CS उषा शर्मा को छह महीने का एक्सटेंशन:मौजूदा सरकार में नहीं बदलेगा ब्यूरोक्रेसी का मुखिया,अब नए साल में मिलेगा नया मुख्य सचिव
सीएस उषा शर्मा 30 जून को रिटायर्ड होने वाली थीं। उससे ठीक पहले 6 महीने का एक्सटेंशन दे दिया गया।
मुख्य सचिव उषा शर्मा को केंद्र सरकार ने छह महीने का एक्सटेंशन दे दिया है। उषा शर्मा को 31 दिसंबर तक का एक्सटेंशन मिला है। केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने उषा शर्मा के एक्सटेंशन को मंजूरी देने का लेटर राज्य सरकार के कार्मिक विभाग को भेज दिया है।
राज्य सरकार ने 16 जून को केंद्र सरकार के पास एक्सटेंशन का प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूर कर लिया गया। 28 जून को DOPT ने मंजूरी का लेटर भेजा है।
उषा शर्मा काे रिटायरमेंट से ठीक पहले एक्सटेंशन मिल गया। उषा शर्मा 1985 बैच की आईएएस हैं। उन्हें 31 जनवरी 2022 को मुख्य सचिव बनाया गया था। मुख्य सचिव बनने से पहले वह 2012 से लेकर मुख्य सचिव बनने तक लगातार सेंट्रल डेपुटेशन पर थीं।
केंद्र सरकार से एक्सटेंशन मिलने के बाद अब ऊषा शर्मा के सीएस रहते हुए ही विधानसभा चुनाव होंगे और फिर नई सरकार का गठन होगा। नई सरकार बनने तक वह इस पद पर रह सकेंगी। सीएस को एक्सटेंशन मिलने के साथ ही अब नए मुख्य सचिव के दावेदारों पर ब्रेक लग गया है।
उषा शर्मा 30 जून को रिटायर हो रही थीं। आमतौर पर केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने पर ही मुख्य सचिव को एक्सटेंशन मिलता है।
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद केंद्र सरकार से सीएस को एक्सटेंशन मिलने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। ऊषा शर्मा केंद्र सरकार में लंबे समय तक डेपुटेशन पर रही हैं, उनके एक्सटेंशन को उनके केंद्रीय संपर्क से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने उषा शर्मा के एक्सटेंशन को मंजूरी देने का लेटर सरकार को भेज दिया है।
अब नए साल में नया मुख्य सचिव मिलेगा
उषा शर्मा को एक्सटेंशन मिलने के बाद अब नए साल में ही प्रदेश को नया सीएस मिलेगा। 1 जनवरी 2024 को ही प्रदेश को नया सीएस मिलेगा, तब तक नई सरकार बन जाएगी। राजनीतिक और प्रशासनिक हालात भी बदल जाएंगे।
पहले भी मिला है मुख्य सचिवों को एक्सटेंशन, बीजेपी राज में सीएस राजन को दो बार तीन-तीन महीने का एक्सटेंशन
प्रदेश में यह पहला मौका नहीं है जब मुख्य सचिव को एक्सटेंशन मिला है। इससे पहले भी कई बार मुख्य सचिव को एक्सटेंशन दिया गया है।
भैरोसिंह शेखावत के सीएम रहते हुए तत्कालीन मुख्य सचिव एमएल मेहता को एक साल का एक्सटेंशन दिया गया था।
उस वक्त नियम अलग थे, बाद में केंद्र सरकार ने नियम बदल दिए और छह महीने से ज्यादा का एक्सटेंशन नहीं देने का प्रावधान कर दिया।
पिछली बार वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्य सचिव सीएस राजन को दो बार तीन-तीन महीने का एक्सटेंशन मिला था।
सीएस का कार्यकाल बढ़ाने के पीछे समीकरण
केंद्र और राज्य मं अलग अलग पार्टी की सरकार होने के बावजूद चुनावी साल में मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़ना साधारण बात नहीं है।
इसे केंद्र सरकार और राज्य के बीच बेहतर तालमेल के तौर पर देखा जा रहा है। सीएस उषा शर्मा विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की रिश्तेदार हैं, उनके पति बीएन शर्मा रिटायर्ड आईएएस हैं और इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी आयोग के अध्यक्ष हैं।
