बीकानेर। भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास युद्ध अभ्यास-24 के 20वें संस्करण का का समापन समारोह महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में आयोजित हुआ। इस युद्ध अभ्यास-24 में संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के तहत अर्थ-शहरी और अर्थ-रेगिस्तानी इलाके में आतंकवाद विरोधी अभियान पर ध्यान केंद्रित किया गया। अभ्यास में शारीरिक फिटनेस, सामरिक अभ्यास, और दोनों सेनाओं के बीच सर्वोतम प्रथाओं, तकनीकों और पक्रियाओं के आदान-प्रदान पर जोर दिया गया।
इस युद्धअभ्यास में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व अमोघ डिवीजन की राजपूत रेजिमेंट के एक बटालियन समूह और एक इन्फैंट्री ब्रिगेड मुख्यालय ने किया, जबकि अमेरिकी दल में अलास्का स्थित 1-24 इन्फैंट्री बटालियन और 11वीं एयरबोर्न डिवीजन के तत्व शमिल थे। थार रेगिस्तान के कठिन भूभाग और जलवायु का सामना करते हुए इस दीर्घकालिक अभ्यास में 1,100 से अधिक कर्मियों ने भाग लिया।
यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया।
पहले चरण में, दोनों दलों ने युद्ध अभ्यास और सामरिक प्रशिक्षण पूरा किया, जिसमें उनकी संयुक्त संचालन क्षमता को सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया गया। दूसरे चरण सत्यापन चरण में प्रशिक्षण को संयुक्त अभियानों की एक श्रृंखला के माध्यम से व्यवहार में लाया गया।
सत्यापन अभ्यास में अवलोकन चौकी स्थापित करना, रोड ओपनिंग ड्रिल, घेराबंदी और तलाशी अभियान, और घरों को साफ करने के अभ्यास जैसी कई प्रकार की संयुक्त गतिविधियाँ शामिल थीं, जिसमें हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके घायलों को निकाला भी गया। इसके अलावा, C-130, ALH और Mi-17 प्लेटफार्मों का उपयोग करके एयरबोर्न और हेलिबोर्न ऑपरेशंस भी किए गए। एक लाइव फायरिंग अभ्यास भी आयोजित किया गया, जिसमें PINAKA, HIMARS और M-777 तोपों जैसी लंबी दूरी की मारक क्षमता का उपयोग कर लक्ष्यों को बेअसर किया गया, जिसके बाद अंतिम घेराबंदी और तलाशी अभियान ने सटीकता और प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया।
समापन समारोह में सेनाओं के उत्कृष्ट सैनिकों को सम्मानित किया गया और उनकी सांस्कृतिक और सैन्य विरासत को प्रदर्शित किया गया। इसमें दोनों देशों की समृद्ध परंपराओं को उजागर किया, जिससे दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को और अधिक मजबूती मिली। पूरे अभ्यास के दौरान, दोनों दलों ने आतंकवाद विरोधी अभियानों से संबंधित मूल्यवान युद्ध अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम का समापन आज हथियार और उपकरण प्रदर्शनी के साथ हुआ, जिसमें भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी रूप से निर्मित हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन किया गया। यह युद्ध अभ्यास-24 भारत और अमेरिका के रक्षा साझेदारी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिसने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया तथा वैश्विक आतंकवाद विरोधी अभियान में योगदान दिया।
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