU-8 से दो इराकी हेलीकॉप्टरों को मार गिराया। खाड़ी युद्ध के दूसरे दिन, वॉर्थोग्स की एक जोड़ी ने तीन उड़ानों के दौरान 23 टैंकों को नष्ट कर दिया। इराकी सैनिकों ने ए-10 को ‘मौत का क्रॉस’ नाम दिया था। इसके बाद कहा जाने लगा कि ए-10 अब तक का सबसे ताकतवर कवच-नाशक साबित हुआ है। 

मिले ‘वॉर्थोग’, ‘फ्लाइंग गन’, ‘मौत का क्रॉस’ और ‘टैंक बस्टर’ जैसे नाम
ए-10 वॉर्थोग को 1989 में अपग्रेड किया गया था, लेकिन इसमें ऑटोपायलट, इंस्ट्रूमेंट पैनल क्लॉक्स और रडार जैसे फीचरों की कमी पायलटों को खलती थी। यह केवल 365 नॉट की रफ्तार ही पकड़ सकता था। बावजूद इसके ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म में अपनी सफलता के बाद ए-10 को ‘वॉर्थोग’, ‘फ्लाइंग गन’ और ‘टैंक बस्टर’ जैसे कई नामों से नवाजा गया। बाद में इसे कोसोवो में नाटो ऑपरेशंस, अफगानिस्तान में ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम और ऑपरेशन इराकी फ्रीडम में भी इस्तेमाल किया गया। इसे उड़ाने वाले पायलट्स का कहना है कि वॉर्थोग उड़ाने में आसान है और इसमें ज्यादा लोइटरिंग कैपेबिलिटी है, जो एफ-35 जैसे एडवांस फाइटर जेट्स में नहीं है। 

रिटायर करने की सोच रही है अमेरिकी एयरफोर्स 
हालांकि अमेरिकी एयरफोर्स इसे रिटायर करने के बारे में सोच रही है, और इसे एफ-35 फाइटर जेट्स से रिप्लेस करना चाहती है। अमेरिकी कांग्रेस ने पिछले साल 2023 में 21 ए-10 विमानों को रिटायर करने की मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद इसकी इन्वेंट्री 281 से घटकर 260 रह गई। ए-10 को रिटायर करने के पीछे अमेरिका की सोच है कि इराक और अफगानिस्तान में क्लोज एय़र सपोर्ट रोल के बावजूद, कम ऊंचाई और धीमी गति से उड़ाने की वजह से यह चीन जैसे देशों के फाइटर जेट्स के सामने टिक नहीं पाएगा। वॉर्थोग ने पहली उड़ान प्रथम शीत युद्ध के दौरान 10 मई, 1972 में भरी थी, जब वियतनाम युद्ध अंतिम दौर में था। वहीं, 1980 के दशक में, जब शीत युद्ध चरम पर था, अमेरिका ने पश्चिम जर्मनी में ए-10 को तैनात करने का फैसला किया। तब भविष्यवाणी की गई थी कि अगर ए-10 जंग के मैदान में उतरते हैं, तो हर 100 उड़ानों में सात फीसदी ए-10 वापस नहीं आएंगे। यानी हर 24 घंटे में कम से कम 10 ए-10 को मार गिराया जाएगा। लेकिन इसका उल्टा हुआ, युद्ध के दौरान केवल सात वॉर्थोग को मार गिराया गया या क्रैश हो गए।

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