उषा शर्मा को एक्सटेंशन मिलने के पीछे केंद्र राज्य के बीच बेहतर तालमेल के साथ खुद के संपर्कों को भी कारण बताया जा रहा है।
केंद्र ने मंजूरी क्यों दी? लंबे समय सेंट्रल डेपुटेशन पर रहने का फायदा
उषा शर्मा की गिनती अच्छे और काबिल अफसरों में होती रही है। वह केंद्र में 2012 से लेकर जनवरी 2022 तक डेपुटेशन पर थीं।
उनके केंद्र में अच्छे संपर्क हैं, उनके एक्सटेंशन के पीछे यह भी बड़ी वजह मानी जा रही है। हमेशा विवादों से दूर रहने की छवि का भी उन्हें फायदा मिला।
सरकार के आखिरी छह महीने क्रूशियल, उनमें सीएस रहना चुनौती से कम नहीं
हर सीएम अपने पसंदीदा और भरोसे के अफसर को ही मुख्य सचिव के पद पर मौका देता है। उषा शर्मा को एक्सटेंशन मिलने का साफ मतलब है कि सरकार उन्हें छोड़ना नहीं चाहती थी और उनके बराबर का विश्वास वाला अफसर अभी नहीं मिल रहा था, जिसे सीएस बनाया जाता।
चुनावी साल में अब सीएम गहलोत की योजनाओं को जमीन पर उतारने का जिम्मा उनके पास है। चुनावी साल में नया मुख्य सचिव आता तो उसे व्यवस्था को समझने में वक्त लगता, अब मौजूदा सीएस को ही एक्सटेंशन देने से काम की रफ्तार नहीं रुकेगी।
चुनावी साल में सीएस रहना चुनौती, 10 साल पहले मुख्य सचिव सीके मैथ्यू को छुट्टी पर भेजना पड़ा था
चुनावी साल में मुख्य सचिव रहना सबसे बड़ी चुनौती माना जाता है। साल 2013 के चुनावी साल में सीके मैथ्यू मुख्य सचिव थे। बीजेपी ने उस समय मुख्य सचिव पर कांग्रेस के एजेंट की तरह काम करने का आरोप लगाया था।
सीके मैथ्यू ईमानदार छवि वाले अफसर माने जाते थे, लेकिन चुनावी साल में बीजेपी के आरोपों के बाद उन्हें छुट्टी पर भेज दिया था। बाद में जब वे वापस लौटे तो बीजेपी की सरकार बन गई।
वसुंधरा राजे सरकार ने उन्हें सीएस का पद नहीं दिया और उन्हें रोडवेज अध्यक्ष के पद पर भेज दिया, बाद में वे इसी पोस्ट से रिटायर हुए थे। सीके मैथ्यू के साथ हुए बर्ताव की अब भी चर्चा होती रहती है।
मुख्य सचिव नहीं बनाने से नाराज IAS उमराव सालोदिया ने बदल लिया था धर्म, उमराव से उमरदीन खान बनने की घोषणा की थी
जनवरी 2016 में वसुंधरा राजे सरकार के समय तत्कालीन मुख्य सचिव सीएस राजन को तीन महीने का एक्स्टेंशन दिया गया था। उस वक्त आईएएस उमराव सालोदिया रोडवेज अध्यक्ष थे और सीएस बनने के दावेदार थे।
जब सीएस राजन को एक्सटेंशन दिया गया तो सालोदिया रेस से बाहर हो गए। सालोदिया ने सीएस राजन को मुख्य सचिव पद पर एक्स्टेंशन देने का विरोध करते हुए वीआरएस के लिए आवेदन करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया कि दलित होने की वजह से उन्हें सीएस नहीं बनाया गया।
सालोदिया ने दलित होने के कारण भेदभाव का शिकार हाेने का आरोप लगाकर इस्लाम धर्म अपनाने की घोषणा की थी।
उमराव सालोदिया ने अपना नाम भी बदलकर उमरदीन खान रखने की घोषणा कर दी थी। सालोदिया का तीन महीने की सेवा बाकी रहते हुए मार्च 2016 में वीआरएस मंजूर कर लिया गया था, जबकि उनका रिटायरमेंट 30 जून 2016 को था। सालोदिया रिटायर होने के बाद राजनीति में भी आए, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली।
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