
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राज्य महासचिव डॉ. सीमा जैन ने बीकानेर पुलिस द्वारा अपराधियों को महिलाओं के कपड़े पहनाकर उनकी सार्वजनिक परेड निकालने की घटना पर कड़ा ऐतराज जताया है। समिति ने इसे पुलिस की सामंती और महिला-विरोधी मानसिकता का परिचायक बताया है।
पुलिस का यह कृत्य यह संदेश देता है कि “महिला होना” या “महिलाओं के वस्त्र पहनना” अपमान या शर्म का प्रतीक है। अपराधियों को सजा देने के नाम पर महिलाओं के पहनावे को उपहास का पात्र बनाना कतई स्वीकार्य नहीं है। कानून अपराधियों को कड़ी सजा देने का प्रावधान करता है, लेकिन किसी भी संवैधानिक संस्था (पुलिस) को यह अधिकार नहीं है कि वह सजा के नाम पर किसी लिंग (Gender) की गरिमा को ठेस पहुँचाए।
पुलिस का काम पेशेवर तरीके से जांच करना और न्यायपालिका के माध्यम से सजा दिलाना है। इस तरह के ‘तमाशे’ समाज में पितृसत्तात्मक सोच को और मजबूत करते हैं कि महिलाओं के कपड़े पहनना “मर्दानगी” के खिलाफ या शर्मिंदगी की बात है।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति राज्य सरकार और पुलिस महानिदेशक (DGP) से मांग करती है कि इस घटना के जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
पुलिस विभाग के लिए ‘जेंडर संवेदीकरण’ कार्यशालाएं आयोजित की जाएं।अपराधियों को सजा दिलाने के लिए कानून-सम्मत और गरिमापूर्ण तरीकों का इस्तेमाल किया जाए, न कि महिलाओं के अस्तित्व का अपमान करने वाले हथकंडों का।












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