BY SAHIL PATHAN
दुनिया के लिए रहस्य है भारतीय खुफिया एजेंसी RAW, जानिए CIA, मोसाद और चीन की MSS कैसे करती हैं काम
पिछले कुछ सालों में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के कामों की चर्चा दुनिया में होने लगी है, लेकिन आज भी यह दुनिया के लिए बहुत कुछ रहस्य ही बनी हुई है। आइए जानते हैं कि दुनिया के कुछ चर्चित गुप्तचर एजेंसियां किस तरीके से काम करती हैं और रॉ उनसे कैसे अलग है।
हाइलाइट्स
- भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ बेहद गुमनामी में करती है काम
- अमेरिका की सीआईए के पास है दुनिया का सबसे बड़ा बजट
- चीन की सीक्रेट सर्विस एमएसएस भी अब आ रही पर्द से बाहर
वाशिंगटन/बीजिंग/तेल अवीव: ब्रिटेन के एक अखबार गार्डियन ने बीते दिनों एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें कहा था कि पाकिस्तान में बीते 2 सालों में कम से कम 20 कुख्यात आतंकियों की हत्या की गई है। इनके पीछे भारत की खुफिया एजेंसी का हाथ बताया गया था। इस खबर के बाद भारतीय सीक्रेट सर्विस रिसर्च एंड एनालिसिसस विंग (RAW) की ताकत की चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी। 1968 में अपनी स्थापना के बाद से ही भारत की RAW विदेशी दुश्मनों से भारत के हितों की रक्षा करती रही है। इसके लिए RAW ने दूसरे देशों में कई सफल मिशन को अंजाम दिया है। RAW ने खुद को ऐसी एजेंसी के रूप में स्थापित किया है जो खुद को अंधेरे में रहकर काम करती है लेकिन अब इसका डंका दुनिया में बजने लगा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमेरिका, इजरायल और चीन जैसे देशों की टॉप सीक्रेट सर्विस कौन सी हैं और वे कैसे काम करती हैं।
भारत की सबसे टॉप खुफिया एजेंसी रॉ का काम करने का तरीका भले ही गुमनामी वाला है, लेकिन अमेरिका की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (CIA), इजरायल की मोसाद, ब्रिटेन की एमआई-5 और कनाडा की कैनेडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) समेत कई सीक्रेट सर्विस अपनी वेबसाइट चला रही हैं और अपना काम दुनिया को बता रही हैं। यही नहीं, वे जनता से जानकारी भी लेती हैं। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने अपने पहले डॉयरेक्टर आर. एन काव की बनाई नीति का पालन कर रही है। आर. एन काव ने रॉ को एक बेहद ही सीक्रेट एजेंसी बनाए रखा। यहां तक कि उन्होंने डायरेक्टर होने के बावजूद एक भी मीडिया इंटरव्यू नहीं दिया। उनके बाद से अब तक 23 स्पाईमास्टर रॉ को लीड कर चुके हैं और सभी ने एजेंसी को लेकर काव की नीति का पालन किया।
अमेरिका की सीआईए
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए जो दुनिया भर में अपने एजेंट भेजकर अमेरिका के दुश्मनों का सफाया करने के लिए विख्यात है, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय के तहत काम करती है। संड गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, सीआईए का सालाना बजट 71 अरब डॉलर है, जो दुनिया की किसी भी खुफिया एजेंसी के लिए सबसे ज्यादा है। सीआईए ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि वह जनता से कैसे जानकारी मांगती है। उसकी वेबसाइट पर लिखा गया है, “दुनिया भर से लोग प्रतिदिन सीआईए के साथ जानकारी साझा करते हैं। यदि आपके पास ऐसी जानकारी है जो आपको लगता है कि हमें और हमारे विदेशी खुफिया संग्रह मिशन में मदद कर सकती है, तो हम तक पहुंचने के कई तरीके हैं।” इसके साथ ही यूजर को जानकारी देने के लिए ईमेल समेत कई विकल्प दिए गए है
चीन की एमएसएस भी लंबे समय तक रही सीक्रेट
हालांकि, अगर कोई भारतीय या विदेशी नागरिक कोई जानकारी साझा करने के लिए रॉ से संपर्क स्थापित करना चाहता है, तो ऐसा करने का कोई तरीका नहीं है। लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि गुप्त तरीके से काम केवल भारतीय एजेंसी ही रॉ ही करती है, तो आप गलत हैं। भारत की तरह ही चीन भी अपनी खुफिया एजेंसी को गुप्त रखता रहा है। चीन की सीक्रेट सर्विस मिनिस्टर ऑप स्टेट सिक्योरिटी (MSS) अपनी स्थापना के 40 साल तक बेहद गुप्त बनी रही। हालांकि, चीन की कमान हाथ में लेने के बाद शी जिनपिंग ने वाशिंगटन और अपने पश्चिमी प्रतिद्वंद्वियों से प्रेरणा लेते हुए एमएसएस से पर्दा हटाने का फैसला किया। 2015 में एमएसएस ने अपनी वेबसाइट और हॉटलाइन लॉन्च की ताकि लोगों तक जानकारी पहुंच सके
इजरायल की मोसाद है बेहद खतरनाक
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की गिनती दुनिया की सबसे तेज सीक्रेट सर्विस में होती है। इसके एजेंट ने दुनिया में ऐसे कारनामे किए हैं, जिसे सुनकर कोई भी आश्चर्य में पड़ जाए। मोसाद का एक एजेंट तो पड़ोसी सीरिया में रक्षा विभाग में एक टॉप पोजीशन तक पहुंच गया था। इजरायल के पड़ोसी देश हमेशा इस आशंका में रहते हैं कि उनके यहां न जाने कौन इजरायली एजेंट हो सकता है। मोसाद के सबसे खतरनाक मिशनों में म्यूनिख ओलंपिक में इजरायली खिलाड़ियों की हत्या में शामिल आतंकियों का सफाया शामिल था। इसके लिए मोसाद ने पूरी दुनिया में अपने एजेंट भेजकर आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था।
हाल के दिनों में कई एक्सपर्ट रॉ को अपना एक सार्वजनिक चेहरा करने की सलाह देते रहे हैं। इसकी वजह बीते दिनों में रॉ के बारे में फैल रही गलत सूचनाएं हैं, जिनमें कनाडा में गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या का मामला प्रमुख रूप से शामिल है। कनाडा ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार बताया है, जबकि भारत ने साफ इनकार किया है। इसके साथ ही अमेरिका में एक सिख अलगाववादी की हत्या के प्रयास का मामला भी है, जिसे देखते हुए कहा जा रहा है कि रॉ का एक सार्वजनिक चेहरा होना जरूरी है। एजेंसी के सामने आने से इसके पास जानकारी के स्रोत बढ़ेंगे जो इसके वैश्विक समकक्षों की तुलना में बेहद कम हैं।
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