सेहतनामा- सिंगर अलका याग्निक को सुनाई देना बंद हुआ:क्या है सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस, दुनिया में 20% लोग इससे पीड़ित
अगर तुम साथ हो…, दिल ने ये कहा है दिल से…, पहली-पहली बार मोहब्बत की है… ये दिलकश गाने गाए हैं प्रसिद्ध प्लेबैक सिंगर अलका याग्निक ने। उनके गाए ऐसे सैकड़ों गानों के बोल हमारे कानों के जरिए दिल तक उतरे। अपनी मधुर आवाज से जादू घोलने वाली अलका याग्निक अब खुद कोई गीत नहीं सुन सकती हैं। उन्हें सुनाई देना बंद हो गया है।
अलका याग्निक को डॉक्टर्स ने एक रेयर ‘सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस’ डायग्नोज किया है। सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस को सडेन बहरापन भी कह सकते हैं। इसमें हमारी सुनने की क्षमता बहुत जल्दी खत्म हो जाती है, आमतौर पर इसमें केवल एक कान से सुनाई देना बंद होता है। हालांकि, कई बार दोनों कानों की सुनने की क्षमता खत्म हो सकती है। यह अचानक हो सकता है या फिर हो सकता है कि हमारी सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती चली जाए।
आज सेहतनामा में बात करेंगे ‘रेयर सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस’ की। साथ ही जानेंगे कि-
- रेयर सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस कब और क्यों होता है?
- क्या इसके कुछ लक्षण पहले से दिखाई पड़ते हैं?
- किस तरह के शोर में अधिकतम कितनी देर रहना सेफ है?
कैसे सामने आई अलका याग्निक की समस्या?
अलका याग्निक काफी समय से सोशल मीडिया से दूर थीं। वह कहीं तस्वीरों में भी कम ही दिख रही थीं। इसलिए लोग उनसे लगातार सवाल कर रहे थे कि आप कहां हैं? कैसी हैं?
अब अलका याग्निक ने इंस्टाग्राम पर खुद इसका जवाब दिया है। ग्राफिक में देखिए:
अलका याग्निक ने लोगों को बहुत तेज म्यूजिक और हेडफोन से दूर रहने की सलाह दी है।
क्या होता है रेयर सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस?
जब हमारे कान की भीतरी बनावट और मस्तिष्क के बीच नर्व पाथवे डिस्टर्ब हो जाता है और हमें सुनाई देना बंद हो जाता है तो इसे सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस कहते हैं। हमें एक या दोनों कान से सुनाई देना बंद हो सकता है, हो सकता है कि ऐसा अचानक हो जाए या फिर धीरे-धीरे हमारे सुनने की क्षमता कम होती जाए।
हियरिंग लॉस का असल मतलब क्या है?
हम साउंड वेव्स को फ्रीक्वेंसीज में मापते हैं। जो आवाज हम सुनते हैं वह कितनी तेज है, इसे डेसीबल में मापा जाता है। शांति होने पर इसे मापें तो यह 0 डेसीबल आएगी, फुसफुसाहट 30 डेसीबल के करीब दर्ज होती है और बातचीत की तीव्रता 60 डेसीबल होती है। अगर हमें लगातार 3 फ्रीक्वेंसीज में 30 डेसीबल कम सुनाई दे तो यह सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस है।
आसान भाषा में समझें तो अगर 60 डेसीबल की आवाज 30 डेसीबल कम होकर सुनाई दे तो यह फुसफुसाहट सी लगेगी। जबकि कोई धीरे बोले तो यह सुनाई ही नहीं देगा।
सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस के क्या लक्षण होते हैं?
सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस से पीड़ित 10 में से लगभग 9 लोगों के केवल एक कान की सुनने की क्षमता में कमी आती है। इस तरह का बहरापन अक्सर रात में होता है, सुबह उठने के तुरंत बाद महसूस हो सकता है कि हमें कम सुनाई दे रहा है।
कई बार किसी से बातचीत करते समय अचानक अहसास होता है कि हमारी सुनने की क्षमता कम हो गई है। कई बार हेडफोन लगाने पर पता चलता है कि एक कान में कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा है या कम सुनाई दे रहा है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इसके कई लक्षण हो सकते हैं। ग्राफिक में देखते हैं:
सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस कितने तरह का होता है?
जिस तरह हमारी दाईं और बाईं आंख की नजर अलग हो सकती है, उसी तरह सुनने की क्षमता भी अक्सर दोनों कानों की भिन्न होती है। यह हियरिंग लॉस के कारण भी हो सकता है।
सेंसरी हियरिंग लॉस तीन तरह का होता है:
द्विपक्षीय (Bilateral)
जब दोनों कानों में कुछ हद तक एक समान हियरिंग लॉस हो तो इसे द्विपक्षीय हियरिंग लॉस कहते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग का अनुमान है कि द्विपक्षीय बहरापन आमतौर पर बुजुर्गों को या अधिक उम्र के वयस्कों को होता है।
एक तरफा (Unilateral)
जब हम एक कान से सामान्य सीमा के भीतर सुन सकते हैं, लेकिन दूसरे कान में सुनने की क्षमता कम हो जाती है तो इसे एक तरफा बहरापन कहते हैं।
विषम (Asymmetrical)
जब हियरिंग लॉस दोनों कानों में होता है, लेकिन एक में कम और दूसरे में ज्यादा होता है तो इसे विषम बहरापन कहते हैं। इस कंडीशन में दोनों कानों को एक ही आवाज अलग-अलग लेवल पर सुनाई दे सकती है।
क्यों होता है सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस?
एक कान में होने वाले हियरिंग लॉस के पीछे का असली कारण एक्सपर्ट्स अभी तक कुछ खास पता नहीं लगा पाए हैं। हालांकि दोनों कान में होने वाले हियरिंग लॉस के पीछे कई कारण हैं। कुछ संभावित कारण ग्राफिक में देखिए:
आइए इनमें कुछ पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं:
उम्र बढ़ने के कारण: उम्र के कारण हुए हियरिंग लॉस को प्रेस्बीक्यूसिस कहते हैं। यह अक्सर धीरे-धीरे होता है और इस ओर लोगों का ध्यान तब तक नहीं जाता, जब तक कि यह डेली रुटीन के कामकाज पर खास फर्क न डाले।
कोई चोट: सिर पर लगी चोट कान को भी नुकसान पहुंचा सकती है। इससे कान की भीतरी संरचना और मस्तिष्क के बीच का तंत्रिका मार्ग क्षतिग्रस्त हो सकता है। जो हियरिंग लॉस की वजह बन सकता है।
बीमारियां: नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, किसी वायरस इंफेक्शन के कारण या डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी हियरिंग लॉस हो सकता है।
मेनियार्स डिजीज: इसके कारण कान के अंदर डिसऑर्डर हो सकता है, इससे सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है। इस कंडीशन में चक्कर आने लगते हैं या कान में घंटी बजने जैसी आवाजें आने लगती हैं।
दवाएं: नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, एंटीबायोटिक्स, कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कीमोथेरेपी और लूप डाइयूरेटिक जैसी दवाएं भी हियरिंग लॉस का कारण बन सकती हैं।
दुनिया में 20% लोग सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस से पीड़ित
हमें कई बार पता नहीं चलता है लेकिन हम सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस का शिकार होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया के करीब 20% लोग सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस का सामना कर रहे हैं।
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