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सार्वजनिक स्थलों एवं सड़कों पर विचरण कर रहे निराश्रित गोवंश को कांजी हाउस/गौशालाओं में स्थानांतरित किए जाने के संबंध में मुख्य सचिव द्वारा समस्त जिला कलेक्टर को किया गया निर्देशित

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जयपुर। …सार्वजनिक स्थलों एवं सड़कों पर विचरण कर रहे निराश्रित गोवंश को कांजी हाउस/गौशालाओं में स्थानांतरित किए जाने के संबंध में मुख्य सचिव द्वारा समस्त जिला कलेक्टर को किया गया निर्देशित

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड मत्स्य पालन पशु पालन डेयरी मंत्रालय भारत सरकार के मानद प्रतिनिधि श्रेयांस बैद द्वारा हालिया पत्र प्रेषित में निराश्रित गौ वंश एवं सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर चीफ स्क्रेटरी को प्रेषित पत्र में प्रदेश की स्थिति अवगत करवाए जाने पर राजस्थान सरकार के पशुपालन, गोपालन एवं मत्स्य विभाग विभाग द्वारा जिला कलक्टर (समस्त) को राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांशु पंत द्वारा सार्वजनिक स्थलों एवं सड़कों पर विचरण कर रहे निराश्रित गोवंश को कांजी हाउस / गौशालाओं आदि में स्थानांतरित किए जाने के संबंध में निर्देश प्रदान करवाए गए है ।

चीफ स्क्रेटरी द्वारा समस्त जिला कलेक्टर को प्रेषित निर्देश में राज्य के विभिन्न नगरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों, राष्ट्रीय एवं राज्यीय राजमार्गों, बाजारों, विद्यालय परिसरों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर निराश्रित, गोवंश के खुले में विचरण करने से सड़क दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ती जा रही है आए दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिनमें जान-माल की हानि होती है यह न केवल मानवीय जीवन की सुरक्षा के लिए चुनौती है, बल्कि पशु कल्याण की दृष्टि से भी अत्यंत गंभीर विषय है।

उल्लेखनीय है कि गौसंरक्षण एवं संवर्धन निधि नियम के अंतर्गत जारी दिशा निर्देशानुसार राजकीय सहायता प्राप्त गौशालाओं द्वारा निराश्रित पशुधन को उसकी कुल क्षमता का कम से कम 10 प्रतिशत तक अनिवार्य रूप से स्वीकार करना होगा।

दुर्घटनाओं को रोकने एवं सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, राज्य सरकार द्वारा यह निर्देश प्रदान किए जाते है कि निराश्रित एवं खुले में विचरण करने वाले गोवंश को. यथाशीघ्र चिन्हित कर स्थानीय गौशालाओं, नंदीशालाओं, अस्थायी पशु आश्रय स्थलों अथवा पशु पुनर्वास केंद्रों में स्थानांतरित किया जाए।

इस कार्य हेतु निम्नलिखित विभागों एवं संस्थाओं की भूमिकाएं तय की गई है जिनका समन्वित क्रियान्वयन अपेक्षित किया गया है

1.स्वामित्व शासन (नगरीय निकाय) विभागः-

राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धारा 337 के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग कर गोवंश को कांजी हाउस / गौशालाओं में भिजवाने की कार्यवाही करें।
LSG विभाग द्वारा । पूर्व में जारी आदेश संख्या 13 दिनांक 02.01.2025 के निर्देशों की अनुपालना सुनिश्चित की जाए (प्रति संलग्न)। नगर निकायों को निर्देशित किया जाता है कि वें इस हेतु स्थानीय गौशालाओं से सामंजस्य रखें।

गौशालाओं एवं निजी स्वामित्व वाले गौवंश सड़कों/ सार्वजनिक स्थलों पर पाए जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएं एवं निर्धारित जुर्माना वसूला जाए।

नगरीय क्षेत्र को निराश्रित गौवंश मुक्त क्षेत्र (Stray Cattle Free Zone) बनाया जाए

यह अपेक्षित है कि कचरा निस्तारण व्यवस्था को सुदृढ़ करें ताकि निराश्रित गोवंश भोजन की अपेक्षा में इन स्थानों पर विचरण न करें।

2.अप्रकाशित राज विभागः

ग्राम पंचायतों द्वारा पंचायत राज अधिनियम, 1996 की धाराओं 115-131 के अनुसार कार्यवाही की जाए।

स्थानीय समितियां गठित कर गोवंश की निगरानी और नियोजन सुनिश्चित किया जाए।

  1. सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण –

राजमार्गों (Highways) के किनारों पर पशुओं के आवागमन को रोकने हेतु अवरोधक लगाये जाएं।

पशुओं के एकत्रण अथवा खुले में विचरण की संभावना वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर सड़कों / राजमार्गों पर चेतावनी बोर्ड लगाये जाएं।

गौवंशीय पशुओं को भिजवाने हेतु “कैटल कैचर वाहन (Cattle Catcher Vehicles) की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं।

राजमार्गों पर घायल पशुओं को भी आवश्यकतानुसार प्राथमिक उपचार के उपरांत निकटतम गौशाला में भिजवाया जाएं।

