IPS: नहीं है कार्रवाई का डर, केंद्र में खाली रहा आईपीएस कोटा; CBI-IB और NIA सहित कई एजेंसियों में 235 पद रिक्त
सार
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने गत माह ही सीपीओ/सीएपीएफ में खाली पड़े आईपीएस के पदों को भरने के लिए राज्यों को एक रिमाइंडर भेजा था। इसमें कहा गया था कि राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश, अपने तय कोटे के हिसाब से आईपीएस अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजें। राज्यों द्वारा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईपीएस अफसरों की सिफारिश न करने की वजह से केंद्र में आईजी, डीआईजी और एसपी रैंक में करीब 235 पद खाली पड़े हैं।
सरकार की चेतावनी के बावजूद केंद्र में आईपीएस प्रतिनियुक्ति का तय कोटा नहीं भर पा रहा है। इसके पीछे दो बड़ी वजह बताई जा रही हैं। पहला, विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, आईपीएस अधिकारियों को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजने को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। उनकी तरफ से आईपीएस अधिकारियों को केंद्र में भेजने के लिए पर्याप्त सिफारिशें नहीं की जाती हैं। दूसरा, बहुत से ऐसे अधिकारी भी हैं, जिनका नाम प्रतिनियुक्ति सूची में शामिल होता है, मगर वे ज्वाइन नहीं करते। नतीजा, केंद्र में आईपीएस का कोटा खाली रह जाता है। जून की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र में आईपीएस प्रतिनियुक्ति के 235 पद खाली पड़े हैं। इनमें से अधिकांश पद आईजी, डीआईजी और एसपी रैंक में हैं। नतीजा, सीबीआई, आईबी, एनआईए और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में अनेक पद रिक्त हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने गत माह ही सीपीओ/सीएपीएफ में खाली पड़े आईपीएस के पदों को भरने के लिए राज्यों को एक रिमाइंडर भेजा था। इसमें कहा गया था कि राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश, अपने तय कोटे के हिसाब से आईपीएस अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजें। राज्यों द्वारा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईपीएस अफसरों की सिफारिश न करने की वजह से केंद्र में आईजी, डीआईजी और एसपी रैंक में करीब 235 पद खाली पड़े हैं। अगर जून की रिपोर्ट देखें तो केंद्र में एसपी स्तर पर 129 पद रिक्त हैं। डीआईजी रैंक के लिए 81 पद खाली हैं। आईजी रैंक में 25 पद रिक्त हैं।
बता दें कि केंद्र में आईपीएस एसपी के लिए 228 पद स्वीकृत हैं। डीआईजी के 256 और आईजी के 147 पद मंजूर किए गए हैं। एडीजी के 26 पद स्वीकृत हैं। इनमें से दो पद खाली हैं। एसडीजी के लिए मंजूर 11 पदों में से एक पद रिक्त है। डीजी के लिए स्वीकृत 15 पदों में से एक पद खाली बताया गया है। देश की शीर्ष केंद्रीय एजेंसियां, सीबीआई में एसपी स्तर पर 73 स्वीकृत पदों में से 54 पद खाली पड़े हैं। एनआईए में 36 स्वीकृत पदों में से 13 पद खाली पड़े हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में एसपी स्तर के लिए मंजूर 83 पदों में से 50 पद खाली हैं। डीआईजी के 63 पदों में से 33 पद रिक्त हैं।
बीएसएफ में आईजी के 21 पदों में से 6 पद रिक्त हैं। डीआईजी के लिए स्वीकृत 26 पदों में से 10 पद खाली हैं। सीआईएसएफ में डीआईजी के लिए स्वीकृत 20 में से 12 पद रिक्त हैं। सीआरपीएफ में डीआईजी के लिए स्वीकृत 38 में से 7 पद रिक्त हैं। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में डीआईजी स्तर पर 11 अधिकारियों की स्वीकृत संख्या में से छह पद खाली हैं। एनआईए में आईजी के लिए स्वीकृत दस पदों में से चार रिक्त हैं। आईटीबीपी में आईजी के दस में से तीन पद खाली हैं।
