राजस्थान में घरेलू ट्यूबवेल खुदाई पर लग सकती है रोक:पानी के लिए बनेंगे कठोर नियम; जयपुर समेत 4 जिलों में 2025 तक खत्म हो जाएगा भूजल
जयपुर

राजस्थान में ग्राउंड वॉटर की स्थिति हर दिन खराब होती जा रही है। इसकी वजह से आने वाले वक्त में प्रदेश में जल संकट की स्थिति हो सकती है। केंद्रीय भूजल बोर्ड और राजस्थान के भूजल विभाग की हालिया डायनैमिक ग्राउंड वाॅटर रिसोर्स रिपोर्ट के अनुसार हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि जयपुर समेत राजस्थान के चार बड़े जिलों में 2025 तक ग्राउंड वॉटर खत्म हो सकता है। इस रिपोर्ट के बाद भूजल विभाग एक्टिव मोड में आ गया है।
भूजल विभाग के चीफ इंजीनियर सूरजभान सिंह ने बताया- जल संकट को रोकने के लिए राजस्थान सरकार ग्राउंड वॉटर रेगुलेशन एक्ट लाने की तैयारी में जुट गई है। इस एक्ट में न सिर्फ कठोर निर्णय लिए जाएंगे बल्कि राजस्थान में निजी इंडस्ट्रीज और घरेलू ट्यूबवेल खुदाई पर बैन लगाने की तैयारी भी की जा रही है।
भूजल विभाग के अधिकारियों ने ग्राउंड वॉटर रेगुलेशन एक्ट के मसौदे पर काम करना शुरू कर दिया है। एक्ट के तहत प्रदेश में जो इंडस्ट्रीज चल रही हैं, उनमें डिजिटल वॉटर मीटर लगाए जाएंगे। यानी इंडस्ट्री को उनकी क्षमता के मुताबिक ही पानी मिल पाएगा। नई इंडस्ट्रीज को पानी के लिए वॉटर रिचार्ज की शर्त पर एनओसी देनी होगी।
भूजल और जलदाय सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया- राजस्थान में भूजल को लेकर स्थिति बहुत तेजी से खराब होती जा रही है। इसको लेकर भूजल विभाग ठोस कदम उठाएगा। फिलहाल आचार संहिता लगी है। इसलिए ज्यादा कुछ नहीं बता सकते, लेकिन भूजल को बचाने के लिए सख्त और कड़े फैसले लिए जाएंगे।
केंद्र सरकार ने बना रखा है एक्ट
फिलहाल केंद्र सरकार के भूजल रेगुलेशन एक्ट के तहत केंद्रीय भूजल बोर्ड की गाइडलाइन भी राजस्थान में लागू है। इसके तहत निजी और इंडस्ट्रीज के ट्यूबवेल की खुदाई पर रोक नहीं है। फिलहाल पूरे भारत में जितना पानी रिचार्ज होता है, उसमें से 100 में 65 प्रतिशत पानी का उपयोग किया जा रहा है। जबकि 35 प्रतिशत पानी की बचत होती है। राजस्थान में इससे उलट 150 प्रतिशत पानी जमीन से खींचा जा रहा है। इसकी वजह से भूजल स्तर दिनों-दिन गिरता जा रहा है।
400 करोड़ का राजस्व एकत्रित करने की तैयारी
राजस्थान में लगभग 4 लाख से ज्यादा इंडस्ट्रीज हैं। इनमें से लगभग 20 हजार इंडस्ट्रीज ही रजिस्टर्ड हैं। जबकि शेष इंडस्ट्रीज ने अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। ऐसे में सरकार को रजिस्टर्ड इंडस्ट्रीज से सिर्फ 40 से 45 करोड़ सालाना सेस मिल पा रहा है। वह भी भूजल बोर्ड की गाइडलाइन के मुताबिक केंद्र सरकार को ही भेजा जा रहा है। ऐसे में अगर राजस्थान में भूजल एक्ट बनने के बाद सभी इंडस्ट्रीज रजिस्टर्ड होती है। भविष्य में राजस्थान को लगभग 400 करोड़ रुपए सेस मिलने की संभावना है। इसका उपयोग राजस्थान सरकार भूजल रिचार्ज करने में करेगी।
2025 तक जयपुर समेत इन शहरों में नहीं होगा पानी
केंद्रीय भूजल बोर्ड और राजस्थान के भूजल विभाग की डायनैमिक ग्राउंड वाॅटर रिसोर्स रिपोर्ट में 2025 तक जयपुर, अजमेर, जैसलमेर और जोधपुर में पानी की उपलब्धता का आकलन शून्य किया गया है। इसके साथ ही इन जिलों में मौजूदा हालात भी अच्छे नहीं हैं। भूजल विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिस तरह जल का व्यर्थ उपयोग और दोहन हो रहा है। उससे आने वाले दिनों में जल संकट और बढ़ने की प्रबल संभावना है। इससे प्रदेश की जनता के लिए स्थिति काफी भयावह साबित हो सकती है।
2025 तक इन शहरों में भूजल का गतिशील संसाधन शून्य हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर यहां जितना पानी रिचार्ज हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा हम जमीन से निकाल रहे हैं। इससे राजस्थान के 302 ब्लॉक्स में से 219 खतरे के निशान से बहुत ऊपर जा चुके हैं। इन्हें अति-दोहन की श्रेणी में रखा गया है। जबकि शेष में से 22 क्रिटिकल, 20 सेमी क्रिटिकल है। सिर्फ 38 ब्लॉक्स जल उपलब्धता के लिहाज से सुरक्षित बताए गए हैं।
40 साल में बदल गए हालत
भूजल सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 40 साल में राजस्थान की स्थिति एकदम बदल गई है। साल 1984 में राजस्थान में 236 ब्लॉक्स में से 203 पीने के लिए सुरक्षित थे। 10 सेमी क्रिटिकल, 11 क्रिटिकल और 12 अति-दोहन वाले थे। राजस्थान में जितना पानी रिचार्ज होता था। उसका 35.75% ही हम इस्तेमाल करते थे। 2023 में जितना रिचार्ज होता है, उसका 148.77% हम काम में ले रहे हैं। यानी जमीन से जो पानी हम खींच रहे हैं, वह भविष्य की सेविंग्स है। जिसे हम आज खर्च कर रहे हैं। इससे जल्द ही पानी की किल्लत होने की संभावना बढ़ गई है।
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