राजमार्गों पर नियमित रूप से पेट्रोलिंग की जाएं तथा खुले में विचरण कर रहे गौवंशीय पशुओं / निराश्रित गौवंश को निकटतम गौशाला में भिजवाया जाए, ताकि राजमार्गों पर पशुजन्य हादसों की संभावना को कम किया जा सके।

  1. नवीन गौ-आश्रय स्थल तथा नंदी गौशालाओं में निराश्रित गौवंशों को भिजवानाः-

गोपालन निदेशालय द्वारा 23 जिलों में 64 उपखण्ड क्षेत्रों में नवीन नंदी गौशालाएं स्थापित की गई है, जिसमें 200 निराश्रित नर-गौवंश रखे जा सकते है। इन निराश्रित नस्-गौवंश को नंदी गौशालाओं की कार्य शीलता के अनुरूप इनमें स्थानान्तरित किया जा सकता है।

शेष जिलों / ब्लॉक में भी नवीन नंदी गौशालाओं को खोले जाने के लिए स्थानीय प्रशासन विभाग द्वारा पशुपालन विभाग को अपेक्षित सहयोग प्रदान किया जावें।

इसी प्रकार ग्राम पंचायत स्तर पर गौ-आश्रय स्थल स्थापित करने का प्रावधान है।

स्थानीय प्रशासन विभाग व जिला प्रशासन से अपेक्षित है कि गौ-आश्रय स्थल खोले जाने के लिए पात्र संस्थाओं को इसके लिए प्रेरित करें, जिनका उपयोग निराश्रित गौवंश को रखने हेतु किया जा सके।

  1. पुलिस विभाग/यातायात विभागः-

खुले में विचरण कर रहे गौवंशीय पशुओं को गौशालाओं में भिजवाने के लिए स्थानीय निकाय विभाग / पंचायत राज्य संस्थाओं को अपेक्षित सहयोग एवं सुरक्षा दी जाएं।

  1. पशुपालन एवं गोपालन विभाग

राजकीय सहायता प्राप्त गौशालाओं द्वारा निराश्रित / लावारिस पशुधन को उसकी कुल क्षमता का कम से कम 10 प्रतिशत तक अनिवार्य रूप से स्वीकार करना होगा।

स्थानीय निकाय / पंचायती राज संस्था द्वारा निराश्रित / बेसहारा गौवंश को यदि क़िसी गौशाला द्वारा लेने से इन्कार किया जाता है, तो उस स्थिति में इसकी लिखित सूचना सबंधित सयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग कार्यालय को विवरण सहित उपलब्ध करवानी होगी।
जिसमें यह विवरण उपलब्ध करवाना होगा कि कौनसी गौशाला द्वारा कितने गौवंश को किस दिन किस व्यक्ति द्वारा लेने से इन्कार किया गया।
जिसके संबंध में, अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रस्ताव जिला स्तरीय गोपालन समिति में संबंधित जिला सयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग द्वारा रखा जायेगा।

यदि किसी गौशाला द्वारा निराश्रित / बेसहारा गौवंश को लेने से इन्कार किया जाता है. तो उस स्थिति में प्रथम बार मना करने पर एक माह का, द्वितीय बार मना करने पर तीन माह का तथा तृतीय बार मना करने पर उस गौशाला को आगामी एक वर्ष तक सहायता राशि से वंचित करने की कार्यवाही की जायेगी।

गौशाला में स्थानान्तरित निराश्रित गौवंश के भरण-पोषण हेतु राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर बड़े एवं छोटे गौवंश हेतु निर्धारित अवधि के लिए क्रमशः राशि रू. 50 तथा रू. 25, सहायता राशि के रूप में देय है।

रोगग्रस्त / दुर्घटनाग्रस्त गौवंश को तत्काल चिकित्सकीय सुविधा एवं समुचित दवाईयाँ/ फीड सप्लीमेंट उपलब्ध करवाया जाएं।

गौवंशीय पशुओं में नर संतति के उत्पादन में कमी हेतु सेक्स सोर्टेड़ सीमन (Sex Sorted Semen) का अधिकतम उपयोग किया जाएं।

जिला प्रशासन

निराश्रित गौवंश के खुले एवं राजमार्ग / सड़कों पर विचरण में अपेक्षित कमी हेतु विभिन्न हितधारक विभागों के कार्य / दायित्व चिन्हित किए गये है। इन विभागों में अन्तर विभागीय समन्वय हेतु मासिक बैठक आयोजित की जाएं।

साथ ही कैटल फ्री स्ट्रीट / कैटल फ्री जोन” स्थापित करने के लिए समन्वित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

गौशालाओं की अद्यतन सूची तैयार कर क्षमता अनुसार गौवंश को स्थानान्तरित कर गौशालाओं में आवासित करने की योजना बनाई जाए।

जिला कलेक्टर से अपेक्षा की गई है कि उपरोक्त दिशा-निर्देशों की कड़ाई से अनुपालना सुनिश्चित एवं सभी संबंधित विभागों के समन्वय से तत्काल कार्यवाही प्रारंभ करें, ताकि सड़कों को गोवंश मुक्त कर राज्य में सड़क सुरक्षा, यातायात प्रबंधन एवं पशु कल्यांण सुनिश्चित किया जा सके।

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