लंबे समय से विशेषकर आईपीएस डीआईजी और एसपी, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आने का मन नहीं बना पा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक कमेटी ने दो वर्ष पहले यह सुझाव दिया था कि डीआईजी के लिए पैनल प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाए। इसके पूरा होने में काफी समय लगता है। सरकार के इस कदम का मकसद, केंद्र में डीआईजी-रैंक के अधिकारियों की भारी कमी को दूर करना था। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उक्त प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी थी।
इसके बाद यह उम्मीद जगी थी कि आईपीएस डीआईजी-रैंक के अधिकारियों के लिए पैनल सिस्टम को खत्म करने से अब प्रतिनियुक्ति पर अधिक अफसर केंद्र में आ सकेंगे। पहले मनोनयन प्रक्रिया पूरी होने में करीब एक साल लगता था। इतना ही नहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी कहा था कि जो भी आईपीएस एसपी या डीआईजी, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं आएंगे, उन्हें बाकी सेवा के दौरान केंद्रीय नियुक्ति से प्रतिबंधित किया जा सकता है। इससे पहले केंद्र ने ‘अखिल भारतीय सेवा’ नियमों में संशोधन भी किया था। उसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार, आईएएस व आईपीएस अधिकारी को राज्य की अनुमति या बिना अनुमति के भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला सकती है। न्यूनतम 14 वर्ष के अनुभव वाले आईपीएस डीआईजी प्रतिनियुक्ति के लिए पात्र हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में भी एक ऐसा ही पत्र राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा था। उसमें राज्यों से कहा गया था कि वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त संख्या में आईपीएस अधिकारियों को नामित करें। प्रत्येक कैडर में वरिष्ठ ड्यूटी पदों में से 40 फीसदी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व (सीडीआर) पद के रूप में नामित किया गया है, लेकिन कुछ राज्य सीडीआर उपयोग की तुलना में पर्याप्त नामांकन प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं। उस पत्र में अधिकारियों के लिए चेतावनी भी जारी की गई थी। अगर कोई आईपीएस अधिकारी, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में चयनित होने के बाद ज्वाइनिंग से मना करता है, तो उसे पांच वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति से बाहर किया जा सकता है। इसमें कोई आईपीएस अपने निजी कारण से या राज्य द्वारा रिलीव नहीं किए जाने से ज्वाइन नहीं कर पाता है तो भी उसे पांच वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा। जिन अधिकारियों ने अपने कैडर में कूलिंग ऑफ पीरियड पूरा नहीं किया है, उन्हें भी ऑफर लिस्ट में शामिल नहीं किया जाएगा।
जानकारों का कहना है कि राज्य पुलिस से ज्यादातर आईपीएस बतौर डीआईजी या एसपी, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए तैयार नहीं होते। इसकी एक बड़ी वजह रही है। वह है कि उन्हें यहां पर पोस्टिंग में च्वाइस नहीं मिलती। जब मन मुताबिक पोस्टिंग नहीं मिलती, तो वे क्यों आएंगे। युवा आईपीएस को जिले में पुलिस कप्तान बनने का क्रेज रहता है। ऐसे में वे प्रतिनियुक्ति से गुरेज करते हैं। आईबी और सीबीआई में भी इसी वजह से आईपीएस एसपी के ज्यादातर पद खाली पड़े रहते हैं। मौजूदा समय में स्टेट पुलिस में डीआईजी का ज्यादा रोल नहीं बचा है। अब तो कई राज्यों में आईएएस के पदों पर भी आईपीएस लगाए जाने लगे हैं। पहले तो सबसे खराब स्थिति सीएपीएफ में रही है। यहां तो डीआईजी के अधिकांश पद रिक्त ही पड़े रहते थे। मजबूरन, आईपीएस डीआईजी के खाली पदों को कैडर अफसरों से भरा जाता था। सीएपीएफ में डीआईजी की सख्त पोस्टिंग होती है, इसलिए वे प्रतिनियुक्ति पर नहीं आते थे। सरकार की सख्ती के चलते अब इन बलों में डीआईजी के पद पर आईपीएस आने लगे हैं।
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