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पूर्व राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल का निधन:राजस्थान की पहली महिला मंत्री रहीं, गुजरात की राज्यपाल रहते हुए मोदी से टकरा गई थीं

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पूर्व राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल का निधन:राजस्थान की पहली महिला मंत्री रहीं, गुजरात की राज्यपाल रहते हुए मोदी से टकरा गई थीं

जयपुर

पूर्व राज्यपाल और राजस्थान की पूर्व डिप्टी सीएम रहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. कमला बेनीवाल (97) का निधन हो गया। बुधवार दोपहर बाद उन्होंने जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। जवाहर सर्किल के पास आवास पर आज खाना खाने के दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने पर परिजन उन्हें फोर्टिस अस्पताल लेकर गए, जहां इलाज के दौरान उनका देहांत हो गया। अंतिम संस्कार कल जयपुर में होगा।

कमला बेनीवाल के एक बेटा और चार बेटियां हैं। उनके बेटे आलोक बेनीवाल शाहपुरा से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। कमला बेनीवाल के निधन पर सीएम भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पूर्व सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट, पूर्व मंत्री महेश जोशी, कांग्रेस नेता राजीव अरोड़ा सहित कई बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने शोक जताया है।

11 साल की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया

कमला बेनीवाल का जन्म 12 जनवरी 1927 को झुंझुनूं जिले के गोरिर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। 11 साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था। पढ़ाई लिखाई में रुचि थी, उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से इतिहास में एमए तक की शिक्षा ली। वे स्टूडेंट जीवन से तैराक, घुड़सवार बन गई थीं। संस्कृत के प्रति भी उन्हें लगाव था।

पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली। उस वक्त राजनीति में महिलाओं की संख्या न के बराबर हुआ करती थी। 1954 में राजस्थान की पहली महिला मंत्री बनीं। कमला बेनीवाल आजादी से लेकर 2014 तक राजनीति में सक्रिय रहीं। वे राजस्थान सरकार में मंत्री, डिप्टी सीएम और गुजरात, त्रिपुरा और मिजोरम की राज्यपाल रहीं। कांग्रेस पार्टी में कई पदों पर भी रहीं।

लोकायुक्त बिल को मंजूरी देने से किया था इनकार

कमला बेनीवाल को 27 नवंबर 2009 को यूपीए सरकार के समय गुजरात का राज्यपाल बनाया गया। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। कमला बेनीाल का राज्यपाल रहते हुए तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और गुजरात सरकार से कई मुद्दों पर टकराव हुआ, उस वक्त यह विवाद राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा। साल 2011 में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल और गुजरात सरकार के बीच खूब विवाद हुआ। कमला बेनीवाल ने राज्यपाल रहते राज्य सरकार की राय लिए बिना आरए मेहता को लोकायुक्त नियुक्त कर दिया। इस मुद्दे पर विवाद हुआ। बाद में गुजरात विधानसभा में लोकायुक्त नियुक्ति को लेकर बिल पास हुआ। लोकायुकत बिल को राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया। कमला बेनीपाल ने राज्यपाल के तौर पर लोकायुक्त बिल में कई गलतियां बताते हुए उसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। गुजरात राज्यपाल रहते हुए और भी कई मुद्दों पर विवाद हुआ था।

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