पीओपी फैक्ट्रियों के धुएं से घुट रहा दम:खारा का एक्यूआई 900, प्रदेश में सबसे ज्यादा, यहां पीओपी की 40 फैक्ट्रियां, बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक दमे से पीड़ित
16 साल की सुमित्रा श्वास की बीमारी से पीड़ित होने के कारण तीन महीने से स्कूल नहीं जा पा रही है। सुरेश पारीक की पत्नी संतोष और उनके तीन भतीजे भी दमा से परेशान हैं। ऐसे हालात खारा औद्योगिक क्षेत्र से सटे खारा गांव में हर घर के हैं। प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने जब वहां के एयर क्वालिटी इंडेक्स नापा को 900 आया, जो पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा है। गांव में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर जा पहुंचा है। इसका मुख्य कारण गांव से सटी 40 से अधिक पीओपी फैक्ट्रियाें से निकलने वाला धुआ बताया जा रहा है।
जब इस गांव में पहुंची तो हालात चौंकाने वाले नजर आए। गांव के ऊपर आसमान में धुएं की गर्द छाई हुई थी। ऐसा कोई घर, पेड़ या अन्य वस्तु नहीं थी, जिस पर गर्द ना जमी हो। यहां तक कि घरों में रखे अनाज पर भी धुएं की गर्द जमा थी। गजे सिंह सिसोदिया, महावीर सिंह, ओमाराम प्रजापत, पूरण सिंह, दूलाराम, चंद्र सिंह, मांगीलाल ने बताया कि गांव में चौबीस घंटे घुटन महसूस होती है। खुली हवा में सांस लेना दूभर हो गया है। शाम से लेकर सुबह 10 बजे तक आसमान में धुएं की गर्द छायी रहती है। फैक्ट्री से 10 मीटर दूर रहने वाले रामूराम के 70 वर्षीय पिता छोगाराम और पांचों बच्चे भी बीमार हैं। छैलू सिंह ने बताया कि उसकी बेटी सुमित्रा के दमे का इलाज चल रहा है। तीन महीने से स्कूल नहीं जा पा रही। उसे घर में ही रखना पड़ता है। बेटे को हर वक्त इनहेलर पर निर्भर रहना पड़ता है।
सरपंच भैरूसिंह राठौड़ ने बताया कि 1500 घरों के इस गांव की आबादी करीब 12 हजार है। हर घर में दो-तीन सदस्य श्वास की बीमारी से पीड़ित हैं। कुछ के शरीर पर लाल चकत्ते भी निकलने लगे हैं। प्रशासन को कई बार हालात बता चुके, लेकिन प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को बंद कराना तो दूर कोई संभालने तक नहीं आता। सरकारी स्कूल के चार सौ से अधिक बच्चे और स्टाफ भी बुरी तरह परेशान हैं।
एक्यूआई खतरे के निशान से ऊपर
खारा गांव में वायु प्रदूषण की जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने तीन अलग-अलग लोकेशन पर लोगों के घरों पर मशीन लगाई है। इससे 10 दिन तक वायु प्रदूषण चेक किया जाएगा। पिछले एक सप्ताह का एयर क्वालिटी इंडेक्स औसत 900 रिकॉर्ड किया गया है। यह मानक चौंकाने वाला है। मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी राजकुमार मीणा का कहना है कि यह मानक प्रदेश में सबसे ज्यादा और अविश्वसनीय है। गांव से सटी 40 पीओपी फैक्ट्रियों के कारण ये हालत है। यहां से दो-तीन किमी की दूरी पर एक्यूआई 200 से 300 से बीच है। गांव के हालात को देखते हुए सर्वे किया जा रहा है।
इसलिए फैल रहा वायु प्रदूषण
रीको औद्योगिक क्षेत्र में करीब 500 उद्योग हैं, जिनमें से 125 पीओपी की फैक्ट्रियां हैं। सालों पहले खारा गांव की सीमा में मिनरल जोन बनाया गया था। 125 में से 40 फैक्ट्रियों को उस जोन में भूखंड दिए गए थे। उस समय गांव की आबादी कम थी। अब आबादी मिनरल जोन के करीब आ गई है। दोनों के बीच केवल एक सड़क का ही फासला है। जब हवा गांव की तरफ होती है तो सांस लेना भी दूभर हो जाता है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी का कहना है कि सभी फैक्ट्रियां एक साथ चलती हैं। गांव में वायु प्रदूषण का मानक 900 एक्यूआई आना इसका सबसे बड़ा कारण है।
क्या है समाधान
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अनुसार खारा गांव से सटे मिनरल जोन को अन्यत्र शिफ्ट करना ही इस समस्या का समाधान है। दरअसल यह समस्या पिछले तीन सालों में ही पैदा हुई है। पिछले साल मई में संभागीय आयुक्त ने इस मुद्दे पर बैठक भी बुलाई थी। उस बैठक में 40 फैक्ट्रियों को अन्यत्र शिफ्ट करने पर चर्चा हुई थी, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पाया और मामले को दबा दिया गया।
अधिक प्रदूषण से होता है दमा
पीबीएम के श्वसन रोग विभाग के प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद ठकराल का कहना है कि दमा, सीओपीडी का प्रमुख कारण वायु प्रदूषण है। पीओपी की फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं श्वास संबंधी बीमारियों का कारण बन रहा है। वहीं, पीबीएम हॉस्पिटल के वरिष्ठ स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. आरडी मेहता का कहना है कि धुएं के कारण त्वचा संबंधी बीमारियां नहीं होती। इसका कारण कुछ और हो सकता है।
“मिनरल जोन रीको ने काटा था। उस वक्त उन्हें गांव की सीमा का ध्यान रखना चाहिए था। अब पॉल्यूशन विभाग की गाइड लाइन के तहत पीओपी वाले काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी सफाई की समस्या है। गाड़ियों का पॉल्यूशन काफी ज्यादा है। रीको को सड़कों की सफाई करानी चाहिए।”
-परविंद्र सिंह राठौड़, अध्यक्ष, खारा उद्योग संघ
“खारा गांव के पास पीओपी की 40 फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण फैल रहा है। उन्हें बंद कर दूसरी जगह शिफ्ट करना ही समस्या का समाधान है। हमारा सर्वे चल रहा है। अगले सप्ताह तक इसकी रिपोर्ट प्रशासन, रीको और सरकार को भेज दी जाएगी।”
-राजकुमार मीणा, क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल
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