खाकी वर्दी – राष्ट्र के सुरक्षा प्रहरी
वो खड़ा हुआ अनवरत सा
खाकी की वर्दी पहने हुआ
आमजन से अलग हटकर
कर रहा देश की पहरेदारी
तन मोह से वो मुक्त सा
धूप बारिश सब सहते हुआ
सर्दी में भी डटा हुआ
कर रहा देश की पहरेदारी
निज परिजन की चिंता छोड़
दूसरों की सेवा में अनवरत
वसुदेव कुटुंबकम को सार्थक कर
कर रहा देश की पहरेदारी
धर्म बंधन से बाहर वो
मंदिर मस्जिद सब एक मान
सबराह सुगम करने को
कर रहा देश की पहरेदारी
राजनीति के गलियारों में
शांति की राह बनाते हुए
हर जगह फर्ज निभाते हुए
कर रहा देश की पहरेदारी
नमन तुम्हारी वर्दी को
नमन तुम्हारी कर्तव्यनिष्ठा
नमन तुम्हारी पहरेदारी
शत शत नमन राष्ट्र पहरी तुमको
रुचिता तुषार नीमा
स्वरचित
इंदौर
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