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चर्चित लेखक अहमद हारून कादरी की नवीनतम कृति “फनकार” का भव्य विमोचन समारोह….

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बीकानेर। साहित्य और संस्कृति की धरती बीकानेर ने एक बार फिर अपनी समृद्ध परंपरा को जीवंत किया, जब शहर में चर्चित लेखक अहमद हारून कादरी की नवीनतम कृति “फनकार” का भव्य विमोचन समारोह सोशल प्रोग्रेसिव सोसाइटी बीकानेर के तत्वावधान में महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम नागरी भंडार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सोशल प्रोग्रेसिव सोसाइटी के अध्यक्ष नदीम अहमद नदीम के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने उत्साह और आत्मीयता से सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि साहित्य केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह मनुष्य की संवेदनाओं और जीवन के अनुभवों का दर्पण है। उन्होंने “फनकार” को समकालीन समाज की धड़कनों को स्वर देने वाली कृति बताया और कहा कि ऐसी पुस्तकें समाज की चेतना को जीवित रखने का कार्य करती हैं। कृति पर पत्रवाचन करते हुए युवा साहित्यकार इमरोज़ नदीम ने साहित्य प्रेमियों, बुद्धिजीवियों , लेखकों की उपस्थिति में फनकार की रचनात्मकता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए रेखांकित किया कि फनकार युवाओं को प्रेरित करने वाली वाली किताब है। इमरोज़ के स्वर और अभिव्यक्ति ने श्रोताओं को पुस्तक की आत्मा से जोड़ दिया। इमरोज़ नदीम द्वारा पत्र वाचन के दौरान उपस्थित जनसमूह ने गहरी रुचि और ध्यान के साथ “फनकार” के अंशों को सुना और लेखक की गहन संवेदनशीलता को महसूस किया। इमरोज़ नदीम की प्रभावी प्रस्तुति ने कार्यक्रम को ऊँचाई प्रदान की।
लेखक अहमद हारून कादरी ने किताब के चुनिंदा अंश प्रस्तुत किए। उनके स्वर और लेखन की शक्ति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि “फनकार” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि समाज के उन अनकहे किस्सों, अनुभवों और संघर्षों का संग्रह है जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी किताब का साहित्य संसार में स्वागत होगा ।

संस्था की और से अहमद हारून कादरी का सम्मान किया गया जिसमें सम्मान पत्र का वाचन करते हुए अरमान नदीम ने लेखक अहमद हारून कादरी के साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए उन्हें भारतीय साहित्य परंपरा में एक सशक्त हस्ताक्षर बताया। सम्मान पत्र में उल्लेख किया गया कि कादरी की लेखनी समाज की वास्तविकताओं, मानवता के मूल्यों और जीवन के गहन दर्शन को स्वर प्रदान करती है। संस्था की और से शॉल, श्रीफल, अंगवस्त्र, साहित्य और सम्मान पत्र भेंट किया गया । अहमद हारून कादरी का परिचय संजय पुरोहित ने प्रस्तुत किया ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुप्रसिद्ध साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है और जब भी कोई सशक्त कृति सामने आती है, वह पाठकों को न केवल विचारों में समृद्ध करती है, बल्कि जीवन की दिशा भी दिखाती है। उन्होंने “फनकार” को एक ऐसी ही रचना बताते हुए कहा कि यह कृति आने वाले समय में साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ेगी।

मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त करते शिक्षाविद हाजी अब्दुल रशीद रशीद कादरी ने कहा कि साहित्य केवल विचारों की अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि यह समाज की आत्मा को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने “फनकार” को एक ऐसी कृति बताया, जो मनुष्य की संवेदनाओं को गहराई से छूती है और पाठक को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती है।
विशिष्ट अतिथि शायर अमित गोस्वामी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के समय में जब साहित्यिक लेखन धीरे-धीरे सीमित दायरे में सिमट रहा है, तब अहमद हारून कादरी जैसे लेखक नई ऊर्जा और दिशा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने इस पुस्तक को युवाओं के लिए विशेष रूप से प्रेरणादायक बताया।
शायर अब्दुल जब्बार ज़ज्बी ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए अहमद हारून कादरी के अदबी सफ़र को शानदार बताया और कहा कि शब्द के माध्यम से रचनात्मक परिवर्तन का सपना जरूर पूरा होगा। सोशल प्रोग्रेसिव सोसाइटी बीकानेर द्वारा अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया ।
कार्यक्रम में एम रफीक कादरी , शाहिद, नियाज़ अहमद, डॉक्टर सीमा भाटी , बुधाराम,पूर्णमल, शबनम हारून, तस्नीम बानो,गोदारा,अजय सहगल, योगेन्द्र पुरोहित, प्रमोद राठौड़, राजाराम स्वर्णकार, पूनम चौधरी, महेश उपाध्याय, विप्लव व्यास, विजय शर्मा, डॉक्टर मोहम्मद फारूक, संजय पुरोहित,असित गोस्वामी,इरशाद अज़ीज़, संजय जनागल, जवाहर जोशी, इम्तियाज अहमद , मनीष गहलोत,हाजी रफीक अहमद, आत्माराम भाटी, कमल किशोर पारीक, गुलाम मोहिउद्दीन माहिर, एडवोकेट रईस अहमद कादरी, इसरार हसन कादरी, मधुरिमा सिंह , संगीता सेठी, बुलाकी शर्मा, अब्दुल रऊफ राठौड़, असद अली असद ,डॉक्टर जिया उल हसन कादरी, ज़ाकिर अदीब, अल्ताफ हुसैन हाली, शमशाद अली, आज़िम हुसैन, मनीष कुमार जोशी, नवाब अली , ऐनुल हसन, डॉक्टर सुलक्षणा दत्ता, जैनब इमरान, शाहाना कादरी, फुरकान की गरिमामय सहभागिता रही ।
कार्यक्रम के अंत में ख्वाजा साहब कादरी ने सभी अतिथियों, साहित्यप्रेमियों और आयोजकों का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बीकानेर की यह भूमि सदैव साहित्य और संस्कृति की ध्वजवाहक रही है, और आज का यह विमोचन समारोह इस परंपरा की निरंतरता का प्रतीक है।
कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध साहित्यकार संजय पुरोहित ने किया ।

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