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CAPF: मणिपुर से बड़ा हॉट स्पॉट बना बंगाल! BSF-CRPF की रवानगी से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बची आधी-अधूरी बटालियन

  Infiltration Cases May Increase Due To Reduction In The Number Of Soldiers On International Border
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  Infiltration Cases May Increase Due To Reduction In The Number Of Soldiers On International Border

CAPF: मणिपुर से बड़ा हॉट स्पॉट बना बंगाल! BSF-CRPF की रवानगी से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बची आधी-अधूरी बटालियन

पिछला साल तीन मई को मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ था। अभी तक वहां पर 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। सुरक्षाबलों से जुड़े लोगों को भी वहां की हिंसा का शिकार होना पड़ा है।

विस्तार

लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों को ‘मणिपुर’ जैसे अति संवेदनशील राज्य से हटाकर दूसरे प्रदेशों में रवाना किया जा रहा है। खासतौर से, ‘केंद्रीय अर्धसैनिक बल’, सीआरपीएफ और बीएसएफ को मणिपुर के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों से हटाकर उन्हें पश्चिम बंगाल में भेजा जा रहा है। केंद्रीय बलों के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि मौजूदा हालात ऐसे हो चले हैं कि कोई भी बटालियन पूर्ण नफरी ‘संख्या’ तक नहीं पहुंच पा रही है। मणिपुर के अति संवेदनशील इलाकों के अलावा, अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से लगते क्षेत्रों में आधी-अधूरी बटालियनों से काम चलाया जा रहा है। ड्यूटी पर तय संख्या में जवानों की तैनाती न होने के कारण इंडो-म्यांमार बॉर्डर के आसपास आतंकियों, तस्करों, रोहिंग्या और अन्य तरह की घुसपैठ संभावित है। सुरक्षा विशेषज्ञ एवं बीएसएफ के पूर्व एडीजी एसके सूद कहते हैं, लंबे समय से हिंसा की लपटों से जूझ रहे मणिपुर से बड़ा हॉट स्पॉट, पश्चिम बंगाल को मान लेना, एक बड़ी भूल साबित हो सकती है।

पिछला साल तीन मई को मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ था। अभी तक वहां पर 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। सुरक्षाबलों से जुड़े लोगों को भी वहां की हिंसा का शिकार होना पड़ा है। भारी संख्या में लूटे गए हथियारों की पूर्ण वापसी अभी तक नहीं हो सकी है। ज्यादातर लोगों को मणिपुर पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो वहीं असम राइफल को लेकर भी समुदाय विशेष के लोगों में रोष देखा गया है। उपद्रवियों द्वारा आईईडी का डर दिखाकर सुरक्षा बलों के वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था। स्थानीय पुलिस पर पक्षपात करने जैसे आरोप लग चुके हैं। इन सब परिस्थितियों के बीच, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों पर मणिपुर के लोगों का भरोसा बना है। अब वहां से चुनावी ड्यूटी के लिए इन्हीं बलों को दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है। मणिपुर से हटाए जाने वाले अधिकांश केंद्रीय बलों को पश्चिम बंगाल में पहुंचने का आदेश जारी हुआ है।

सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर से लगभग केंद्रीय बलों (सीएपीएफ) के 5000 जवानों को हटाया जा रहा है। सीआरपीएफ और बीएसएफ की 100 कंपनियों को चुनावी ड्यूटी पर भेजने की बात कही गई है। वहां के लोगों ने इन बलों को ड्यूटी से हटाने का विरोध किया है। मणिपुर में कई जगहों पर ऐसे विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं, जहां स्थानीय लोगों ने केंद्रीय बलों की वापसी के खिलाफ धरना प्रदर्शन तक किया है। इन बलों ने हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में शांति बहाली और लोगों की सुरक्षा के लिए ठोस पहल की है। नतीजा, लोगों ने कहा- वे इन बलों को वापस नहीं जाने देंगे। मणिपुर से अगर ये बल हटाए जाते हैं, तो वे दोबारा से असुरक्षित हो जाएंगे। लोगों ने बीएसएफ की 65वीं बटालियन के जवानों को वहां से हटाने का जोरदार विरोध करते हुए ‘जाने नहीं देंगे’ के नारे लगाए हैं। इसी तरह सीआरपीएफ की ए/214 बटालियन की एक कंपनी को वहां से हटाने के खिलाफ लोगों का विरोध देखने को मिला। जिस जगह पर यह कंपनी तैनात थी, गांव की महिलाओं ने उस परिसर के मुख्य गेट पर धरना देना शुरू कर दिया। महिलाओं का कहना था कि उन्हें छोड़कर न जाएं, उनके जाते ही वे असुरक्षित हो जाएंगे। अगर जाना है तो हमारे ऊपर से गाड़ी लेकर जाओ।

सूत्रों ने बताया, चाहे सीआरपीएफ हो या बीएसएफ, इन दोनों ही बलों की बटालियनों में जवानों की संख्या पूरी नहीं हो रही। अति संवेदनशील इलाकों और सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात कंपनियों में मुश्किल से साठ-सत्तर जवान ही बचे हैं। कुछ जगहों पर तो यह संख्या भी पूरी नहीं है। सीमा सुरक्षा बल की एक बटालियन, जिसमें अमूमन सात कंपनियां रहती हैं, अब मुश्किल से इनकी संख्या आधी रह गई है। तीन-चार कंपनियों से पूरी बटालियन का काम चलाया जा रहा है। ऐसे में सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यही स्थिति सीआरपीएफ की बटालियनों में देखी जा रही है। वहां पर भी चुनावी ड्यूटी के लिए जवानों को फ्री करने का भारी दबाव है। ऐसे रंगरूट, जिनकी ट्रेनिंग अभी खत्म नहीं हुई है, उन्हें भी ग्रुप सेंटरों और सेक्टर हेडक्वार्टर पर भेजा रहा है। वजह, उन जगहों से स्थायी कर्मियों को चुनावी ड्यूटी पर भेजेंगे। उनके वापस आने तक रंगरूट, ग्रुप सेंटर और सेक्टर हेडक्वार्टर पर ड्यूटी करेंगे। बल में जितनी भी जीडी बटालियन हैं, वहां से भी 40-40 जवान एडहॉक कंपनी के लिए मांगे गए हैं। यहां तक कि सिग्नल यूनिट से भी जवान बुलाए गए हैं।

बीएसएफ के पूर्व एडीजी एसके सूद कहते हैं, मणिपुर में अब धीरे-धीरे कानून व्यवस्था पटरी पर आ रही है, लेकिन अभी वहां बहुत कुछ सामान्य नहीं है। ऐसे में सरकार को बहुत सोचकर समझकर कदम उठाना चाहिए। चुनावी ड्यूटी के लिए दूसरी जगहों से जवान बुलाए जा सकते हैं। उसके लिए मणिपुर से कंपनियों को वापस बुलाना, एक समझदारी भरा फैसला नहीं है। केंद्रीय बलों ने मणिपुर के लोगों में सुरक्षा को लेकर विश्वास पैदा किया है। अब वहां से हटाकर केंद्रीय बलों को चुनावी ड्यूटी पर भेजना, इसमें जोखिम संभव है। म्यांमार बॉर्डर के बड़े इलाके पर अभी फेंसिंग नहीं है। वहां पर घुसपैठ और तस्करी, आम बात है। दूसरा, मणिपुर के भीतर ही कई तरह के उपद्रवी समूह मौजूद हैं। वे सुरक्षाबलों पर हमला करने का मौका नहीं छोड़ते, तो ऐसे में वे आम लोगों के साथ कुछ भी कर सकते हैं।

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